डाॅ. अमर सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे: डाॅ. मुरली मनोहर जोषी
वाराणसी, 21 जून। लोक लेखा समिति के अध्यक्ष एवं वाराणसी के सांसद डाॅ. मुरली मनोहर जोषी ने कहा कि संघ के वरिष्ठ प्रचारक डाॅ. अमर सिंह मेधावी, विष्लेषक और तीक्ष्ण बुद्धि के साथ गहरा चिन्तन करते हुए समस्याओं का सरल समाधान करते थे। डाॅ0 सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी और राष्ट्र सेवा के प्रति हमेशा समर्पित रहते थे। उनकी आत्मा को श्री चरणों में स्थान अवष्य मिलेगा, ऐसा विश्वास है।
उक्त बाते उन्होंने सिगरा स्थित प्रान्त कार्यालय केषव निलय में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित ‘श्रद्धाँजलि’ सभा में व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डाॅ. सिंह का अध्यात्म के प्रति गहरा लगाव था। विज्ञान के विद्यार्थी होने के कारण हर बात प्रमाण के साथ कहते थे। उनका जीवन हम सभी स्वयंसेवकों के लिए सदैव प्रेरणास्रोत रहेगा।
क्षेत्र प्रचारक प्रमुख अषोक उपाध्याय ने कहा कि डाॅ. अमर सिंह हमारे अविभावक थे। हमेषा लोगों को हंसाते रहना उनका स्वभाव था। हर जगह मजाक-मजाक में बड़ी बात कह देते थे। षाखा के साथ कोई समझौता नहीं, षाखा उनके लिए प्राण थी। काषी प्रान्त के प्रान्त कार्यवाह डाॅ0 वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि डाॅ. सिंह हमेषा प्रेरक प्रसंक सुनाते थे। आज वे षरीर से हमारेे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी पवित्र स्मृतियां हैं जो संघ कार्य के लिए प्रेरित करती रहेंगी।
काषी प्रान्त के संघचालक डाॅ0 विष्वनाथ लाल निगम ने कहा कि डाॅ. अमर सिंह अनेक दायित्वों का निर्वहन करते हुए समाज और देष सेवा के लिए पूरा जीवन समर्पित किया। प्रज्ञा प्रवाह के क्षेत्र संगठन मंत्री रामाषीष जी ने कहा कि छोटी-छोटी बातों में डा.ॅ अमर सिंह लोगों का मार्ग दर्षन करते थे। उनका पूरा जीवन भारतमाता के चरणों में समर्पित था।
ग्राहक पंचायत के प्रदीप चैरसिया ने कहा कि डाॅ0 साहब स्नेह और प्रेरणा के प्रतिमूर्ति थे। साहित्य परिषद के डाॅ. उदय प्रताप सिंह ने कहा कि डाॅ. साहब का साहित्य से बहुत लगाव था। मालवीय मिषन के प्रो. जय प्रकाष लाल ने कहा कि डाॅ. अमर सिंह संघ की रीति और नीति सरल ढंग से स्वयंसेवकों के सामने रखते थे। संस्कृत भारती के प्रो. नागेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि डाॅ0 अमर सिंह पुन: राष्ट्र उत्थान के लिए भारत भूमि पर जन्म लेंगे।
इस कार्यक्रम में सैकड़ो की संख्या मे स्वयंसेवक उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संघ के विभाग कार्यवाह दीनदयाल पाण्डेय ने किया।