कृषि सुधार कानूनों को विरोध में हो रहे प्रदर्शन में शामिल पंजाब के एक किसान संगठन पर कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना विदेश से फंड लेने का आरोप लगा है. संगठन के खाते में विदेश से आ रहे पैसे की जानकारी मिलते ही सरकारी एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं. विरोध प्रदर्शन में शामिल संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) को मिल रहे पैसों को लेकर पूछताछ शुरू हो गई है. पंजाब के जिस बैंक में संगठन का खाता है, उसके प्रबंधक से विदेशी मुद्रा विभाग ने पूछा है कि विदेश से डोनेशन के लिए संगठन का पंजीकरण है अथवा नहीं. भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) अन्य किसान संगठनों के साथ कृषि सुधार कानूनों को लेकर दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले 2 महीने में बीकेयू (एकता-उगराहां) के खाते में 8 लाख रुपये की राशि विदेशी चंदे के रूप में आई है.
रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार, किसी भी तरह का विदेशी चंदा लेने के लिए संस्था को फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट यानि FCRA के तहत रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है. सन् 1976 में जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं तो पहली बार फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट लाया गया. साल 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार ने पहली बार इसमें एक कड़ा संशोधन किया. जिसके तहत पॉलिटिकल नेचर की संस्थाओं की विदेशी फ़ंडिंग पर रोक लगा दी गई. मोदी सरकार ने भी FCRA के नियम-कायदों में बदलाव किए हैं. अब सभी रजिस्टर्ड संस्थाओं को वित्त वर्ष के खत्म होने के 9 महीनों के भीतर ऑनलाइन रिपोर्ट जमा करनी होती है. इसमें विदेशों से होने वाली आय और खर्च का पूरा विवरण देना होता है. इनमें रसीदें और भुगतान खाता, बैलेंस शीट आदि की स्कैन कॉपी भी दाखिल करनी होती हैं.
मीडिया द्वारा पूछे जाने पर यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां ने कहा कि उन्हें पंजाब के मोगा जिले के पंजाब एंड सिंध बैंक के अधिकारियों द्वारा बुलाया गया था और फॉरेक्स विभाग के एक मेल के बारे में बताया गया. उनके संगठन को पिछले दो महीनों में 8 से 9 लाख रुपये मिले हैं, जिसके बारे में बैंक अधिकारियों ने हमें तलब किया था. यह पैसा आमतौर पर विदेशों में रहने वाले पंजाबियों ने भेजा हैं जो नियमित रूप से सामाजिक कारणों से दान करते रहे हैं.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, काशी
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