भाषा का सदुपयोग ही सनातन हिंदू धर्म है - जगद्गुरु शंकराचार्य
कार्यक्रम में अपना विचार रखते वरिष्ठ प्रचारक एवं हिन्दुस्थान समाचार के पूर्व सरंक्षक लक्ष्मी नारायण भाला जीकाशी| बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के
तत्वावधान में आयोजित भारतीय भाषा सम्मान कार्यक्रम में 18 भारतीय भाषाओं के पत्रकारों व साहित्यकारों को ‘‘भारतीय भाषा सम्मान-2023’’ से सम्मानित किया
गया। कार्यक्रम में कांचीकामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री शंकर विजयेन्द्र
सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भाषा का सदुपयोग करना चाहिए और उसका देश के विकास में
उपयोग करना चाहिए| राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पूर्व सरंक्षक हिन्दुस्थान समाचार लक्ष्मी नारायण भाला
ने ‘पंच प्रण’ भारतीय भाषाएं और समृद्ध भारत का प्रवर्तन करते हुए कहा कि
पंच प्रण अपने शब्द से ही स्पष्ट है कि देश प्रथम है। अन्य वक्ताओं ने पंच-प्रण के
उपयोग एवं महत्व पर प्रकाश डाला|
जगद्गुरु शंकराचार्य
श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती जी महाराज ने भाषा की विशेषता बताते हुए भगवान
हनुमान जी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी की अमरत्व वाणी से सीता जी
का आत्मविश्वास बढ़ा और उनमें रावण का सामना करने की शक्ति आयी। उन्होंने कहा कि
भाषा मुख्य है, साहित्य मुख्य है।
भाषा का सदुपयोग करना चाहिए और उसका देश के विकास में उपयोग करना चाहिए, उसका दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। सदुपयोग ही
सनातन हिंदू धर्म है।
उन्होंने
हिन्दुस्थान समाचार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि समाचार शब्द काफी
पुराना है। धर्म के प्रति जानकारी और जागरूकता हिन्दुस्थान समाचार के जरिये बढ़ रही
है। चातुर्मास के दौरान भाषा विद्वानों को सम्मानित करना अच्छी पहल बताया।
वहीं, शंकराचार्य ने सनातन धर्म की विशेषता बताते हुए
कहा कि भाषा का सदुपयोग ही सनातन हिंदू धर्म है। उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य जन्म
निरर्थक नहीं होना चाहिए। जो काम हमें मनुष्य के रूप में मिले हैं उसे करना चाहिए।
धर्माचरण मुख्य है। परोपकार से दूसरों की मदद करने के लिए हमसे जो कुछ हो सकता है
करना चाहिए। कष्ट निवारण ही धर्म है। अच्छे कर्म करने के लिए सबको मौका देना
हिन्दू धर्म है। उन्होंने मंदिर को धर्म का केंद्र बताया।
मुख्य अतिथि उपस्थित
उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पंच प्रण की दिशा में
भारत के कदम बढ़ चुके हैं। हम सभी का प्रण देश को समृद्ध बनाना है। लेकिन संस्कार, शिक्षा और सुरक्षा के अभाव में समृद्धि अधूरी
रहती है। इसलिए जरूरी है कि हम निष्ठा के साथ प्रण करें और संतों और अपने
अभिभावकों का आशीर्वाद लेकर लक्ष्य को प्राप्त करें।
भाषा के रूप में
हिंदी के विस्तार और उसकी प्रासंगिकता को लेकर उन्होंने कहा कि दुनिया भर के देश
अपनी भाषा में शिक्षा प्राप्त कर गर्व करते हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र
मोदी के नेतृत्व में अब ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए मध्यप्रदेश में मेडिकल
(एमबीबीएस) की पढ़ाई भी हिन्दी में कराने की योजना अग्रसर है। उन्होंने कहा कि
भविष्य में बहुत जल्द उत्तर प्रदेश में भी
यह व्यवस्था शुरू होगी।
विशिष्ट अतिथि ‘श्रीहनुमत निवास’ अयोध्या के महंत आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज ने अपने
संबोधन में कहा कि भारत वर्ष विलक्ष्ण है, इसकी विलक्ष्णता उसके भाषा, भाव और वेशभूषा और व्यवहार में परिलक्षित होता है। उन्होंने
हिन्दी दिवस के लिए एक दिन निश्चित करने को लेकर कहा कि यह क्यों आवश्यक है कि एक
दिन देश की प्रमुख भाषा हिन्दी के लिए क्यों हो, जिसे अधिकाधिक लोग अपने दैनिक जीवन में उपयोग करते हैं।
हमें कोशिश इसे सभी दिनों के लिए सुनिश्चित करने के लिए करना चाहिए।
पंच प्रण जिसे लेकर
हिन्दुस्थान समाचार लगातार कार्यक्रम आयोजित करता रहा है, उसके लिए उन्हंर साधुवाद है। वहीं पंच प्रण को
लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पांच शब्दों- विकसित भारत, धरोहर, औपनिवेशिकता, एकता-एकात्मता और नागरिकता के रूप में इसे बताया था।
विस्तार में न जाते
हुए उन्होंने कहा कि पंच प्रण में पहला है विकसित भारत, जिसका तात्पर्य आत्मनिर्भर भारत है। दूसरा है
विरासत, जिस पर गर्व का मतलब है कि हमें विचार करें कि
हम किसके उत्तराधिकारी हैं। हम धन्य हैं कि प्रधानमंत्री यह राष्ट्र भारत है और हम
इसके उत्तराधिककारी है। हमें महाकुंभ, चातुर्मास, सन्यासिययों की
यात्रा को ही अपनी विरासत मानना चाहिए। तीसरा है औपनिवेशिकता, जन भावना में औपनिवेशिक की कुंठा से बाहर निकलना
होगा। इसके लिए अपात्र होने के बाद भी चाहने की इच्छा नहीं रखनी चाहिए। चौथा है
एकात्मता-एकता.. एकता बहुरंगी है और एकात्मता अंतरंगी है। बाहरी विभेद के बाद भी
जब हम एक स्त्रोत से जुड़े होते हैं तो उससे ही एकात्मका का भाव आता है। एकता
आचारगत है, एकात्मता विचार गत
है। पांचवा और आखिरी है नागरिकता, जब तक नागरिक मूल्य
को मानवीय मूल्य के साथ संयोजित नहीं कर सकते तब तक नागरिता के मूल्य को पूर्ण रूप
से परिभाषित नहीं कर सकते।
इस अवसर पर उपस्थित
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं पूर्व सरंक्षक हिन्दुस्थान समाचार
लक्ष्मी नारायण भाला ने ‘पंच प्रण’ भारतीय भाषाएं और समृद्ध भारत का प्रवर्तन करते
हुए कहा कि पंच प्रण अपने शब्द से ही स्पष्ट है कि देश प्रथम है। ऐसे में जरूरी है
कि इसके लिए जिस भाषा का प्रयोग हो वो देश को समृद्ध और गौरवपूर्ण बनाने महति
भूमिका निभाए। उन्होंने पांच प्रण को विस्तृत तौर पर समझाते हुए कहा कि मूलरूप से
तन, प्राण (जीवंतता), मन, बुद्धि, आत्मा... ही वो पांच तत्व हैं, जिनके द्वारा हम समूल तौर पर देश विकास में अपना
समपूर्ण योगदान दे सकते हैं। वहीं उन्होंने श्लोकृ- “त्रेतायां मंत्र-श्क्तिश्च ज्ञानशक्तिः
कृते-युगे। द्वापरे युद्ध-शक्तिश्च, संघशक्ति कलौ युगे।।” का उच्चारण करते हुए कहा कि देश और समाज के विकास के लिए
सांगठिक तौर पर भी सशक्त होने की जरूरत है।
कार्यक्रम में
हिन्दुस्थान समाचार समूह की पाक्षिक पत्रिका ‘युगवार्ता’ और मासिक पत्रिका ‘नवोत्थान’ के विशेषांक का लोकार्पण भी हुआ। इन दोनों विशेषांकों में
भारतीय भाषाओं पर विद्वानों के तथ्यपरक लेख प्रकाशित किए गए हैं। इस दौरान डैलिम्स
सनबीम विद्यालय के छात्रों द्वारा लिखित पुस्तक ‘गोल्डेन सन’ का भी लोकार्पण हुआ।
पूर्व में
हिन्दुस्थान समाचार निदेशक मंडल के सदस्य डा. प्रदीप ‘बाबा’ मधोक ने अतिथियों का स्वागत किया। आभार ज्ञापन न्यूज एजेंसी
के वाराणसी ब्यूरो प्रमुख श्रीधर ने किया।
इन्हें मिला सम्मान
:
संस्कृत भाषा के लिए
झारखण्ड के हजारीबाग जनपद के निवासी और डीडी न्यूज यानि दूरदर्शन दिल्ली पर
प्रसारित होने वाले संस्कृत के लोकप्रिय साप्ताहिक कार्यक्रम ‘वार्तावली’ के मुख्य सम्पादक डॉ नारायणदत्त मिश्र, हिन्दी भाषा के लिए ‘पांचजन्य’ के सम्पादक हितेश शंकर, तेलुगु भाषा के लिए
वरिष्ठ पत्रकार डॉ के. विक्रम राव, मराठी भाषा के वरिष्ठ पत्रकार श्रीराम जोशी, गुजराती भाषा के लिए पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या, पंजाबी भाषा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ भाई परमजीत
सिंह, बांग्ला भाषा के डॉ सुमन चन्द्र दास, असमिया भाषा के अरुण ज्योति बोरा, नेपाली के डिल्ली राम दुलार और सिंधी भाषा के
कमल किशोर खत्री को सम्मानित किया गया।
इसी तरह मलयालम भाषा
के लिए वरिष्ठ पत्रकार कावालम् शशिकुमार, तमिल भाषा के वी. श्रीनिवासन, कन्नड़ भाषा की सुश्री स्वाति चंद्रशेखर एवं पन्नग राज
रामचंद्र राव कुलकर्णी, ओड़िआ भाषा के डॉ.
समन्वय नंद तथा भोजपुरी भाषा के लिए केशव मोहन पाण्डेय को सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त
हिन्दुस्थान समाचार के दो पत्रकारों डॉ. शारदा वन्दना और गुंजन कुमार को ‘कलमवीर’ सम्मान से सम्मानित किया|
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