WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

90689

Thursday, September 14, 2023

हमारी हिन्दी बन गई ‘सबकी हिन्दी’

अंग्रेजी में केवल 10 हजार के करीब शब्द, जबकि हिन्दी की शब्द सम्पदा ढाई लाख से भी अधिक

- लोकेन्द्र सिंह

विश्व में करीब तीन हजार भाषाएं हैं. इनमें से हिन्दी ऐसी भाषा हैजिसे मातृभाषा के रूप में बोलने वाले दुनिया में दूसरे स्थान पर हैं. मातृभाषा की दृष्टि से पहले स्थान पर चीनी है. बहुभाषी भारत के हिन्दी भाषी राज्यों की जनसंख्या 46 करोड़ से अधिक है. 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की 1.2 अरब जनसंख्या में से 41.03 प्रतिशत की मातृभाषा हिन्दी है. हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर उपयोग करने वाले अन्य भारतीयों को मिला लिया जाए तो देश के लगभग 75 प्रतिशत लोग हिन्दी बोल सकते हैं. भारत के इन 75 प्रतिशत हिन्दी भाषियों सहित पूरी दुनिया में लगभग 80 करोड़ लोग ऐसे हैं जो इसे बोल या समझ सकते हैं. भारत के अलावा हिन्दी को नेपालमॉरिशसफिजी, सूरीनाम, यूगांडादक्षिण अफ्रीकाकैरिबियन देशोंट्रिनिदाद एवं टोबेगो और कनाडा आदि में बोलने वालों की अच्छी-खासी संख्या है. इसके अलावा इंग्लैंडअमेरिकामध्य एशिया में भी इसे बोलने और समझने वाले लोग बड़ी संख्या में हैं.

हिन्दी भारत की सीमाओं से बाहर निकलकर सबकी हिन्दीबन गई हैइसके पीछे भाषा का अपना संस्कार है. भारतीय संस्कृति की तरह हिन्दी उदार भाषा है. अन्य भाषाओं के प्रति सहिष्णु है. हिन्दी में प्रवाह है. वह सदैव बहती रही है. इसी कारण तमाम झंझावातों के बाद आज जिन्दा है और समृद्ध भी. सर्वसमावेशी भाषा होना हिन्दी का सबसे बड़ा सौन्दर्य है. हिन्दी ने बड़ी सहजता और सरलता से, समय के साथ चलते हुए कई बाहरी भाषाओं के शब्दों को भी अपने आंचल में समेट लिया. पहले से ही समृद्ध हिन्दी का शब्द भण्डार और अधिक समृद्ध हो गया है. हिन्दी को कभी भी अन्य भाषाओं के शब्दों से परहेज नहीं रहा. भारतीय भाषाएं तो उसकी अपनी सगी बहनें हैंउनके साथ तो हिन्दी का लेन-देन स्वाभाविक ही है. लेकिनहिन्दी ने बाहरी भाषाओं के शब्दों को भी बिना किसी फेरबदल केउनके स्वाभाविक सौंदर्य के साथ स्वीकार किया है. वास्तव मेंहिन्दी जीवंत भाषा है. वह समय के साथ बही हैकहीं ठहरी नहीं. जीवंत भाषाएं शब्दों की छुआछूत नहीं मानती हैं. शब्द जिधर से भी आएहिन्दी ने आत्मसात कर लिए. हिन्दी के पास भारतीय भाषाओं और बोलियों की अपार संपदा है. भारतीय भाषाओं के शब्द सामर्थ्य का मुकाबला कोई भी बाहरी भाषा नहीं कर सकती. अंग्रेजी में जितने शब्द हैंउससे कई गुना शब्द अकेली हिन्दी में हैं. फिरअन्य भारतीय भाषाओं को हिन्दी के साथ मिला लिया जाए तो अंग्रेजी ही क्यादुनिया की अन्य भाषाएं भी बौनी नजर आएंगी. अंग्रेजी में केवल 10 हजार के करीब शब्द हैं, जबकि हिन्दी की शब्द सम्पदा ढाई लाख से भी अधिक है. यही नहींहिन्दी का व्याकरण भी सर्वाधिक वैज्ञानिक है. हिन्दी की पांच उपभाषाएं और 17 बोलियां हैं. प्रमुख बोलियों में अवधीभोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ीगढ़वालीहरियाणवीकुमांऊनीमागधी और मारवाड़ी शामिल है.

अपने उदार हृदय और सर्वसमावेशी प्रकृति के कारण हिन्दी जगत का निरंतर विस्तार होता जा रहा है. अब हिन्दीहिन्द तक ही सीमित नहीं है. दुनिया के 40 से अधिक देश और उनकी 600 से अधिक संस्थाओंविद्यालयोंमहाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है. आज हिन्दी मात्र साहित्य की भाषा नहीं है. बल्कि विज्ञान और तकनीक की भी भाषा बन गई है. गूगल ने कई महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर और सेवाएँ जारी की हैंजिनके माध्यम से विभिन्न तकनीकी युक्तियों में हिन्दी पाठ्य का उपयोग आसान हो गया है. एंड्रोयड युक्तियों में बोलकर लिखने की प्रणाली (गूगल वॉयस इनपुट) सेवा का आगमन सुखद भी है और क्रांतिकारी भी. इससे पहले गूगल ने हिन्दी हस्तलिपि पहचान सॉफ्टेवयर जारी किया था. गूगल मैप्स और सर्च में भी बोलकर हिन्दी लिखी जा सकती है और हिन्दी में ही परिणाम देखे जा सकते हैं. ऑनलाइन हिन्दी के शब्दकोश मौजूद हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने हिन्दी का प्रथम ओपन सोर्स यूनीकोड वर्तनी परीक्षक एवं शोधक सॉफ्टवेयर मालातैयार किया हैजिसमें दो लाख से अधिक हिन्दी के शब्द हैं. इस बीच, देवनागरी में डोमेन नेमों का पंजीकरण शुरू हो गया हैजिनका डोमेन विस्तार ‘.भारतहै. अब आप देवनागरी लिपि में भी अपनी वेबसाइट का पता रजिस्टर्ड करा सकते हैं. मोबाइल फोन में हिन्दी आने से हिन्दी जगत का और अधिक विस्तार हो गया है. अब तक मोबाइल फोन में रोमन लिपि में हिन्दी लिखी जा रही थी, लेकिन टेक्नोलॉजी की मदद से अब सभी मोबाइल डिवाइस में हिन्दी लिखना-पढ़ना आसान हो गया है. आईफोन बनाने वाली एप्पल सरीखी कंपनी भी हिन्दी को ध्यान में रखकर अपने उपकरण तैयार कर रही है.

एक भ्रम यह खड़ा किया जाता है कि अंग्रेजी रोजगार की भाषा हैहिन्दी नहीं. जबकि स्थितियां इसके उलट हैं. भारत दुनिया के लिए सबसे बड़ा बाजार है. इसलिए यहां व्यापार के लिए हिन्दी जरूरी हो गई है. विज्ञापन की दुनिया को हम देख सकते हैं किस तरह वहां हिन्दी का प्रचलन तेजी से बढ़ा है. विज्ञापन क्षेत्र के विशेषज्ञ मानते हैं कि हिन्दी में आते ही विज्ञापन की पहुंच 10 गुना बढ़ जाती है. बड़े-बड़े कॉरपोरेट घराने अपने शोरूमों के नाम हिन्दी साहित्य से उठा रहे हैं. खादिममोचीबुनकर ऐसे ही नाम हैं. मनोरंजन के क्षेत्र में तो हिन्दी का मुकाबला ही नहीं है. भारतीय बाजार में हिन्दी के मनोरंजन वाहनियों (चैनल्स) की हिस्सेदारी 38 प्रतिशत है. बॉलीवुड दुनिया में सबसे अधिक फिल्में बनाने का ठिकाना है. बॉलीवुड के जरिए हिन्दी की दुनिया का दायरा भी बढ़ा है. हिन्दी का आकर्षण इतना है कि दुनिया के प्रभावशाली मीडिया घरानों को भी हिन्दी में अपनी सेवाएं शुरू करनी पड़ीं.

बीबीसीडिजनीडिस्कवरी और स्टार ग्रुप हिन्दी में अपने चैनल चला रहा है. भारत में संचार माध्यमों की बात करें तो हिन्दी में प्रकाशित समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या किसी भी भाषा में प्रकाशित समाचार-पत्रों की प्रसार संख्या से कहीं अधिक हैं. हिन्दी के चैनल टीआरपी की होड़ में सबसे आगे रहते हैं. वेबदुनिया से शुरू हुआ वेब पत्रकारिता का सिलसिला आज कहीं आगे निकल चुका है. यूनिकोड फॉन्ट के आने के बाद से इंटरनेट पर हिन्दी बहुत तेजी से अपना संसार रच रही है. एक समय इंटरनेट पर अंग्रेजी का वर्चस्व था, लेकिन आज हिन्दी के ब्लॉगवेबसाइटपोर्टल्स की भरमार है. सोशल मीडिया के विभिन्न मंचों पर हिन्दी में संवाद किया जा रहा है. ऑनलाइन हिन्दी किताबों का संसार भी बढ़ता जा रहा है. इंटरनेट ने जन-जन तक हिन्दी साहित्य की पहुंच आसान कर दी है. इंटरनेट ने हिन्दी की दुनिया को बढ़ाया है. हिन्दी को वैश्विक पहचान मिली है.

(लेखक माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक हैं.)

No comments: