WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

Wednesday, July 4, 2012

वनवासी कल्याण आश्रम को उपहार राशि का दान

 वनवासी कल्याण आश्रम के विभाग संगठन मंत्री आनन्द जी को उपहार राशि भेंट करती हुई  सुनीता मिश्रा एवं चन्द्र प्रकाश मिश्र
        उत्तर प्रदेश के काशी महानगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र शारीरिक प्रमुख चन्द्रमोहन जी के भतीजे का गत्दिनों विवाह सम्पन्न हुआ। चन्द्रमोहन जी संघ के प्रचारक हैं उनकी प्रेरणा से वर चन्द्र प्रकाश मिश्र एवं वधु सुनीता मिश्रा ने समाज के लिए अनुकरणीय कार्य किया। हुआ यूं कि 30 जून 2012 को माधवकुंज पार्क में प्रीतिभोज कार्यक्रम था। इस कार्यक्रम में आये स्वजनों ने आशीर्वाद स्वरूप वर और वधु को उपहार और राशि भेट की गयी। आशीर्वाद राशि के रूप में 11,122 रुपये मिले थे। चन्द्रप्रकाश और सुनीता ने इस रूपये को सहज भाव से वनवासी कल्याण आश्रम के विभाग संगठन मंत्री आनन्द जी के माध्यम से ‘‘सेवाकुंज आश्रम’’ कारीडाड़, चपकी, सोनभद्र छात्रावास को दान कर दिया। चन्द्र प्रकाश की बहन रंजना मिश्रा ने भी अपने उपहार राशि को छात्रावास को दे दिया। उल्लेखनीय है कि यह छात्रावास राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक रज्जूभैया के इच्छा और प्रेरणा से सन् 1999 में सेवाकुंज आश्रम की स्थापना सोनभद्र में हुई। स्वयंसेवकों के अथक परिश्रम, सेवाभावना समाज के सहयोग से यह आश्रम प्रगति पथ की ओर बढ़ रहा है। इस छात्रावास में वनवासी छात्र रहते हैं। आश्रम की विश्वसनियता सेवा करने की भावना तथा इसकी ख्याति ही प्रगति की प्रतीक बन गयी है।  
       सेवा समर्पण संस्थान द्वारा संचालित सेवाकुंज आश्रम, कारीडाड़, चपकी, सोनभद्र जिले के बभनी ब्लाक में स्थित है। 1996 के जुलाई माह में वनवासी क्षेत्र के विषय में कार्यकर्ताओं में चर्चा चली एवं यह तय किया गया कि बभनी ब्लाॅक में वनवासी क्षेत्र के विकास के लिये कुछ कार्य किया जाय, उस क्षेत्र में 80 प्रतिशत वनवासी रहते हैं। यहाँ पर शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्वावलम्बन के नाम पर कुछ भी नहीं हैं यहाँ पर अशिक्षा, बेरोजगारी एवं स्वास्थ्य के लिए कोई भी सुविधा नहीं है। इसके अभाव में भोले-भोले वनवासी बन्धु मिशनरियों के चंुगुल में फसकर इसाई बनते जा रहे है। सामाजिक उपेक्षा के कारण यह क्षेत्र राष्ट्रीय विचारधारा से कटता जा रहा है। 95 प्रतिशत बच्चे कुपोषण के शिकार है, शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं है। उपरोक्त समस्याओं पर विचार कर यह योजना बनी की सुदूर दक्षिणांचल में एक केन्द्र बनाया जाय जो अपने प्रयासों से उनके जीवन स्तर को सुधारने का कार्य करें। अप्रैल 1999 में यहाँ जमीन क्रय कर प्रकल्प की स्थापना की गयी।
      छात्रावास- सर्वप्रथम 4 विद्यार्थियों को लेकर छात्रावास की स्थापना की गई। वर्तमान समय में 80 विद्यार्थी 60 गाँवों के 12 जनजाति के लोग निवास कर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
ल् विद्यालय- जुलाई 2000 में प्राथमिक विद्यालय की स्थापना की गयी। प्रथम वर्ष में 65 छात्र थे, इस समय 125 छात्र आसपास के गाँवों से आकर पढ़ते हैं। पढ़ाने के लिये तीन अध्यापक एवं एक अध्यापिका कार्यरत हैं। शुरू में विद्यालय भवन का अभाव था लेकिन दानदाताओं के सहयोग से भवन का निर्माण हुआ एवं 23 मार्च को उसका लोकार्पण प्रान्तीय अध्यक्ष श्री आनन्द भूषण शरण, वरिष्ठ अधिवक्ता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के करकमलों से हुआ।
     मंदिर- सितम्बर 1999 में वनवासियों की मांग पर पूजन करने हेतु शिवलिंग की स्थापना परम पूजनीय शंकराचार्य श्री वासुदेवानन्द जी के करकमलों द्वारा रूद्राभिषेक से की गई। यहां पर वनवासी बन्धु प्रति सोमवार रात्रि में कीर्तन करते हैं एवं नित्य पूजन चल रहा है।
     स्वास्थ्य- वनवासियों के स्वास्थ्य सुधार के लिए एक डाॅक्टर सदैव उपलब्ध रहते हैं जो होमियो पैथिक एवं एलोपैथिक दवाओं से उपचार करते है। वहाँ पर 8 मरीजों को परीक्षण करने की व्यवस्था अभी बनपाई है। प्रतिमाह वहाँ पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डाॅक्टरों की टीम जाकर उनका निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं उपचार करती है। वर्ष में 2 बार आँखों का परीक्षण एवं आपरेशन होता है और निःशुल्क चश्में प्रदान किये जाते हैं। वर्ष 2001-12 में 45 आँखों के आपरेशन किये गये वर्ष में 2 बार हाइड्रोसील एवं हार्निया के आपरेशन भी किये, जिसका 25 वनवासियों ने लाभ उठाया।
     पौधशाला- जमीन सुधार हेतु यहाँ पर पौधशाला चालू की है। अल्प में करीब 3000 पेड़ लगाये गये है। जिसमें फलदार   एवं छायादार पौधे लगे हैं।
ल् स्वावलम्बन- वनवासी महिलाओं एवं बालिकाओं को आत्मनिर्भर करने हेतु यहाँ पर महिला सिलाई प्रशिक्षण केन्द्र 2001 में चालू किया गया जिसमें 12 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया एवं उसके दूसरे दौर में 10 महिलाओं एवं छात्र छात्राओं के द्वारा प्रशिक्षण कार्य चल रहा है। प्रशिक्षण पूर्ण होने पर उनको आधी किमत पर मशीन दी जाती है।
    खेल-कूद केन्द्र- उस समय बालकों के स्वास्थ्य के लिए 2 खेलकूद केन्द्र चलते हैं जिसमें खेलकूद के अलावा व्यायाम एवंहणं बौद्धिक विकास का कार्य भी चलता है। खेलकूद प्रतिभा के विकास हेतु तीरन्दाजी एक बड़ा केन्द्र खेल विभाग में सहयोग चल रहा है। जिसमें 92 तीरन्दाज नियमित प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। वहां से निकलकर 90 तीरन्दाज उ0प्र0 खेत विभाग के तीरन्दाजी छात्रावास में चयनित होकर राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण, रजत पदक प्राप्त किये है। - प्रस्तुति: लोकनाथ, 63 माधवकुंज, माधव मार्केट कालोनी, लंका, वाराणसी

No comments: