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Wednesday, October 3, 2012

पूर्व सरसंघचालक की अस्थियां संगम में विसर्जित इलाहाबाद 27 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक कुपहल्ली सीतारमैय्या सुदर्शन की अस्थियां गुरूवार को वैदिक मंत्रों के साथ गंगा-यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में विसर्जित कर दी गयी। इस अवसर पर संघ परिवार से जुड़े पूरे राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं भाजपा नेता भारी संख्या में संगम तट पर मौजूद रहे। अस्थियों को विसर्जित करने के लिए संगम स्थल पर बांस और तख्त का एक विशेष मंच बनाया गया था जहां संघ मुख्यालय नागपुर के प्रचारक सुनील नियाड़े व संघ के अन्य पदाधिकारी स्टीमर से अस्थि कलश लेकर पहुंचे। संगम में अस्थियों को प्रवाहित करने से पहले वैदिक विद्वानों एवं आचार्यों द्वारा आवश्यक पूजन की प्रक्रिया भी पूरी की गयी। इससे पहले पूर्व सरसंघचालक का अस्थि कलश ज्वाला देवी इण्टर कालेज से संगम तक एक सजे हुए विशेष वाहन से लाया गया। साथ में हजारों की संख्या में संघ परिवार के स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ता अस्थि कलश के साथ चल रहे थे। श्री सुदर्शन का अस्थि कलश बुधवार शाम को नागपुर से सुनील नियाड़े लेकर यहां पहुंचे। अस्थि कलश को रात भर के लिए संघ के सिविल लाइंस कार्यालय पर रखा गया था। गुरूवार को प्रातः सात बजे ज्वाला देवी इण्टर कालेज में अस्थि कलश को लोगों के दर्शन एवं श्रद्धांजलि के लिए रखा गया था। स्वावलम्बन के पक्के पक्षधर थे सुदर्शन-डा.जोशी इलाहाबाद 27 सितम्बर (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता डा0 मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कुपहल्ली सीतारमैय्या सुदर्शन स्वावलम्बन के पक्के पक्षधर थे। वह व्यक्ति, समाज और देश में स्वावलम्बन की स्थिति कैसे आए इसके लिए भी सतत् चिन्तनशील रहते थे। आवश्यकता पड़ने पर लोगों का मार्गदर्शन भी करते थे। श्रद्धांजलि देते डा0 मुरली मनोहर जोशी डा0 जोशी गुरूवार को नगर के ज्वाला देवी इण्टर काॅलेज प्रांगण में केएस सुदर्शन की श्रद्धाजंलि सभा में बोल रहे थे। डा0 जोशी ने कहा कि पूर्व सरसंघचालक चाहते थे कि देश की अपनी भाषा और अपना विज्ञान हो। वह विज्ञान के अतिरिक्त कृषि, चिकित्सा, शिक्षा, उद्योग और ऊर्जा सभी क्षेत्र में देश को स्वावलम्बी देखना चाहते थे। वैकल्पिक ऊर्जा के वे प्रबल पक्षधर थे। पूर्व सरसंघचालक से अपने निकटतम संबंधों की चर्चा करते हुए देश के पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा0 जोशी ने बताया कि जब वे केन्द्र में मंत्री थे श्री सुदर्शन उन्हें अक्सर शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुझाव देते रहते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गरिमामयी सरसंघचालक पद से हटने के बाद भी उनका कृषि के प्रति अटूट प्रेम नहीं हटा और वे भोपाल प्रवास के दौरान अपने छोटे से आवास के छत पर भी जैविक खेती का प्रयोग करते थे और यदि उनके पास कोई कृषि वैज्ञानिक पहुंचता था तो उसे वह उस खेती को दिखाकर यह कहना भी नहीं भूलते थे कि हमारे देश के किसान इस तरह की खेती करके भारतवर्ष को स्वावलम्बी बना सकते हैं। डा0 जोशी ने बताया कि श्री सुदर्शन अद्भुत राष्ट्रप्रेमी थे। शायद इसीलिए वे देश में हिन्दू और मुस्लिम समन्वय के प्रति सतत् चिन्तनशील रहे। साथ ही देश के सारे समाज को हिन्दुत्व की धारा से जोड़े रखना और उसके लिए सदैव प्रयत्नशील रखना श्री सुदर्शन के व्यक्तित्व का अनूठा लक्षण था। उ0प्र0 के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने उक्त अवसर पर कहा कि लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्मयोग का सहारा लेते हैं लेकिन श्री सुदर्शन के अन्दर इन तीनों का सम्मिश्रण विद्यमान था। यद्यपि उनके अन्दर कर्मयोग ज्यादा प्रधान था। श्री सिंह ने बताया कि पूर्व सरसंघचालक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विषयों पर जो भी चिन्तन प्रस्तुत करते थे वह सदैव मौलिक हुआ करता था। भारत की चुनाव प्रणाली भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हो, इसके वह प्रबल पक्षधर रहे। साथ ही श्री सुदर्शन अपने विचारों को बेबाक रूप से प्रस्तुत करते थे। संघ के क्षेत्र संघचालक ईश्वर चंद्र गुप्त एवं सह क्षेत्र संघचालक प्रो. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने श्री सुदर्शन के साथ कार्य करने का अनुभव बांटा और बताया कि हिन्दी के प्रति उनका अगाध प्रेम था। इसीलिए उनके सामने बात करते वक्त हम सबको अधिक सावधान रहना पड़ता था। प्रो0 सिंह ने बताया कि पूर्व सरसंघचालक देश में चिकित्सा और अभियांत्रिकी की शिक्षा को भी हिन्दी माध्यम से करवाना चाहते थे। पूर्व में क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार ने श्री सुदर्शन के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए सच्चा बाबा अरैल के महन्त गोपालजी महाराज ने आशा व्यक्त की कि अपने अधूरे कार्यों को पूरा करने हेतु श्री सुदर्शन इस धरती पर पुनः किसी न किसी रूप में अवश्य आयेंगे। कार्यक्रम का संचालन विभाग कार्यवाह नागेन्द्र जायसवाल ने किया। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार, कलराज मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मी कान्त बाजपेयी, डा0 महेन्द्र सिंह, प्रदेश के पूर्वमंत्री डा0 नरेन्द्र सिंह गौर, जय प्रकाश, डा0 यज्ञ दत्त शर्मा, उदयभान करवरिया, योगेश शुक्ला, प्रांत संघचालक विश्वनाथ लाल निगम, गोरक्ष प्रांत संघचालक डा0 उदय प्रताप सिंह, अवध प्रांत संघचालक प्रभुचंद्र श्रीवास्तव, उ0प्र0 लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 केबी पाण्डेय, क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण, काशी प्रांत प्रचारक अभय कुमार, गोरक्ष प्रांत प्रचारक अनिल, सह प्रान्त प्रचारक राजेन्द्र, अवध प्रांत प्रचारक संजय, विभाग प्रचारक मनोज, कानपुर प्रान्त कार्यवाह काशीराम, विहिप के प्रान्त संगठन मंत्री मनोज कुमार, भारतीय मजदूर संघ के अनुपम कुमार, प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, श्री चिन्तामणी सिंह, अम्बरीश, रामानन्दाचार्य, विनोद प्रकाश श्रीवास्तव, विभाग संघचालक राम शिरोमणि, ओमप्रकाश, दिनेश कुमार, अशोक मेहता सहित हजारों की संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे। गौरतलब है कि पूर्व सरसंघचालक श्री सुदर्शन का विगत 15 सितम्बर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार 16 सितम्बर को संघ के मुख्यालय नागपुर में सम्पन्न हुआ। बुधवार शाम को उनका अस्थि कलश संगम में प्रवाहित करने हेतु इलाहाबाद लाया गया था।






इलाहाबाद 27 सितम्बर (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पांचवें सरसंघचालक कुपहल्ली सीतारमैय्या सुदर्शन की अस्थियां गुरूवार को वैदिक मंत्रों के साथ गंगा-यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के पवित्र त्रिवेणी संगम में विसर्जित कर दी गयी। इस अवसर पर संघ परिवार से जुड़े पूरे राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं भाजपा नेता भारी संख्या में संगम तट पर मौजूद रहे। 
अस्थियों को विसर्जित करने के लिए संगम स्थल पर बांस और तख्त का एक विशेष मंच बनाया गया था जहां संघ मुख्यालय नागपुर के प्रचारक सुनील नियाड़े व संघ के अन्य पदाधिकारी स्टीमर से अस्थि कलश लेकर पहुंचे। संगम में अस्थियों को प्रवाहित करने से पहले वैदिक विद्वानों एवं आचार्यों द्वारा आवश्यक पूजन की प्रक्रिया भी पूरी की गयी। 
इससे पहले पूर्व सरसंघचालक का अस्थि कलश ज्वाला देवी इण्टर कालेज से संगम तक एक सजे हुए विशेष वाहन से लाया गया। साथ में हजारों की संख्या में संघ परिवार के स्वयंसेवक और भारतीय जनता पार्टी के नेता व कार्यकर्ता अस्थि कलश के साथ चल रहे थे। 
श्री सुदर्शन का अस्थि कलश बुधवार शाम को नागपुर से सुनील नियाड़े लेकर यहां पहुंचे। अस्थि कलश को रात भर के लिए संघ के सिविल लाइंस कार्यालय पर रखा गया था। गुरूवार को प्रातः सात बजे ज्वाला देवी इण्टर कालेज में अस्थि कलश को लोगों के दर्शन एवं श्रद्धांजलि के लिए रखा गया था। 
स्वावलम्बन के पक्के पक्षधर थे सुदर्शन-डा.जोशी
इलाहाबाद 27 सितम्बर (हि.स.)। भाजपा के वरिष्ठ नेता डा0 मुरली मनोहर जोशी का कहना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरसंघचालक कुपहल्ली सीतारमैय्या सुदर्शन स्वावलम्बन के पक्के पक्षधर थे। वह व्यक्ति, समाज और देश में स्वावलम्बन की स्थिति कैसे आए इसके लिए भी सतत् चिन्तनशील रहते थे। आवश्यकता पड़ने पर लोगों का मार्गदर्शन भी करते थे। 

श्रद्धांजलि देते डा0 मुरली मनोहर जोशी
डा0 जोशी गुरूवार को नगर के ज्वाला देवी इण्टर काॅलेज प्रांगण में केएस सुदर्शन की श्रद्धाजंलि सभा में बोल रहे थे। डा0 जोशी ने कहा कि पूर्व सरसंघचालक चाहते थे कि देश की अपनी भाषा और अपना विज्ञान हो। वह विज्ञान के अतिरिक्त कृषि, चिकित्सा, शिक्षा, उद्योग और ऊर्जा सभी क्षेत्र में देश को स्वावलम्बी देखना चाहते थे। वैकल्पिक ऊर्जा के वे प्रबल पक्षधर थे।
पूर्व सरसंघचालक से अपने निकटतम संबंधों की चर्चा करते हुए देश के पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री डा0 जोशी ने बताया कि जब वे केन्द्र में मंत्री थे श्री सुदर्शन उन्हें अक्सर शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुझाव देते रहते थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के गरिमामयी सरसंघचालक पद से हटने के बाद भी उनका कृषि के प्रति अटूट प्रेम नहीं हटा और वे भोपाल प्रवास के दौरान अपने छोटे से आवास के छत पर भी जैविक खेती का प्रयोग करते थे और यदि उनके पास कोई कृषि वैज्ञानिक पहुंचता था तो उसे वह उस खेती को दिखाकर यह कहना भी नहीं भूलते थे कि हमारे देश के किसान इस तरह की खेती करके भारतवर्ष को स्वावलम्बी बना सकते हैं। 
डा0 जोशी ने बताया कि श्री सुदर्शन अद्भुत राष्ट्रप्रेमी थे। शायद इसीलिए वे देश में हिन्दू और मुस्लिम समन्वय के प्रति सतत् चिन्तनशील रहे। साथ ही देश के सारे समाज को हिन्दुत्व की धारा से जोड़े रखना और उसके लिए सदैव प्रयत्नशील रखना श्री सुदर्शन के व्यक्तित्व का अनूठा लक्षण था।
उ0प्र0 के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह ने उक्त अवसर पर कहा कि लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए ज्ञान योग, भक्ति योग और कर्मयोग का सहारा लेते हैं लेकिन श्री सुदर्शन के अन्दर इन तीनों का सम्मिश्रण विद्यमान था। यद्यपि उनके अन्दर कर्मयोग ज्यादा प्रधान था। श्री सिंह ने बताया कि पूर्व सरसंघचालक सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विषयों पर जो भी चिन्तन प्रस्तुत करते थे वह सदैव मौलिक हुआ करता था। भारत की चुनाव प्रणाली भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित हो, इसके वह प्रबल पक्षधर रहे। साथ ही श्री सुदर्शन अपने विचारों को बेबाक रूप से प्रस्तुत करते थे। 
संघ के क्षेत्र संघचालक ईश्वर चंद्र गुप्त एवं सह क्षेत्र संघचालक प्रो. देवेन्द्र प्रताप सिंह ने श्री सुदर्शन के साथ कार्य करने का अनुभव बांटा और बताया कि हिन्दी के प्रति उनका अगाध प्रेम था। इसीलिए उनके सामने बात करते वक्त हम सबको अधिक सावधान रहना पड़ता था। प्रो0 सिंह ने बताया कि पूर्व सरसंघचालक देश में चिकित्सा और अभियांत्रिकी की शिक्षा को भी हिन्दी माध्यम से करवाना चाहते थे। 
पूर्व में क्षेत्र कार्यवाह रामकुमार ने श्री सुदर्शन के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता करते हुए सच्चा बाबा अरैल के महन्त गोपालजी महाराज ने आशा व्यक्त की कि अपने अधूरे कार्यों को पूरा करने हेतु श्री सुदर्शन इस धरती पर पुनः किसी न किसी रूप में अवश्य आयेंगे। कार्यक्रम का संचालन विभाग कार्यवाह नागेन्द्र जायसवाल ने किया। 
कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार, कलराज मिश्र, प्रदेश अध्यक्ष डा0 लक्ष्मी कान्त बाजपेयी, डा0 महेन्द्र सिंह, प्रदेश के पूर्वमंत्री डा0 नरेन्द्र सिंह गौर, जय प्रकाश, डा0 यज्ञ दत्त शर्मा, उदयभान करवरिया, योगेश शुक्ला, प्रांत संघचालक विश्वनाथ लाल निगम, गोरक्ष प्रांत संघचालक डा0 उदय प्रताप सिंह, अवध प्रांत संघचालक प्रभुचंद्र श्रीवास्तव, उ0प्र0 लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 केबी पाण्डेय, क्षेत्र प्रचारक शिव नारायण, काशी प्रांत प्रचारक अभय कुमार, गोरक्ष प्रांत प्रचारक अनिल, सह प्रान्त प्रचारक राजेन्द्र, अवध प्रांत प्रचारक संजय, विभाग प्रचारक मनोज, कानपुर प्रान्त कार्यवाह काशीराम, विहिप के प्रान्त संगठन मंत्री मनोज कुमार, भारतीय मजदूर संघ के अनुपम कुमार, प्रो0 गिरीश चन्द्र त्रिपाठी, श्री चिन्तामणी सिंह, अम्बरीश, रामानन्दाचार्य, विनोद प्रकाश श्रीवास्तव, विभाग संघचालक राम शिरोमणि, ओमप्रकाश, दिनेश कुमार, अशोक मेहता सहित हजारों की संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
गौरतलब है कि पूर्व सरसंघचालक श्री सुदर्शन का विगत 15 सितम्बर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में निधन हो गया था। उनका अंतिम संस्कार 16 सितम्बर को संघ के मुख्यालय नागपुर में सम्पन्न हुआ। बुधवार शाम को उनका अस्थि कलश संगम में प्रवाहित करने हेतु इलाहाबाद लाया गया था।


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