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Thursday, October 13, 2016

समरस एवं समर्थ भारत का निर्माण ही संघ स्थापना का उद्देश्य

समरस एवं समर्थ भारत का निर्माण ही संघ स्थापना का उद्देश्य – अजीत महापात्रा जी

अजीत महापात्रा जी ने विजयादशमी के दिन संघ की स्थापना के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि अब परिवर्तन का समय आ गया है, इसलिए सभी स्वयंसेवक कमर कसकर सामाजिक परिवर्तन के लिए आगे आयें. समाज में जिस तरह अभी भी असमानता एवं अविश्वास की भावनाएं व्याप्त हैं, उसे केवल स्वयंसेवक ही दूर कर सकते हैं. स्वयंसेवकों को अपने आप में परिवर्तन कर देश में व्यापक परिवर्तन की लहर चलाने के लिए आगे आना होगा, तभी समरस एवं समर्थ भारत का निर्माण हो सकता है. संघ की स्थापना का यही उद्देश्य है. स्वयंसेवकों को शिवाजी महाराज एवं स्वामी विवेकानन्द से प्रेरणा लेकर परिवर्तन का संवाहक बनना होगा.
सह क्षेत्र धर्म जागरण प्रमुख रामचन्द्र पाण्डेय जी ने कहा कि आज कुछ विदेशी शक्तियां देश को कमजोर करने का षड्यन्त्र कर रही हैं, उन्हीं के इशारे पर हिन्दुत्व विरोधी नेता संघ मुक्त भारत का राग अलापने लगे हैं. पूरा देश ऐसी शक्तियों की असलियत को समझ गया है, इसलिए अपनी मुहिम में ये कभी कामयाब नहीं हो सकते. हिन्दू समाज का नुकसान किसी भी स्थिति में न होने पाये, इसके लिए सभी को प्रयत्न करना होगा. देश की युवा शक्ति को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए संघ कार्य को बढ़ाने की आवश्यकता है. उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि परिस्थितियां चाहे जो हों विजय हमारी ही होगी.
इसके पूर्व स्वयंसेवकों ने समवेत रूप से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शस्त्र पूजन का अनुष्ठान पूर्ण किया. जार्जटाउन स्थित संघ कार्यालय से भारत माता की जय के उद्घोष के बीच स्वयंसेवकों ने पथ संचलन निकाला, जो नागरिकों के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहा. संचलन कार्यालय से निकलकर प्रीति नर्सिंग होम से घूमकर केपी इण्टर कॉलेज, बैरहना होते हुए सीएमपी डिग्री कॉलेज के सामने पुनः कार्यालय पहुंचा. मार्ग में कई स्थानों पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया. पहली बार संघ के नये गणवेश फुल पैंट में चल रहे स्वयंसेवक आकर्षण का केन्द्र रहे.
समारोह की अध्यक्षता जिला संघ चालक व्यंकटेश कुमार, भूपेन्द्र नाथ सिंह एडवोकेट ने की. इस अवसर पर विभाग प्रचारक मनोज, सहित अन्य गणमान्यजन, कार्यकर्ता व स्वयंसेवक उपस्थित थे.

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