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Monday, December 4, 2023

भारत की पारंपरिक चिकित्सा व्यवस्था में चिकित्सक रहे हैं भगवान धनवंतरी

 

नेशनल मेडिकल कमीशन ने अभी अपने लोगों में वाक्य में और परिचय मे थोड़ा सा परिवर्तन किया है, जिसको लेकर कुछ लोग काफी दुखी हैं और विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है भगवान धन्वंतरी सेक्युलर नहीं हैं और उनका चित्र लोगो में लगाना उचित नहीं है। परंतु मेरा यह मानना है कि ऐसा करना बिल्कुल उचित है, क्योंकि भारत की पारंपरिक चिकित्सा व्यवस्था को अगर देखे तो धनवंतरी जी चिकित्सक रहे हैं| प्राचीन भारत में और काशी में तो उनका स्थान और पहचान स्वरूप मंदिर भी है।

कई ग्रंथो में उनका और उनके कार्यों का उल्लेख भी है। क्योंकि आयुर्वेद भारत की पारंपरिक चिकित्सा का नाम है और इसके माध्यम से ही हजारों साल तक भारत के लोग कम से कम तो जीवित हैं और इतनी जनरेशन मनुष्यो की स्वस्थ्य रही हैं। जहां तक भारत में आज की चिकित्सा व्यवस्था, जिसको मॉर्डन मेडिसिन कहते हैं| उसका पदार्पण लगभग 100 वर्षो से हुआ है। आज के जीवन शैली में यह एक उचित पद्धति है। परंतु इसका यह बिलकुल मतलब नहीं कि प्राचीन व्यवस्था पूर्ण रूप से अप्रासंगिक हो गई। एक तरह से देखे तो धनवंतरी जी हमारे पूर्वज है। जिनको अभी तक ग्रीक या अन्य चिन्ह से दिक्कत नहीं थी, उनको इससे इतनी दिक्कत क्यों है, समझ नहीं आता।

वैसे इंडिया शब्द को भारत करने से शायद इन लोगों को आपत्ति ज्यादा है। भारत तो हमसब के हृदय स्थल जैसा है। इन दोनो को स्वीकार नहीं करना, मुलवासियो के विचारों के अपमान जैसा है।

-    डा विश्वंभर सिंह, पूर्व राष्ट्रीय सचिवएन.एम.ओ.


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