- गुरुद्वारों और आसपास के क्षेत्रों को रोशनी और दीपों से सजाया गया
देश
भर के साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में गुरु नानक जयंती का पर्व बड़े श्रद्धा और
उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर गुरुद्वारों में प्रभात फेरी का
आयोजन किया जाता है, जिसमें श्रद्धालु
सुबह-सुबह एकत्र होकर गुरबानी का कीर्तन करते हुए गुरुद्वारों के आस-पास के
क्षेत्रों में निकलते हैं। इस दौरान लोग गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार
करते हुए शबद-कीर्तन में लीन होते हैं।
शबद कीर्तन-
गुरुद्वारों
में गुरु नानक देव जी के उपदेशों और उनके शबद कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
भक्तगण "सतगुरु नानक परगटया" और अन्य पवित्र शबद गाते हैं, जिससे पूरे वातावरण में भक्ति का माहौल बन जाता है। ये शबद कीर्तन सुबह से
शाम तक चलते हैं और लोगों को आध्यात्मिकता से जोड़ने का काम करते हैं।
लंगर का आयोजन-
गुरु
नानक जयंती के मौके पर गुरुद्वारों में लंगर का आयोजन भी होता है, जिसमें सभी जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ भोजन
करते हैं। गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं में सेवा और समानता का संदेश महत्वपूर्ण
है, और लंगर इसी का प्रतीक है। इसमें निःशुल्क भोजन सभी को
परोसा जाता है, और सेवादार पूरी श्रद्धा और प्रेम से लोगों
की सेवा करते हैं।
शाम को आतिशबाजी का आयोजन-
उत्तर
प्रदेश और उत्तराखंड के कई गुरुद्वारों में शाम को आतिशबाजी का भी आयोजन होता है, जो इस पर्व को और भव्य बना देता है। आतिशबाजी से आसमान रंग-बिरंगे प्रकाश
से जगमगाने लगता है, और यह नज़ारा सभी के लिए आकर्षण का
केंद्र बनता है। इस दौरान गुरुद्वारों और आसपास के इलाकों को रोशनी और दीयों से
सजाया जाता है, जिससे माहौल और भी दिव्य हो जाता है।
इस तरह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी गुरु नानक जयंती को पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है, और इस पर्व पर सभी को गुरु नानक देव जी के संदेश को आत्मसात करने और मानवता की सेवा करने की प्रेरणा मिलती है।
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