WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

Saturday, June 2, 2012

संघ शिक्षा वर्ग के स्वयंसेवकों ने किया पथ संचलन






वाराणसी, 2 जून। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 20 दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग के स्वयंसेवकों ने शहर के प्रमुख मार्गों से पथ संचलन निकाला। पथ संचलन कर रहे स्वयंसेवकों का अनेक स्थानों पर नागरिकों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया।
 निवेदिता शिक्षा सदन के प्रांगण में 423 की संख्या में देश के कोने-कोने (उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चण्डीगढ़, उत्तराखण्ड, हिमांचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर एवं नेपाल राष्ट्र) से आये स्वयंसवेकों ने कदम से कदम मिलाकर पथसंचलन किया। यह संचलन निवेदिता शिक्षा सदन से होते हुए, सिगरा महमूरगंज रोड, रघुनाथ नगर, तुलसीपुर त्रिमुहानी, आकाशवाणी मार्ग, माहेश्वरी भवन, पाणिनी कन्या महाविद्यालय होते हुए निवेदिता बालिका इण्टर कालेज में जाकर स्वयंसेवकों ने हिन्दू साम्राज्य दिवस मनाया। स्थानीय निवेदिता शिक्षा सदन परिसर में संघ का 20 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग प्रथम व द्वितीय वर्ष का प्रशिक्षण चल रहा है। संघ शिक्षा वर्ग अपने आप में एक उदहारण हैं जहाँ स्वयंसेवक स्वयं अपना व्यय वहन करके प्रशिक्षण लेने आते हैं। यही संघ में कार्यकर्ता निर्माण की प्रक्रिया है। यहां पर स्वयंसेवकों में देशभक्ति, अनुशासन, संस्कारित नागरिक बनने व राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में कार्यकर्ता निर्माण हेतु प्रशिक्षण शिविरों की चार स्तरीय योजना होती है। इसमें प्राथमिक वर्ग, प्रथम वर्ष विशेष, द्वितीय वर्ष विशेष और तृतीय वर्ष विशेष के प्रशिक्षण वर्ग होते हैं। प्राथमिक संघ शिक्षा वर्ग की अवधि 7 दिन, प्रथम और द्वितीय वर्ष की अवधि 20-20 दिन, तथा तृतीय वर्ष के संघ शिक्षा वर्ग की अवधि 30 दिन होती है। विशेष संघ शिक्षा वर्ग में 40 वर्ष की आयु पूर्ण करने वाले स्वयंसेवक ही भाग लेते हैं। शिविर में दिन का आरम्भ प्रातः 4.00 बजे होता है। इसके बाद प्रातः 5.00 बजे एकात्मता स्त्रोत, प्राणायाम तथा शाखा के साथ दैनिक गतिविधियाँ आरम्भ होती हैं। इनमें अनेक सत्र होते हैं, जहाँ स्वयंसेवकों को शारीरिक, बौद्धिक, सेवा कार्य, आपदा प्रबन्धन, ग्राम विकास, स्वास्थ्य चेतना, पत्रकारिता इत्यादि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
हिन्दू साम्राज्यदिवस (ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी) पर वक्ताओं ने कहाकि छत्रपति शिवाजी के जन्म से पहले देश में निराशा का वातावरण था। भारत की सत्ता विदेशियों द्वारा संचालित होती थी, आज भी देश लगभग वैसी ही स्थिति से गुजर रहा है। ऐसे में केवल वीर शिवाजी का जीवन ही हमारे लिए प्रेरणादायी व मार्गदर्शक हो सकता है। 
 इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय अधिकारी, सर्वश्री बालकृष्ण जी, हस्तीमल जी, वर्ग कार्यवाह, सुभाष बोहरा, वर्ग पालक रामलखन सिंह, मुख्य शिक्षक गेशव गोपाल, राधेश्याम जी, सह मुख्यशिक्षक राजीव जी, वर्ग बौद्धिक प्रमुख नरेन्द्र जी, सेवा प्रमुख अजय जी, पर्यवेक्षक जागेश्वर जी आदि मौजूद थे।

No comments: