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Wednesday, May 29, 2013

पत्रकारिता में अपसंस्कृति के विस्तार पर चिंता

वाराणसी। आदर्शवादी पत्रकारिता के लिए इस दौर में नारद जैसे गुणों को विकसित कर सत्य के साथ मजबूती से खड़ा होने की जरूरत है। देवर्षि नारद जयंती को पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाने की परिपाटी को तभी समृद्ध किया जा सकेगा। मूल्यपरक पत्रकारिता के बल पर ही समाज को दिशा दी जा सकती है। नारद जयंती पर रविवार को यह बातें लंका स्थित विश्व संवाद केंद्र में विद्वानों ने कही। इसी दिन हिंदी के प्रथम अखबार ‘उदंत मार्तंड’ के कोलकाता से शुरू हुए प्रकाशन का भी जिक्र किया गया।
‘भारतीय संदर्भ में मूल्यपरक पत्रकारिता का महत्व’ विषयक परिचर्चा में अध्यक्ष पद से लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पत्रकार को मानवतावादी और राष्ट्रवादी बनना चाहिए। अपसंस्कृति के विस्तार पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया को कारपोरेट जगत संचालित कर रहा है। बाजारवाद आएगा तो लाभ-हानि का प्रश्न खड़ा ही होगा। ऐसे में विसंगतियां बढ़ती हैं। परिवर्तन ही विकास है लेकिन उसे विनाशकारी नहीं होने देना चाहिए। देवर्षि नारद निर्भीक होते हुए सत्य के पर्याय थे। उन्होंने बताया कि नारद संस्कार है और पत्रकारिता प्रवृत्ति। बतौर मुख्य अतिथि आकाशवाणी वाराणसी के केंद्र प्रमुख डॉ. रविशंकर उपस्थित थे। प्रो. ओमप्रकाश, डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने विचार व्यक्त किया। संचालन डॉ. अत्रि भारद्वाज ने किया। स्वागत हर्ष सिंह ने किया। इससे पहले, चेतना प्रवाह के प्रबंध संपादक नागेंद्र, सोच-विचार पत्रिका के संरक्षक डॉ. जितेंद्रनाथ मिश्र, अमर उजाला के अजय राय, हिमांशु उपाध्याय, बृजेश चंद्र यादव, प्रज्ञा त्रिपाठी को सम्मानित किया गया। प्रज्ञा को युवा प्रतिभा सम्मान दिया गया।





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