WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

Monday, September 28, 2020

कम नहीं है खिलौना व्यापार, दुनिया में सात लाख करोड़ का है कारोबार

 सरकार को पत्र लिखकर संगठन ने नेशनल टॉय पॉलिसी बनाने का किया अनुरोध 


दुनिया में कोई भी व्यापार छोटा नहीं है, आवश्यकता है तो उसे सही दिशा और गति देने की। खिलौना बच्चों के मनोरंजन का एक साधन मात्र है लेकिन व्यापारिक रूप से इसके विस्तार को दिखा जाए तो वह बहुत बड़ा व्यापार है। दुनिया में खिलौनों का व्यापार 7 लाख करोड़ का है। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार मंडल ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर नेशनल टॉय पॉलिसी बनाने का अनुरोध करते हुए संगठन ने कहा है कि भारत में खिलौनों का बाजार बहुत बड़ा है लेकिन टॉय पॉलिसी न होने से ढेर सारी अड़चनें आ रही है। राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के वरिष्ठ राष्ट्रीय संगठन मंत्री व वाराणसी व्यापार मंडल के अध्यक्ष अजीत सिंह बग्गा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 30 अगस्त को मन की बात में टॉय की बात की थी, इसके बाद अब भारत खिलौनों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाग लेने को आतुर है।

हालांकि इसके लिए सरकारी स्तर पर कुछ तैयारियां करनी होगी। व्यापार मंडल के पदाधिकारियों के अनुसार इस समय वैश्विक स्तर पर देखें तो खिलौनों का बाजार करीब सात लाख करोड़ रुपए का है। इसमें इस समय भारत की हिस्सेदारी बेहद कम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीते 30 अगस्त के अपने मन की बात में कहा था कि भारतीय खिलौना निर्माता अच्छी क्वालिटी के टॉय बनाएं ताकि खिलौनों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की हिस्सेदारी मजबूत हो सके। प्रधानमंत्री की प्राथमिकता को देखते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय शीघ्र ही नेशनल टॉय पॉलिसी बनायें। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री ने भारतीय खिलौना क्षेत्र को सरकार ने प्राथमिकता पर ले लिया है। अब सिर्फ नीति बनाया जाना बाकी है। नि:संदेह भारतीय खिलौना क्षेत्र काफी विरासत परंपरा विविधता और युवा आबादी के साथ समृद्ध है। यह गुणवत्ता वाले उच्चतम मानकों के खिलौनों के उत्पादन करने में सक्षम है, जो न केवल घरेलू बाजार की आवश्यकता को पूरा करने बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक प्रभावशाली हिस्सेदारी भी दर्ज कर सकता है। वर्तमान समय में अब टॉयज की पसंदगी भी बदल रही है। कुछ समय पहले तक मेकेनिकल टॉयज की पूछ थी। अब उसकी जगह इलेक्ट्रॉनिक टॉयज ग्राहकों की पसंद बन गए हैं हालांकि भारतीय टॉयज इंडस्ट्री में इलेक्ट्रॉनिक टॉयज बनाने की आवश्यक बुनियादी ढांचा है तब भी नई एवं उच्च तकनीक और विभिन्न प्रकार के डिजाइन के टॉय बनाने के लिए एक पॉलिसी तो होनी चाहिए। इसी पॉलिसी के द्वारा सरकार टॉय निर्माताओं को सहयोग दे सकती है।

Saturday, September 26, 2020

मानव जीवन का सम्पूर्ण प्रकृति के साथ एकात्म सम्बंध स्थापित करना ही एकात्म मानवदर्शन

पं दीनदयाल जी की जयंती अवसर पर आयोजित कार्यक्रम 

राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने 1968 में पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर उनके अधूरे कार्यों को पूर्ण करने का कार्य प्रारंभ किया. श्रद्धेय नानाजी ने 42 वर्ष में दीनदयाल स्मारक समिति से लेकर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना तक के सफर में पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानवदर्शन के विचारों को व्यावहारिक रूप से धरातल पर उतारने का काम सामूहिक पुरूषार्थ से करके दिखाया.

25 सितम्बर को पं दीनदयाल जी की जयंती अवसर पर दीनदयाल परिसर, उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट के दीनदयाल पार्क में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें प्रातःकाल से ही संस्थान के विविध प्रकल्प गुरुकुल संकुल, उद्यमिता विद्यापीठ, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, रामदर्शन एवं आरोग्यधाम के कार्यकर्ताओं द्वारा अलग- अलग एकत्रित होकर पं. दीनदयाल पार्क उद्यमिता परिसर में स्थापित लगभग 15 फीट ऊंची पं. दीनदयाल जी की प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया गया.पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़े प्रेरणादायी प्रसंगों का मंचन भी किया गया.

पं. दीनदयाल जी की जयंती अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन का वीडियो कांन्फ्रेसिंग के माध्यम से बीड़ महाराष्ट्र के कार्यकताओं के अभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर संबोधन हुआ. उन्होंने कहा कि मानव जीवन का सम्पूर्ण प्रकृति के साथ एकात्म सम्बंध स्थापित करना ही एकात्म मानवदर्शन कहलाता है. मानव का सर्वांगीण विचार उसके शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का संकलित विचार है. हमारा जीवन दर्शन परस्पर पूरक एवं परस्परावलम्बी है. अतः विकास के लिये सहकार और सहयोग का आधार लेना होगा. इसी चिंतन का नाम है एकात्म मानवदर्शन. पं. दीनदयाल जी का विचार दर्शन और जीवन हम सबके लिये प्रेरणादायी है.

                                            श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

सभी को साथ लेकर आगे बढ़ना, यही हमारी संस्कृति है – डॉ. मनमोहन वैद्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि हरियाणा के युवकों के लिए कृषि लघु प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता है. जिससे कृषि के नवाचारी शोधों का उपयोग किसान के विकास के लिए हो सके. डॉ. वैद्य शुक्रवार को हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद् एवं स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास द्वारा आयोजित वेबिनार के प्रथम सत्र में सम्बोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत की सम्पन्नता के बारे में दुनिया जानती है. भारत के लोग विदेशों में व्यापार करने के लिए गए लेकिन भारत के लोगों ने कभी भी किसी की जमीन पर कब्जा नहीं किया, न किसी का शोषण किया. हरियाणा की 85 प्रतिशत जमीन खेती करने लायक है. लेकिन यहां सबसे बड़ी परेशानी यह है कि खेती करने वाले ज्यादातर लोगों को उत्तम खेती का अनुभव नहीं है. यहां युवा एग्रीकल्चर में डिग्री तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन डिग्री हासिल करने के बाद वो खेती करने की बजाय नौकरी को प्राथमिकता देते हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब ने खेती में सम्पन्नता तो हासिल की लेकिन अत्याधिक पेस्टीसाइट के प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी को भी निमंत्रण दे दिया. फिर ऐसी सम्पन्नता किस काम की. इसलिए युवाओं का रुझान खेती की तरफ बढ़ाने के लिए युवाओं के लिए खेती-बाड़ी के प्रशिक्षण की व्यवस्था की आवश्यकता है. युवाओं को ऑर्गेनिक खेती के महत्व के बारे में जागरुक करने की आवश्यकता है. ताकि युवा जमीन की उपजाऊ शक्ति के अनुसार वहां आर्गेनिक खेती कर सकें और पानी के महत्व को समझ कर पानी की बर्बादी को रोकने में अपनी भूमिका निभा सकें.

उन्होंने न्यूजीलैंड का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यूजीलैंड में जर्सी व होस्टन गाय के दूध का प्रयोग अधिक होता था. इसके चलते वहां के लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती चली गई क्योंकि इन गायों का दूध इतना पौष्टिक नहीं होता. इसके बाद न्यूजीलैंड द्वारा भारत के गुजरात से गिर नस्ल की गायों को वहां ले जाया गया. क्योंकि हमारी गिर व देशी गायों के दूध में ए-2 होता है और आज ए-2 दूध की बिक्री बड़ी तेजी से बढ़ रही है क्योंकि यह दूध पौष्टिक है. उन्होंने कहा कि अगर कृषक अपनी पूरी जमीन पर आर्गेनिक खेती नहीं कर सकते तो पहले एक तिहाई से शुरुआत करके देखें. धीरे-धीरे जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी और हमें जहरमुक्त भोजन भी प्राप्त हो सकेगा. आर्गेनिक खेती के साथ-साथ आमदनी बढ़ाने के लिए किसान औषधियों व वनस्पति की खेती भी कर सकते हैं. इससे किसान की आमदनी बढ़ेगी.

डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि आज इंटरनेट का दौर है, इसलिए किसान भी ऑनलाइन बाजार का उपयोग कर देशभर में अपनी फसलों को अच्छे दामों में बेच कर मुनाफा कमा सकते हैं. क्योंकि ऑनलाइन फसल की बिक्री शुरु होने से कोल्ड स्टोर का निर्माण होगा, ट्रांसपोर्ट का काम बढ़ेगा, आईटी विभाग में रोजगार बढ़ेगा. युवाओं को नौकरी की बजाय स्वरोजगार की तरफ अपना रुझान करना चाहिए. इसके लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाना चाहिए तथा अधिक से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन हो. उत्पादन की बिक्री में वृद्धि करने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता के साथ-साथ उसकी डिजाइनिंग की तरफ भी विशेष ध्यान देना चाहिए. यदि डिजाइन आकर्षक होगा तो उत्पाद की बिक्री बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ युवाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाए. केवल मुझे ही आगे बढ़ना है, यह पाश्चात्य संस्कृति का विचार है. हमें सभी को साथ लेकर चलना है. अपने साथ-साथ सभी को आगे बढ़ाना है, यही हमारी संस्कृति है. हरियाणा में टूरिज्म के क्षेत्र में भी काफी संभावनाएं हैं. इसलिए हमारा प्रयास होना चाहिए कि यहां आने वाले टूरिस्ट यहां से अच्छी जानकारी व संस्कार लेकर जाएं ताकि दूसरे प्रदेशों व देशों में भी हमारी संस्कृति को बढ़ावा मिल सके. परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि हमें अपने युवाओं को चुनौतीपूर्ण वातावरण देना चाहिए, जिससे वे नवाचार व अविष्कार के अभ्यासी बनें.

श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Thursday, September 24, 2020

आज के संदर्भ में ज्ञान की प्राचीन परंपरा को बताएगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

बोले राज्यपाल : राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के विकास में मील का पत्थर बनेगी

काशी l काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के अंतर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केन्द्र की ओर से "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : प्राचीन ज्ञान परम्परा एवं आधुनिक शिक्षा" विषय पर आयोजित एक दिवसीय वेबिनार में राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 राष्ट्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी. इसमें बहुविषयी शिक्षा तथा समग्र विकास की बात समाहित है. 185 वर्षों के बाद भारतीयता पर यह शिक्षा नीति बनी है, जो आज के संदर्भ में ज्ञान की प्राचीन परंपरा को बताएगी।

वेबिनार में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए श्री मिश्र ने कहा कि बहुविषयी शिक्षा, संपूर्ण विकास, जड़ से जग तक, मानव से मानवता तक की बात राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में समावेषित है। नई शिक्षा नीति में आधुनिक शिक्षा से प्राचीन भारतीय ज्ञान को जोडने से आम जन संस्कारित होगा। शिक्षा के साथ संस्कार का होना आवश्यक है।

देश में अनेक भाषा और बोलियों के साथ शास्त्रीय नृत्य, संगीत, लोककला की विकसित परम्परा, मिटटी के पात्र, मुर्तिया और कांसे की उम्दा वस्तु कला, असाधारण व्यंजन, हर एक प्रकार के उत्तम टेक्सटाइल जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारी महान विविधता को प्रदर्शित करता है. उन्होंने कहा कि विश्व धरोहर के लिए इन समृद्ध विरासतों को न केवल भावी पीढ़ी के लिए पोषित और संरक्षित किया जाना आवश्यक है बल्कि हमारी शिक्षा प्रणाली के जरिए इन्हें बढ़ाना और इन्हें ने तरीके से उपयोग में भी लाना जरूरी है।

बाणभट्ट के कादम्बरी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कादम्बरी में वर्णित 64 लोककलाओं पर आधारित अंतरविषयी, स्वावलंबन, एवं हमारे प्राचीन ज्ञान भारत को सार्वभौमिक एवं शाश्वत ज्ञान के रूप में विकसित करेंगे और भारत विश्व को दिशा देगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सर्वोच्च संस्थानों के माध्यम से इस शिक्षा नीति को पूर्णतः प्रतिबद्धता के साथ प्रतिपादित करना होगा. अंतर विश्वविद्यालयीय अध्यापक शिक्षा केन्द्र काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक-शिक्षा हेतु एक सर्वोच्च संस्था के रूप में स्थापित की गयी है, उसका यह दायित्व बनता है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उच्च शिक्षा में शिक्षक-शिक्षण की अनुशंसाओं को पूर्णतया प्रतिपादित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करे.

राफेल उड़ाने वाली देश की पहली महिला पायलट बनेगी बनारस की बेटी शिवांगी

देश का सबसे ताकतवर और आधुनिक लड़ाकू विमान राफेल देश के दुश्मनों को धुल चटाने के लिए पूरी तरह तैयार है और राफेल उड़ाने की जिम्मेदारी बनारस की बेटी शिवांगी को भी सौंपी गयी है. इसके साथ ही शिवांगी का नाम राफेल उड़ाने वाली देश की पहली महिला पायलट के रूप में दर्ज हो जाएगा.

शिवांगी का प्रशिक्षण

बनारस के फुलवरिया क्षेत्र की शिवांगी ने वर्ष 2016 में बीएस-सी की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसी दौरान एनसीसी के बैच में शामिल शिवांगी ने 7 यूपी एयर स्क्वाड्रन से प्रारंभिक प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद वो हैदराबाद पहुंची. राफेल विमान के पायलटों के लिए शुरू चयन प्रक्रिया के दौरान वायुसेना सेना की सभी 10 महिला पायलटों में शिवांगी भी शामिल थी और बनारस के लिए गर्व की बात है कि इसमें से सिर्फ फ्लाईट लेफ्टिनेंट शिवांगी का चयन हुआ. अब उन्हें आगे के प्रशिक्षण के लिए अम्बाला बुलाया गया है.

बास्केटबॉल की नेशनल चैंपियन हैं शिवांगी

पढ़ाई में मेधावी शिवांगी का एनसीसी में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन रहता था. शिवांगी को बास्केटबॉल की नेशनल खिलाड़ी का भी गौरव प्राप्त है. एनसीसी में राजपथ पर 2013 में परेड करने के बाद शिवांगी ने बांग्लादेश का भी दौरा किया. शिवांगी वहां भी सर्वश्रेष्ठ कैडेड चुनी गयी.

Wednesday, September 23, 2020

जानें क्या है कृषि सुधार विधेयक 2020

कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020

ऐसे पारिस्थितिक तंत्र के सृजन का वहां, जहां कृषक और व्यापारी, ऐसी कृषक उपज के, विक्रय और क्रय संबंधी चयन की स्वतंत्रता का उपभोग करते हैं, जो प्रतिस्पर्धात्मक वैकल्पिक व्यापारिक चैनलों के माध्यम से लाभकारी कीमतों को सुकर बनाता है, का उपबंध करने के लिए; बाजारों के भौतिक परिसर या विभिन्न राज्य कृषि उपज बाजार संबंधी विधानों के अधीन अधिसूचित समझे गए बाजारों के बाहर कृषक उपज का दक्ष, पारदर्शी और निर्बाध अंतराज्यिक और अंतःराज्यिक व्यापार और वाणिज्य के संवर्धन के लिए; इलैक्ट्रानिक  व्यापार के लिए सुसाध्य ढ़ांचे का और उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का  उपबंध करने के लिए विधेयक

क्या है विधेयक, जानें पूरा विवरण :
भारत गणराज्य के
इकहत्तरवें वर्ष में संसद् द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :

अध्याय 1

प्रारंभिक
.1. (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अधिनियम, 2020 है ।
    (2) यह 5 जून, 2020 को प्रवृत्त हुआ समझा जाएगा ।
2. इस अधिनियम में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो
    (क) इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म" से कृषक उपज का, किसी इलैक्ट्रानिक युक्तियों और इंटरनेट प्रयोग के नेटवर्क के माध्यम से व्यापार और वाणिज्य के संचालन हेतु प्रत्यक्ष और आनलाइन क्रय और विक्रय को सुकर बनाने के लिए स्थापित ऐसा प्लेटफार्म अभिप्रेत  है, जहां प्रत्येक ऐसे संव्यवहार का परिणाम कृषक उपज का वास्तविक परिदान होता है ;
    (ख) कृषक से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो स्वयं या भाड़े के श्रमिक द्वारा या अन्यथा कृषक उपज के उत्पादन में लगा हुआ है और इसके अंतर्गत निर्माता, कृषक निर्माता संगठन भी है ;
    (ग) कृषक उपज से निम्नलिखित अभिप्रेत है,
    (i) गेहूं, चावल या अन्य मोटा अनाज, दालें, खाद्य तिलहन, तेल, सागभाजी, फल, मेवा, मसाले, गन्ना और कुक्कुट, सूअर, बकरी, मत्स्य और डेरी उत्पाद सहित ऐसे खाद्य पदार्थ जो अपनी नैसर्गिक या प्रसंस्कृत रूप में मानव उपभोग के लिए आशयित है ;
    (ii)  खली और अन्य सांद्रों सहित पशु चारा ; और
        (iii) कच्ची कपास, चाहे उसकी ओटाई की गई है या ओटाई नहीं की गई है, बिनौला और कच्चा पटसन ;
    (घ) कृषक उत्पादक संगठन से, कृषकों का कोई ऐसा सगंम या समूह अभिप्रेत है, चाहे वह किसी नाम से ज्ञात हो, जो
    (i) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत है ; या
    (ii) केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित किसी स्कीम या कार्यक्रम के अधीन संवर्धित है;
    (ङ) अंतरराज्यिक व्यापार से कृषक उपज के क्रय या विक्रय की ऐसी कार्रवाई अभिप्रेत है जिसमें एक राज्य का व्यापारी, अन्य राज्य के कृषक या किसी व्यापारी से कृषक उपज का क्रय करते हैं और ऐसी कृषक उपज का परिवहन उस राज्य से जहां से व्यापारी ने ऐसी कृषक उपज खरीदी है या जहां से ऐसी कृषक उपज उत्पन्न होती है, भिन्न राज्य में किया जाता है ;
    (च) अंतःराज्यिक व्यापार से कृषक उपज के क्रय या विक्रय की ऐसी कार्रवाई अभिप्रेत है, जिसमें एक राज्य का व्यापारी, उसी राज्य के किसी कृषक या व्यापारी से, कृषक उपज का क्रय करता है, जहां से व्यापारी ने ऐसी कृषक उपज खरीदी है या जहां ऐसी कृषक उपज उत्पन्न होती है ;
    (छ) अधिसूचना से केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा राजपत्र में प्रकाशित की गई कोई अधिसूचना अभिप्रेत है और तद्नुसार अधिसूचित पद का वही अर्थ लगाया जाएगा ;
   (ज) व्यक्ति के अंतर्गत निम्नलिखित है

(क) कोई व्यष्टि;

(ख) कोई भागीदारी फर्म;

(ग) कोई कंपनी;

(घ) कोई सीमित दायित्व भागीदारी;

(ङ) कोई सहकारी सोसाइटी;

(च) कोई सोसाइटी ; या

           (छ) ऐसा कोई संगम या व्यक्ति निकाय जो केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी चालू कार्यक्रम के अधीन सम्यक् रूप से एक समूह के रूप में निगमित या मान्यताप्राप्त है ;
    (झ) विहित से इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है ;
     (ञ) अनुसूचित कृषक उपज से विनियमन के लिए किसी राज्य कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम के अधीन विनिर्दिष्ट कोई कृषि उपज अभिप्रेत है ;
      (ट) राज्य के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र भी है ;
      (ठ) राज्य कृषि उपज बाजार समिति अधिनियमसे भारत में प्रवृत्त कोई ऐसा राज्य विधान या संघ राज्यक्षेत्र का विधान, चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो, अभिप्रेत है, जो उस राज्य में की कृषि उपज को विनियमित करता हैं;
      (ड) व्यापार क्षेत्रसे

(क) फार्म गेट;

(ख) कारखाना परिसर;

(ग) भांडागार;

(घ) खत्ती;

(ङ) शीतागार;

       (च) कोई अन्य ढांचा या स्थान,
सहित कोई ऐसा क्षेत्र या अवस्थान, उत्पादन, संग्रहण और संकलन का ऐसा स्थान अभिप्रेत है जहां से भारत के राज्यक्षेत्र में कृषक उपज का भारत के राज्यक्षेत्र में व्यापार किया जा सकेगा किन्तु इसके अन्तर्गत
(i) भारत में प्रवृत्त प्रत्येक कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम के अधीन गठित बाजार समितियों द्वारा व्यवस्थित और संचालित मुख्य बाजार यार्ड, उप-बाजार यार्ड और बाजार उप-यार्ड की भौतिक सीमाओं; और
(ii) अनुज्ञप्तियां धारण करने वाले व्यक्तियों द्वारा व्यवस्थित प्राइवेट बाजार यार्डों, प्राइवेट बाजार उप यार्डों, प्रत्यक्ष विपणन संग्रहण केन्द्रों और प्राइवेट कृषक उपभोक्ता बाजार यार्डों या किन्हीं भांडागारों, खत्तियों, शीतागारों, भारत में प्रवृत्त प्रत्येक राज्य कृषि उपज विपणन समिति अधिनियम के अधीन बाजार या समझे गए बाजारों के रूप में अन्य संरचनाओं, से मिलकर बना कोई परिसर, अहातों और संरचनाएं सम्मिलित नहीं हैं;
(ढ) व्यापारी से कोई ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो अन्तरराज्यिक व्यापार या अंतः राज्यिक व्यापार या उन दोनों के संयोजन द्वारा, थोक व्यापार, खुदरा, अंत्य उपयोग, मूल्य वर्धन, प्रसंस्करण, विनिर्माण, निर्यात, उपभोग के प्रयोजन के लिए या ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए स्वयं या एक या अन्य व्यक्तियों की ओर से कृषक उपज का क्रय करता है।

अध्याय 2

कृषक उपज के व्यापार और वाणिज्य का संवर्धन और सरलीकरण
3. किसी व्यापार क्षेत्र में व्यापार और वाणिज्य की स्वतन्त्रता :
इस अधिनियम के उपबन्धों  के अधीन रहते हुए, किसी कृषक या व्यापारी या इलैक्ट्रानिक व्यापार और संव्यवहार प्लेटफार्म को, किसी व्यापार क्षेत्र में कृषक उपज में अन्तरराज्यिक या अंतःराज्यिक व्यापार और वाणिज्य करने की स्वतन्त्रता होगी।
4. अनुसूचित कृषक उपज का व्यापार और वाणिज्य :
(1) कोई व्यापारी, किसी व्यापार क्षेत्र में किसी कृषक या किसी अन्य व्यापारी के साथ अनुसूचित कृषक का अन्तरराज्यिक व्यापार या अंतःराज्यिक व्यापार कर सकेगा :
परंतु कोई व्यापारी, कृषक निर्माता संगठनों या कृषि सहकारी सोसाइटी के सिवाय किसी अनुसूचित कृषक उपज का तब तक व्यापार नहीं करेगा जब तक ऐसे व्यापारी को आय-कर अधिनियम, 1961 के अधीन स्थायी खाता संख्यांक आबंटित न किया गया हो या उसके पास कोई ऐसा अन्य दस्तावेज जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, न हो ।
(2) केन्द्रीय सरकार, यदि उसकी यह राय है कि लोक हित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है किसी व्यापार क्षेत्र में किसी व्यापारी के इलैक्ट्रानिक रजिस्ट्रेशन प्रणाली, व्यापार संव्यवहार की रीतियां और अनुसूचित कृषक उपज के भुगतान की पद्धति विहित कर सकेगी।
(3) प्रत्येक व्यापारी जो कृषकों के साथ संव्यवहार करता है, व्यापार की गई अनुसूचित कृषक उपज का भुगतान उसी दिन या यदि प्रक्रियात्मक रूप से ऐसा अपेक्षित है, तो इस शर्त के अधीन रहते हुए कि कृषक को शोध्य भुगतान की रकम में वर्णित परिदान की रसीद उसी दिन दी जाएगी, अधिकतम तीन कार्यदिवस के भीतर भुगतान करेगा:
परंतु केन्द्रीय सरकार, क्रेताओं से संदाय रसीद के साथ जुड़े हुए संबद्ध कृषक उपज संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी, चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो, द्वारा भुगतान की भिन्न भिन्न प्रक्रिया विहित कर सकेगी।
5. इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म :
(1) आय-कर अधिनियम, 1961 के अधीन आबंटित स्थायी खाता संख्यांक या ऐसा कोई अन्य दस्तावेज, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाए, रखने वाला कोई व्यक्ति (किसी व्यष्टि से भिन्न) कोई कृषक निर्माता संगठन या कृषि सहकारी सोसाइटी, किसी व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के अन्तर-राज्यिक या अंतःराज्यिक व्यापार को सुकर बनाने के लिए कोई इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म स्थापित कर सकेगा और उसका प्रचालन कर सकेगा:
परन्तु इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म स्थापित और प्रचालित करने वाला व्यक्ति, व्यापार की रीति, फीस, अन्य प्लेटफार्मों के साथ अन्तर व्यवहार्य सहित तकनीकी पैरामीटर, तर्कसंगत व्यवस्थाएं, गुणवत्तापूर्ण निर्धारण, यथासमय भुगतान, प्लेटफार्म के प्रचालन के स्थान की स्थानीय भाषा में मार्गदर्शक सिद्धांतों का प्रसारण जैसी उचित व्यापार पद्धतियों और ऐसे अन्य विषयों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत तैयार करेगा और उनका क्रियान्वयन करेगा। 
(2) यदि केन्द्रीय सरकार की यह राय है कि लोक हित में ऐसा करना आवश्यक और समीचीन है तो वह, नियमों द्वारा, किसी व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज के उचित अन्तर-राज्यिक और अंतराराज्यिक व्यापार और वाणिज्य को सुकर बनाने के लिए इलैक्ट्रानिक व्यापारिक मंचों के लिए
   (क) रजिस्ट्रीकरण की प्रक्रिया, मानदंड, रीति विनिर्दिष्ट कर सकेगी; और
    (ख) आचार संहिता, अन्य प्लेटफार्म के साथ अन्तर व्यवहार्य सहित तकनीकि पैरामीटर जिसके अंतर्गत अनुसूचित कृषक उपज की तर्कसंगत व्यवस्थायें और उनका गुणवत्तापूर्ण निर्धारण भी है, विनिर्दिष्ट कर सकेगी ।
6. व्यापार क्षेत्रों में  राज्य कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम, आदि के अधीन बाजार फीस :
किसी राज्य कृषि उपज बाजार समिति अधिनियम या किसी अन्य राज्य विधि के अधीन किसी कृषक या व्यापारी या इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म से किसी व्यापार क्षेत्र में अनुसूचित कृषक उपज में व्यापार और वाणिज्य के लिए कोई बाजार फीस या उपकर या उद्ग्रहण चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो उद्गृहीत नहीं किया जाएगा। 
7. कीमत सूचना और बाजार आसूचना प्रणाली :
(1) केन्द्रीय सरकार, किसी केन्द्रीय सरकार संगठन के माध्यम से, कृषक उत्पाद के लिए कीमत सूचना और बाजार आसूचना प्रणाली और उससे सम्बंधित सूचना के प्रसारण हेतु एक रूपरेखा विकसित कर सकेगी।
(2) केन्द्रीय सरकार, ऐसे संव्यवहारों के संबंध में, जो विहित किए जाएं, किसी व्यक्ति से, सूचना उपलब्ध करवाने के लिए एक इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म का स्वामी होने की और उसके प्रचालन की अपेक्षा कर सकेगी।
स्पष्टीकरणइस धारा के प्रयोजनों के लिए केन्द्रीय सरकार संगठन पद के अन्तर्गत कोई अधीनस्थ या सहबद्ध कार्यालय, सरकार के स्वामित्वाधीन या संबंधित कंपनी या सोसाइटी भी है।

अध्याय 3

विवाद समाधान
8. कृषकों के लिए विवाद समाधान तंत्र :
   (1) इस अधिनियम की धारा 4 के अधीन कृषक और किसी व्यापारी के बीच किसी संव्यवहार से उद्भूत किसी विवाद की दशा में, पक्षकार, आवेदन फाइल करके उपखंड मजिस्ट्रेट से, सुलह के मार्फत पारस्परिक प्रतिग्राह्य समाधान की ईप्सा कर सकेंगे जो ऐसे विवाद को, विवाद के आबद्धकर परिनिर्धारण को सुकर बनाने के लिए उसके द्वारा नियुक्त सुलह बोर्ड को निर्दिष्ट करेगा।

(2) उपधारा (1) के अधीन उपखंड मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त प्रत्येक सुलहबोर्ड, एक अध्यक्ष और कम से कम दो और चार से अनधिक ऐसे सदस्यों से मिलकर बनेगा जिन्हें उपखंड मजिस्ट्रेट ठीक समझे।

    (3) अध्यक्ष, उपखंड मजिस्ट्रेट के पर्यवेक्षण और नियंत्रण के अधीन सेवारत कोई अधिकारी होगा और अन्य सदस्य विवाद के पक्षकारों का प्रतिनिधित्व करने हेतु बराबर संख्या में नियुक्त व्यक्ति होंगे और किसी पक्षकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त कोई व्यक्ति उस पक्षकार की सिफारिश पर नियुक्त किया जाएगा :
 परन्तु यदि कोई पक्षकार, सात दिन के भीतर ऐसी सिफारिश करने में असफल रहेगा तो उपखंड मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्तियों की नियुक्ति करेगा जिन्हें वह उस पक्षकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए ठीक समझे ।
    (4) जहां, सुलह कार्यवाहियों के दौरान किसी विवाद के संबंध में कोई समाधान हो जाता है वहां तद्नुसार समाधान ज्ञापन बनाया जाएगा और वह ऐसे विवाद के पक्षकारों द्वारा हस्ताक्षरित होगा जो पक्षकारों पर आबद्धकर होगा।
    (5) यदि उपधारा (1) के अधीन संव्यवहार के पक्षकार, इस धारा के अधीन उपवर्णित रीति में तीस दिन के भीतर विवाद का समाधान करने में असमर्थ रहते हैं तो वे संबद्ध उपखंड मजिस्ट्रेट से सम्पर्क कर सकेंगे जो ऐसे विवाद के समाधान के लिए उपखंड प्राधिकारी होगा।
    (6) उपखंड प्राधिकारी, स्वप्रेरणा से या किसी याचिका के आधार पर या किसी सरकारी अभिकरण से निर्देश के आधार पर धारा 4 या उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों के किसी उल्लघंन का संज्ञान लेगा और उपधारा (7) के अधीन कार्रवाई करेगा।
    (7) उपखंड प्राधिकारी, इस धारा के अधीन विवाद या उल्लंघन का विनिश्चय, उसके फाइल किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर संक्षिप्त रीति में करेगा और
(क) विवादाधीन रकम की वसूली का आदेश पारित कर सकेगा; या           
(ख) ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा जो धारा 11 की उपधारा (1)  के अधीन अनुबद्ध है; या
(ग) इस अधिनियम के अधीन प्रत्यक्ष रूप या अप्रत्यक्ष रूप से ऐसी अवधि के लिए, जो वह ठीक समझे अनुसूचित कृषक उपज के किसी व्यापार और सम्बंधी व्यापारिक कार्य को करने से विवादग्रस्त व्यापारी को अवरुद्ध करने का आदेश पारित कर सकेगा।
(8) उपखंड प्राधिकारी के आदेश से व्यक्ति को पक्षकार, ऐसे आदेश के तीस दिन के भीतर अपील प्राधिकारी (कलक्टर या कलक्टर द्वारा नामनिर्दिष्ट अपर कलक्टर) के समक्ष अपील कर सकेगा जो ऐसी अपील फाइल किए जाने की तारीख से तीस दिन के भीतर अपील का निपटारा करेगा।
(9) इस धारा के अधीन उपखंड प्राधिकारी या अपील प्राधिकारी का प्रत्येक आदेश किसी सिविल न्यायालय की डिक्री का बल रखेगी और उस रूप में प्रवर्तनीय होगी और डिक्रीत रकम की भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूली की जाएगी।
(10) उपखंड प्राधिकारी के समक्ष कोई याचिका या कोई आवेदन और अपील प्राधिकारी के समक्ष कोई अपील फाइल करने की रीति और प्रक्रिया वह होगी जो विहित की जाए।
9. इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म के प्रचालन के अधिकार का निलंबन या रद्दकरण :
(1) कृषि विपणन सलाहकार, विपणन और निरीक्षण निदेशालय, भारत सरकार या राज्य सरकार का ऐसा कोई अधिकारी जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा राज्य सरकार के परामर्श से ऐसी शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हैं, स्वप्रेरणा से या किसी याचिका के आधार पर या किसी सरकारी अभिकरण के निर्देश के आधार पर,  प्रक्रियाओं, मानदण्डों, रजिस्ट्रीकरण की रीति और आचार  संहिता के किसी अंग का या धारा 5 के अधीन स्थापित इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म द्वारा उचित व्यापार पद्धतियों के मार्गदर्शक सिद्धांतों के किसी अंग का संज्ञान ले सकेगा और प्राप्ति की तारीख से साठ दिन के भीतर आदेश द्वारा और ऐसे कारणों से जो लेखबद्ध किए जाएं, वह

(क) कृषकों और व्यापारियों को संदेय रकम की वसूली का आदेश पारित कर सकेगा;

(ख) ऐसी शास्ति अधिरोपित कर सकेगा, जो धारा 11 की उपधारा (2) में नियत की गई है; या

        (ग) इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म के रूप में प्रचालन के अधिकार को ऐसी अवधि के लिए, जो वह ठीक समझे निलम्बित कर सकेगा या उसे रद्द कर सकेगा:
परंतु रकम की वसूली, शास्ति के अधिरोपण या प्रचालन के अधिकार के निलम्बन या रद्दकरण का कोई आदेश, ऐसे इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म के प्रचालक को सुनवाई का अवसर दिए बिना पारित नहीं किया जाएगा ।
        (2) उपधारा (1) के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश का सिविल न्यायालय की डिक्री का बल होगा और उस रूप में प्रवर्तनीय होगा तथा डिक्रीत रकम भू-राजस्व के बकाए के रूप में वसूल की जाएगी ।
10. प्रवर्तन के अधिकार के रद्दकरण के विरुद्ध अपील :
(1) धारा 9 के अधीन किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति, ऐसे आदेश की तारीख से साठ दिन के भीतर, केन्द्रीय सरकार द्वारा इस प्रयोजन के नाम- निर्दिष्ट ऐसे अधिकारी को, जो भारत सरकार के संयुक्त सचिव की पंक्ति से नीचे का न हो, अपील कर सकेगा :
परन्तु कोई अपील साठ दिन की उक्त अवधि की समाप्ति के पश्चात् किन्तु नब्बे दिन की कुल अवधि के अपश्चात् भी ग्रहण की जा सकेगी यदि अपीलार्थी अपील प्राधिकारी का यह समाधान कर देता है कि उसके पास उक्त अवधि के भीतर अपील न करने का पर्याप्त हेतुक था ।
    (2) इस धारा के अधीन की गई प्रत्येक अपील ऐसे प्ररुप और रीति में की जाएगी और उसके साथ उस आदेश की एक प्रति, जिसके विरुद्ध अपील की गई है और ऐसी फीस संलग्न होगी, जो विहित की जाए ।
    (3) किसी अपील के निपटान की प्रक्रिया वह होगी जो विहित की जाए ।
    (4) इस धारा के अधीन फाइल की गई अपील की सुनवाई और उसका निपटान, उसके फाइल किए जाने की तारीख से नब्बे दिन की अवधि के भीतर किया जाएगा :
परन्तु किसी अपील के निपटान से पूर्व अपीलार्थी को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा ।

अध्याय 4

शास्तियां
11. अधिनियम और नियमों के उल्लंघन के लिए शास्ति :
(1) जो कोई धारा 4 या उसके अधीन बनाए गए नियमों का उल्लंघन करेगा, वह ऐसी शास्ति के संदाय का, जो पांच हजार रुपए से कम की नहीं होगी किन्तु जो पांच लाख रुपए तक की हो सकेगी और जहां उल्लंघन जारी रहता है वहां पहले दिन के पश्चात् उस प्रत्येक दिन के लिए, जिसके दौरान उल्लंघन जारी रहता है, पांच हजार रुपए से अनधिक और शास्ति का दायी होगा।
(2) यदि कोई व्यक्ति, जो किसी इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म का स्वामी है, उसका नियंत्रण या प्रचालन करता है, धारा 5 और धारा 7 या उसके अधीन बनाए गए नियमों के उपबन्धों का उल्लंघन करेगा, वह ऐसी शास्ति के संदाय का, जो पचास हजार रुपए से अधिक की नहीं होगी किन्तु जो दस लाख रुपए तक की हो सकेगी और जहां उल्लंघन जारी रहता है वहां पहले दिन के पश्चात् प्रत्येक दिन के लिए जिसके दौरान उल्लंघन जारी रहता है दस हजार रुपए से अनधिक की और शास्ति का दायी होगा।

अध्याय 5

प्रकीर्ण
12. केन्द्रीय सरकार की अनुदेश, निदेश, आदेश या मार्गदर्शक सिद्धांत जारी करने की शक्ति
केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए ऐसे अनुदेश, निदेश, आदेश, दे सकेगी या मार्गदर्शक सिद्धांत जारी कर सकेगी जो वह, केन्द्रीय सरकार के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी या अधिकारी या किसी राज्य सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी या अधिकारी, किसी इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म के लिए या किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जो किसी इलैक्ट्रानिक व्यापारिक और संव्यवहार प्लेटफार्म का स्वामी है या उसका प्रचालन करता है या किसी व्यापारी या व्यापरियों के वर्ग के लिए आवश्यक समझे।
13. सद्भावपूर्वक की गई कार्रवाई के लिए संरक्षण :
इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों या किए गए आदेशों के अधीन सद्भावपूर्वक की गई या की जाने के लिए आशयित किसी बात के सम्बन्ध में कोई भी वाद, अभियोजन या अन्य विधिक कार्यवाही केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार के किसी अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध नहीं होगी।
14. अध्यादेश का अध्यारोही प्रभाव होना : 
इस अधिनियम के उपबंध, किसी राज्य कृषि उपज विपणन समिति या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के कारण प्रभावी किसी लिखत में अन्तर्विष्ट उससे असंगत किसी बात के होते हुए भी प्रभावी होंगे।
15. सिविल न्यायालय की अधिकारिता का वर्जन : 
किसी सिविल न्यायालय को, किसी ऐसे विषय की बाबत जिसका इस अधिनियम या उसके अधीन बनाए गए नियमों द्वारा या उसके अधीन सशक्त किसी प्राधिकारी द्वारा संज्ञान लिया जा सकता है और उसका निपटारा किया जा सकता है, कोई वाद या कार्यवाही ग्रहण करने की अधिकारिता नहीं होगी। 
16. कतिपय संव्यवहारों को अध्यादेश का लागू न होना : 
इस अध्यादेश की कोई बात, प्रतिभूति संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1956 के और उसके अधीन मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंज और क्लीयरिंग कारपोरेशन और उसके अधीन किए गए संव्यवहारों को लागू नहीं होगी।
17. केन्द्रीय सरकार की नियम बनाने की शक्ति : 
(1) केन्द्रीय सरकार, इस अधिनियम के उपबन्धों को कार्यान्वित करने के लिए, नियम, अधिसूचना द्वारा बना सकेगी ।
(2) पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबन्ध कर सकेंगे, अर्थात् : 
       (क) धारा 4 की उपधारा (2) के अधीन अनुसूचित कृषक उपज के किसी व्यापारी के लिए इलैक्ट्रानिक रजिस्ट्रीकरण प्रणाली और व्यापार संव्यवहार की रीतियां;

(ख) धारा 4 की उपधारा (3) के परन्तुक के अधीन संदाय की प्रक्रिया;

(ग) धारा 8 की उपधारा 10 के अधीन उप खंड प्राधिकारी के समक्ष याचिका या आवेदन फाइल करने और अपील प्राधिकारी के समक्ष अपील फाइल करने की रीति और प्रक्रिया;

(घ) धारा 9 की उपधारा (2) के अधीन संव्यवहारों की बाबत सूचना;

(ङ) धारा 10 की उपधारा (2) के अधीन अपील फाइल करने का प्ररूप और रीति तथा संदेय फीस;

(च) धारा 10 की उपधारा (3) के अधीन किसी अपील के निपटान की प्रक्रिया;

       (छ) कोई अन्य विषय जो विहित किया जाए या विहित किया जाना है ।
18. नियमों का रखा जाना :
इस अधिनियम के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र, संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभावी हो जाएगा। किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
19. कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति :
(1) यदि इस अधिनियम के उपबन्धों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित ऐसे आदेश द्वारा, ऐसे उपबन्ध कर सकेगी जो इस अधिनियम के उपबन्धों से असंगत न हो और जो उस कठिनाई को दूर करने के लिए उसे आवश्यक प्रतीत हो :
परन्तु इस धारा के अधीन कोई आदेश इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख से तीन वर्ष की अवधि के पश्चात् नहीं किया जाएगा।
    (2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश, किए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा।
20. निरसन और व्यावृत्तियां : 
        (1) कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश, 2020 निरसित किया जाता है ।
        (2) ऐसे निरसन के होते हुए भी उक्त अध्यादेश के अधीन की गई कोई बात या कार्रवाई, इस अधिनियम के तत्स्थानी उपबंधों के अधीन की गई समझी जाएगी ।

Tuesday, September 22, 2020

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण में लगेंगे सात प्रकार के पत्थर

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का नए सिरे से निर्माण कर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के रूप में परिवर्तित किये जाने का कार्य तेजी से चल रहा है. लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य बंद कर दिया गया था. किन्तु पुनः प्रारंभ होने के बाद अब तक 13 फीसद कार्य पूरा किया जा चुका है. 

धाम परिसर को सजाने के लिए सात प्रकार के पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा. इन पत्थरों में लाल बलुआ पत्थर के आलावा मकराना, बालेश्वर, मन्डोना, कोटा, ग्रेनाईट और कंक्रीट स्टोन शामिल है. इन सभी पत्थरों का प्रयोग अलग-अलग स्थानों पर किया जाएगा. धाम के निर्माण में सबसे ज्यादा लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया जाएगा जो धाम में प्रस्तावित सभी भवनों के पिलर बनाने के लिए लगेगा. चुनार की पहाड़ियों से निकालकर इस पत्थर को अहमदाबाद में तराशा जा रहा है. राजस्थान के मकराना से लाये जा रहे पत्थरों से फ्लोरिंग की जाएगी. बालेश्वर पत्थर को उड़ीसा से मंगाकर लगाया जाएगा. इस पत्थर को धाम के सभी भवनों के दीवारों के बाहरी साथ पर लगाया जाएगा. बालेश्वर पत्थर की विशेषता है कि इसमें डिज़ाइन और इतिहास के लेखन में आसानी होता है. 

घाट किनारे सीढ़ियों पर जोधपुर और जैसलमेर में बनने वाले मंडाना स्टोन को लगाया जाएगा. लाल बलुआ की तरह दिखने वाला यह पत्थर गंगा किनारे गंगा का पानी पहुँचने वाले स्तःनों पर लगाया जाएगा. डिज़ाइन के लिए उपयोगी विभिन्न रंगों में उपलब्ध होने वाला कोटा स्टोन राजस्थान के कोटा से मंगाई जाएगी. वैदिक केन्द्र और संग्रहालय समेत खास भवनों के निर्माण में ग्रेनाइट पत्थर लगाए जाएँगे. कंक्रीट पत्थर का प्रयोग कॉरिडोर के सामान्य तरह के निर्माण में किया जाएगा.

दत्तोपंत ठेंगड़ी - एक श्रेष्ठ चिन्तक, संगठक और दीर्घदृष्टा

- डॉ. मनमोहन वैद्य,  सह सरकार्यवाहराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ


जिस समय स्वर्गीय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी ने भारतीय मजदूर संघ की स्थापना की वह साम्यवाद के वैश्विक आकर्षण, वर्चस्व और बोलबाले का समय था. उस परिस्थिति में राष्ट्रीय विचार से प्रेरित शुद्ध भारतीय विचार पर आधारित एक मजदूर आंदोलन की शुरुआत करना तथा अनेक विरोध और अवरोधों के बावजूद उसे लगातार बढ़ाते जाना यह पहाड़ सा काम था. श्रद्धा, विश्वास और सतत परिश्रम के बिना यह काम संभव नहीं था. तब उनकी कैसी मनःस्थिति रही होगी यह समझने के लिए एक दृष्टांत-कथा का स्मरण होता है :

अभी बसंत की बयार बहनी शुरू भी नहीं हुई थी.

आम पर बौर भी नहीं आया था.

तभी सर्द पवन के झोंको के थपेड़े सहता हुआ एक जन्तु अपने बिल में से बाहर निकला.

उसके रिश्तेदारों ने उसे बहुत समझाया कि अपने बिल में ही रहकर आराम करो, ऐसे समय बाहर निकलोगे तो मर जाओगे. पर उसने किसी की एक न सुनी.

बड़ी ही मुश्किल से वह तो आम्रवृक्ष के तने पर चढ़ने लगा.

ऊपर आम की डाल पर झूमते हुए एक तोते ने उसे देखा.

अपनी चोंच नीचे झुकाते हुए उसने पूछा, “अरे ओ जन्तु, इस ठंड में कहाँ चल दिए?”

आम खाने|” जंतु ने उत्तर दिया.

तोता हँस पड़ा| उसे वह जन्तु मूर्खों का सरदार लगा.

उसने तुच्छता से कहा, “अरे मूर्ख, आम का तो अभी इस वृक्ष पर नामोनिशान नहीं है. मैं उपर नीचे सभी जगह देख सकता हूँ न!

तुम भले ही देख सकते होगेजंतु ने अपनी डगमग चाल चलते हुए कहा, “पर मैं जब तक पहुंचूंगा तब वहाँ आम अवश्य होगा.

इस जन्तु के जवाब में किसी साधक की सी जीवनदृष्टि है.

वह अपनी क्षुद्रता को नहीं देखता. प्रतिकूल संजोगों से वह घबराता नहीं है.

ध्येय का कोई भी चिन्ह दिखाई नहीं देने के बावजूद उसे अपनी ध्येयप्राप्ति के विषयमें सम्पूर्ण श्रद्धा है.

अपने एक-एक कदम के साथ फल भी पकते जायेंगे इस विषय में उसे रत्तीभर संदेह नहीं है.

उसके रिश्तेदार या तोता-पंडित  चाहे कुछ भी कहें उसकी उसे परवाह नहीं है.

उसके अंतर्मन में तो बस एक ही लगन है और एक ही रटन-

हरि से लागी रहो मेरे भाई, तेरी बनत बनत बन जाई.

और आज हम देखते हैं की भारतीय मज़दूर संघ भारत का सर्वाधिक बड़ा मज़दूर संगठन है.

अच्छे संगठक का यह गुण होता है कि आप कितने भी प्रतिभावान क्यों ना हों, अपने सहकारियों के विचार और सुझाव को खुले मन से सुनना और योग्य सुझाव का सहज स्वीकार भी करना. ठेंगडी जी ऐसे ही संगठक थे. जब श्रमिकों के बीच कार्य प्रारम्भ करना तय हुआ तब उस संगठन का नाम भारतीय श्रमिकसंघ ऐसा सोचा था. परंतु जब इससे सम्बंधित कार्यकर्ताओं की पहली बैठक में यह बात सामने आयी कि समाज के जिस वर्ग के बीच हमें कार्य करना है उनके लिए श्रमिकशब्द समझना आसान नहीं होगा. कुछ राज्यों में तो इसका सही उच्चारण करने में भी दिक़्क़त आ सकती है, इसलिए श्रमिकके स्थान पर मज़दूरइस आसान शब्द का उपयोग करना चाहिए. उसे तुरंत स्वीकार किया गया और संगठन का नाम भारतीय मज़दूर संघतय हुआ.

संगठन में काम करना मतलब मैंसे हमकी यात्रा करना होता है. कर्तृत्ववान व्यक्ति के लिए यह आसान नहीं होता है. वह अपने मैंके प्रेम में पड़ता है. किसी तरह यह मैंव्यक्त होता ही रहता है. संतों ने ऐसा कहा है कि  इस मैंकी बात ही कुछ अजीब है. वह अज्ञानी को छूता तक नहीं है. पर ज्ञानी का गला ऐसा पकड़ लेता है कि वह छूटना बड़ा कठिन होता है. पर संगठन में, संगठन के साथ और संगठन के लिए काम करने वालों को इससे बचना ही पड़ता है. ठेंगड़ी जी ऐसे थे. सहज बातचीत में भी उनके द्वारा कोई महत्त्व की बात, दृष्टिकोण या समाधान दिए जाने को भी कहते समय  मैंने ऐसा कहा ऐसा कहने के स्थान पर वे हमेशा हमने ऐसा कहा, ही कहते थे. इस मैंका ऊर्ध्वीकरण आसान नहीं होता है. परन्तु ठेंगड़ी जी ने इसमें महारत प्राप्त की थी, जो एक संगठक के लिए बहुत आवश्यक होती है.

ठेंगड़ी जी की एक और बात लक्षणीय थी कि वे सामान्य से सामान्य मजदूर से भी इतनी आत्मीयता से मिलते थे, उसके कंधे पर हाथ रखकर साथ चहलकदमी करते हुए उससे बातें करते थे कि किसी को भी नहीं लगता था कि वह एक अखिल भारतीय स्तर के नेता, विश्व विख्यात चिंतक से बात कर रहा है.

बल्कि उसे ऐसी अनुभूति होती थी  कि वह अपने किसी अत्यंत आत्मीय बुजुर्ग, परिवार के ज्येष्ठ व्यक्ति से मिल रहा है. यह करते समय ठेंगड़ी जी की सहजता विलक्षण होती थी.

उनका अध्ययन भी बहुत व्यापक और गहरा था. अनेक पुस्तकों के सन्दर्भ और अनेक नेताओं के किस्से उन के साथ बातचीत में आते थे. पर एक बात जो मेरे दिल को छू जाती वह यह  कि कोई एक किस्सा या चुटकुला जो ठेंगड़ी जी ने अनेकों बार अपने वक्तव्य में बताया होगा वही किस्सा या चुटकुला यदि मेरे जैसा कोई अनुभवहीन, कनिष्ठ कार्यकर्ता उनका कहने लगता तो वे कहीं पर भी उसे ऐसा जरासा भी आभास नहीं होने देते थे कि वे यह किस्सा जानते हैं. यह संयम आसान नहीं है. मैं तो यह जनता हूँ, ऐसा कहने का या जताने का मोह अनेक बड़े, अनुभवी कार्यकर्ताओं को होता है ऐसा मैंने कई बार देखा है. पर ठेंगड़ी जी उसे ऐसी लगन से, ध्यान पूर्वक सुनते थे कि मानो पहली बार सुन रहे हों.  उस पर भावपूर्ण प्रतिसाद भी देते थे और तत्पश्चात उसके अनुरूप और एक नया किस्सा या चुटकुला अवश्य सुनाते थे. जमीनी कार्यकर्ता से इतना जुड़ाव और लगाव श्रेष्ठ संगठक का ही गुण है.

अपना कार्य बढ़ाने की उत्कंठा, इच्छा और प्रयास रहने के बावजूद अनावश्यक जल्दबाज़ी नहीं करना यह भी श्रेष्ठ संगठक का गुण है. परमपूजनीय श्री गुरुजी कहते थे धीरे-धीरे जल्दी करो’. जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. मेरे एक किसान मित्र महाराष्ट्र में  श्री शरद जोशी द्वारा निर्मित शेतकरी संगठननामके किसान आंदोलन में  विदर्भ प्रदेश के प्रमुख  नेता थे. बाद में उस आंदोलन से उनका मोहभंग हुआ तब मेरे छोटे भाई के साथ उनकी बातचीत चल रही थी. मेरा भाई भी तब किसानी करता था. मेरे भाई को ऐसा लगा कि किसान संघ का कार्य अभी अभी शुरू हुआ है तो इस किसान नेता को किसान संघ के साथ जोड़ना चाहिए. उसने मुझसे बात की. मुझे भी यह सुझाव अच्छा लगा. यह एक बड़ा नेता था. किसान संघ का कार्य श्री ठेंगड़ी जी के नेतृत्व में शुरू हो चुका था. इसलिए यह प्रस्ताव ले कर मैं अपने भाई के साथ नागपुर में ठेंगड़ी जी से मिला. ठेंगड़ी जी उस किसान नेता को जानते थे. मुझे पूर्ण विश्वास था कि  किसान संघ के लिए एक अच्छा प्रसिद्ध किसान नेता मिलने से किसान संघ का कार्य बढ़ने में सहायता होगी और इसलिए ठेंगड़ी जी उसे तुरंत आनंद के साथ स्वीकार करेंगे. परन्तु पूर्वभूमिका बताकर जैसा मैंने यह प्रस्ताव उनके सामने रखा, श्री ठेंगड़ी जी ने उसे तुरंत अस्वीकार किया. मुझे बहुत आश्चर्य हुआ. बाद में ठेंगड़ी जी ने मुझे कहा कि  हम इसलिए इस नेता को नहीं लेंगे क्योंकि  हमारा किसान संघ बहुत छोटा है. वह इतने बड़े नेता को पचा नहीं पायेगा और यह नेता हमारे किसान संघ को अपने साथ खींचकर ले जायेगा. हम ऐसा नहीं चाहते हैं. इस पर मैंने कहा कि  यदि किसान संघ उसे स्वीकार नहीं करेगा तो भाजपा के लोग उसे अपनी पार्टी में शामिल कर चुनाव भी लड़ा सकते हैं. इस पर ठेंगड़ी जी ने शांत स्वर में कहा कि  भाजपा को जल्दबाजी होगी पर हमें नहीं है. उनका यह उत्तर इतना स्पष्ट और आत्मविश्वासपूर्ण था कि  यह मेरे लिए यह एक महत्व की सीख थी. और तब ही श्री गुरूजी के धीरे-धीरे जल्दी करोइस उक्ति का गूढ़ार्थ मेरे स्पष्ट समझ में आया.

श्री ठेंगड़ी जी श्रेष्ठ संगठक के साथ साथ एक दार्शनिक भी थे. भारतीय चिंतन की गहराइयों के विविध पहलू उनके साथ बातचीत में सहज खुलते थे. मज़दूर क्षेत्र में साम्यवादियों का वर्चस्व एवं दबदबा था इसलिए सभी कामदार संगठनों की भाषा या नारे भी साम्यवादियों की शब्दावली में हुआ करते थे. उस समय उन्होंने साम्यवादी नारों के स्थान पर अपनी भारतीय विचार शैली का परिचय कराने वाले नारे गढ़े. उद्योगों का राष्ट्रीयकरणके  स्थान पर  उन्होंने कहा हम राष्ट्र का औद्योगिकरण- उद्योगों का श्रमिकीकरण और श्रमिकों का राष्ट्रीयकरणचाहते हैं.

श्रम क्षेत्र में अनावश्यक संघर्ष बढ़ाने वाले असंवेदनशील नारे

हमारी माँगे पूरी हो चाहे जो मजबूरी होके स्थान पर उन्होंने कहा – “देश के लिए करेंगे काम काम के लेंगे पूरे दाम”. यानी, श्रम के क्षेत्र में भी सामंजस्य और राष्ट्रप्रेम की चेतना जगाने का सूत्र उन्होंने नारे में इस छोटे से बदलाव से दे दिया.

भारतीय मज़दूर संघ और भारतीय किसान संघ इस संगठनों के अलावा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, प्रज्ञा प्रवाह, विज्ञान भारती आदि संगठनों की रचना की नींव में ठेंगड़ी जी का योगदान और सहभाग रहा है. उन्होंने भारतीय कला दृष्टि पर जो निबंध प्रस्तुत किया वह आगे जा कर संस्कार भारती का वैचारिक अधिष्ठान बना.

श्री ठेंगडी  जी के समान एक श्रेष्ठ चिंतक, संगठक और दीर्घदृष्टा नेता के साथ रहकर, संवादकर, उनका चलना, उठना-बैठना, उनका सलाह देना यह सारा प्रत्यक्ष अनुभव करने का, सीखने का सौभाग्य  मिला. श्री ठेंगड़ी जी की जन्मशती के मंगल अवसर पर उनकी पावन स्मृति को मेरी विनम्र श्रद्धांजली.

श्रोत - विश्व संवाद केन्द्र, भारत