काशी। प्रखर
राष्ट्रभक्ति ही देश की समस्याओं का एकमात्र समाधान है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
विगत 98 वर्षों से संघ अपनी शाखा एवं कार्यक्रमों के
माध्यमों से राष्ट्रभाव का जागरण कर रहा है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
पूर्वी उ०प्र० क्षेत्र के क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी ने व्यक्त किया। वे
बाबतपुर स्थित एस. एस. पब्लिक स्कूल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी प्रांत
द्वारा आयोजित संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष के प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह को
मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय
में सम्पूर्ण देशभर में इस प्रकार के 108 वर्ग पूरे हो रहे हैं। इन वर्गों की दिनचर्या भी एक विशेष
प्रकार की होती है। प्रशिक्षार्थी स्वयंसेवक भीषण गर्मी में साढ़े चार घण्टे का
शारीरिक, सभी सुख सुविधाओं को त्याग कर और अपने प्रशिक्षण
का शुल्क देकर सहर्ष ही वर्ग पूरा करता है। आज की युवा पीढ़ी का सबसे बड़ा त्याग
सचल दूरभाष (मोबाइल) से दूर रहना होता है। प्रारम्भ के दिनों से ही सभी के मोबाइल
जमा हो जाते हैं। इस वर्ग में केवल शिक्षार्थी स्वयंसेवकों का ही प्रशिक्षण नहीं
होता अपितु व्यवस्था में लगे सैकड़ों स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं का भी प्रशिक्षण होता
है। इस वर्ग के माध्यम से इस विद्यालय के आस-पास के लगभग 40 ग्रामों के समाज के सभी वर्गों के परिवारों से
माताओं-बहनों के द्वारा बनायी गयी रोटियां आयी। इस वर्ग में रोटी एकत्रिकरण के
माध्यम से उन परिवारों का भी भावनात्मक लगाव इस वर्ग के साथ जुड़ा। पूर्वी उत्तर
प्रदेश क्षेत्र के संघ के सभी प्रशिक्षण वर्गों के माध्यम से समाज के सभी वर्गों
के परिवारों का आत्मीय भाव जागरण हुआ।
उन्होंने आगे कहा कि स्वामी
विवेकानन्द जी के अधूरे सपने को साकार करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर
रहा है। स्वामी जी का बड़ा प्रसिद्ध वाक्य था "देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत
यदि 100 नवयुवक मिल जाये तो
इस देश की तस्वीर को बदल दूं।" स्वामी जी अल्पायु में ही हम सभी को छोड़कर
चले गये। उनके अधूरे सपने को पूरा करने का कार्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कर रहा
है। इस राष्ट्र भाव के जागरण का परिणाम आज सम्पूर्ण देश में देखने को मिल रहा है।
अगर हम पूर्वोत्तर के राज्य (7 सिस्टर) की बात
करें तो आज के तीन दशक पहले नागालैण्ड का व्यक्ति जब दिल्ली जाता था तो अपने
स्वजनों से बोलता था कि मैं इण्डिया जा रहा हूँ। आज यह तस्वीर बदली हुई है। कभी
पूर्वोत्तर राज्य के बन्धु बान्धव बन्दूकों के साये में जीवन गुजारते थे। महिनों
कर्फ्यू लगते थे, आन्दोलन करके
चक्काजाम किया करते थे। आज उन्हीं सड़कों पर नवयुवक भारत माता की जय बोलता हुआ, हाथ में तिरंगा लेकर यात्रा निकालता है। चाहे
शहर हो, गांव हो या वनवासी क्षेत्र हो जहां शासन तंत्र
की सुविधाएं नहीं पहुंच पाती वहां संघ का स्वयंसेवक सेवा के कार्य कर रहा है, सर्वदूर इसके परिणाम परिलक्षित हो रहे हैं। विगत
वर्षों में स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के कार्यक्रम गांव-गांव, कस्बे कस्बे में हुए, समाज ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर्षोल्लास के
साथ कार्यक्रम में सहभाग लिया। उन्होंने परिसर में उपस्थित स्वयंसेवकों से आह्वान
करते हुए कहा कि संघ समाज के अन्दर देशभक्ति, समाजभक्ति एवं स्व के भाव का जागरण करते हुए सामाजिक
समस्याओं का निवारण समाज के द्वारा ही करना चाहता है। आज का समाज जो सरकारों के
ऊपर आश्रित होता जा रहा है, वहां से संघ इस समाज
को उठाकर उसी समाज के संगठित शक्ति के आधार पर कार्य करना चाहता है। संघ का मानना
है कि सरकार के काम सरकार करे एवं समाज के कार्य समाज करे। समाज की क्षमता सरकार
की क्षमता से भी कहीं अधिक है। इसका ताजा उदाहरण हम देखें तो पिछले दो वर्षों में
कोरोना काल में समाज ने अपनी क्षमता का परिचय जिस ढंग से दिया है, इससे सिद्ध होता है कि समाज की क्षमता सरकार की
क्षमताओं से कहीं अधिक है। संघ समाज से आह्वान करता है कि स्व की प्रेरणा से समाज की संगठित
शक्ति के बल पर समाज की बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए आगे बढ़ें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि
अन्नपूर्णा माता मन्दिर काशी के महन्त शंकर पूरी ने वर्ग समापन के अवसर पर कहा कि
ये जो 20 दिनों का प्रशिक्षण
वर्ग चलता है, इसमें राष्ट्रीय
विषयों, शैक्षिक विषयों एवं सामाजिक विषयों पर राष्ट्र
सुरक्षा से सम्बन्धित वैश्विक परिस्थितियों में राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के
लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक कार्य करते हैं। समाज के सभी वर्गों को
सशक्त बनाने के लिए संघ निरन्तर कार्य कर रहा है। आगे उन्होंने समाज का आह्वान
करते हुए कहा कि वर्तमान समय में जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक कार्य
कर रहे हैं, इससे जुड़कर समाज का
सहयोग करें जिससे अपना राष्ट्र सर्वांगीण उन्नति कर सके और भारत की एक विशेष छवि
(विश्व गुरु ) परिलक्षित हो।
दिखा अनुशासन का
भव्य रूप :
समारोह में अनुशासन का भव्य
रूप दिखाई दिया। मुख्य शिक्षक प्रवेश जी के संपत की आज्ञा के पश्चात प्रशिक्षिण
प्राप्त कर रहे सभी कार्यकर्ता पूर्ण गणवेष में संगठन द्वारा निर्धारित पंक्ति
रचना के अनुसार निश्चित क्रम में खड़े हो गये। सह मुख्य शिक्षक रजत जी द्वारा दी
जाने वाली सीटी के संकेत पर ही कार्यकर्ता एकलय, एक क्रम में अपनी गतिविधियों का प्रदर्शन कर रहे
थे।
घोष एवं शारीरिक
प्रशिक्षण का प्रदर्शन बना आकर्षण का केन्द्र :
दल प्रमुख राममिलन जी
(प्रधानाचार्य सरस्वती शि.म., मीरजापुर) के नेतृत्व में घोष दल द्वारा वाद्य यंत्रों पर
बजाई जा रही रचनाएं किरण, भूप, सोनभद्र, श्रीराम सुनकर समारोह स्थल पर उपस्थित लोग मंत्रमुग्ध हो
रहे थे। शारीरिक प्रशिक्षण प्राप्त कर कार्यकर्ताओं द्वारा किये जाने वाले
प्रदर्शन से हर काई आकर्षित दिखा। कार्यकर्ताओं ने दण्ड, पदविन्यास, दण्ड युद्ध, यष्टि, नियुद्ध, सामूहिक समता, दण्ड समता, दण्ड व्यायाम योग, व्यायाम योग एवं आसन का प्रदर्शन कर अपने
प्रतिभा से परिचित कराया।
कार्यक्रम का प्रारम्भ संघ
प्रार्थना एवं भगवा ध्वजप्रणाम के पश्चात किया गया। वर्ग का वृत्त निवेदन एवं
अतिथि परिचय सच्चिदानन्द द्वारा कराया गया। सामूहित गीत ओमप्रकाश जी ने किया। अमृत
वचन महेन्द्र एवं रोहित, एकल गीत आर्यन ने
किया। उक्त अवसर पर अखिल भारतीय गौसेवा संयोजक अजित महापात्रा, संयुक्त क्षेत्र संयोजक प्रज्ञा प्रवाह रामाशीष
जी, क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेन्द्र जायसवाल, क्षेत्र प्रचारक प्रमुख राजेन्द्र जी, मुख्य मार्ग प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना, सह क्षेत्र सेवा प्रमुख युद्धवीर जी, मा. प्रान्त संघचालक डा.विश्वनाथ लाल निगम, मा. सह प्रान्त संघचालक अंगराज जी, प्रान्त प्रचारक रमेश जी, सह प्रान्त प्रचारक मुनीष जी, वर्ग पालक रामचन्द्र जी एवं बड़ी संख्या में
मातृशक्ति समेत वरिष्ठ नागरिकों की उपस्थिति रही ।
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