पानीपत.
मेवात में ब्रजमंडल धार्मिक यात्रा (31 जुलाई) के दौरान उपद्रवियों (मेव मुस्लिम) की क्रूर हिंसा में अपना बलिदान
देने वाले अभिषेक का अंतिम संस्कार बुधवार को पानीपत के सेक्टर 13-17 शिवपुरी में किया गया. इस दौरान अभिषेक को श्रद्धांजलि देने के लिए अंतिम यात्रा
में बड़ी संख्या में जनसैलाब उमड़ा. अभिषेक अमर रहे के नारों से पूरा आसमान गूंज
उठा. शहर के सभी शैक्षणिक संस्थान, व्यापारिक संगठनों,
पानीपत व समालखा बार एसोसिएशन ने भी वर्क सस्पेंड रखकर अभिषेक को
श्रद्धांजलि अर्पित की. 250 से ज्यादा सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि
व चार हजार से अधिक हिन्दू समाज के लोग अभिषेक की अंतिम यात्रा में शामिल हुए.
31 जुलाई को मेवात जिले में हिन्दू समाज
द्वारा शांतिपूर्वक तरीके से धार्मिक ब्रजमंडल यात्रा का आयोजन किया जा रहा था. इस
दौरान उपद्रवियों ने धार्मिक यात्रा में शामिल लोगों पर हथियारों, पैट्रोल बम से हमला कर दिया था. यात्रा में शामिल बसों को आग के हवाले कर
दिया गया था. मेवात में सुरक्षा में तैनात पुलिस बल पर भी उपद्रवियों ने हमला
किया. इस उपद्रव के दौरान उपद्रवियों ने पानीपत के अभिषेक को पहले गोली मारी,
फिर उसका गला रेत कर सिर को पत्थर से कुचल दिया.
मेवात में हुए इस उपद्रव में अभिषेक के बलिदान की सूचना
मिलते ही पानीपत जिले में शोक की लहर दौड़ गई थी और उपद्रवियों के प्रति भी रोष पनप
रहा था. एक अगस्त को सर्व हिन्दू समाज द्वारा पानीपत के काशी गिरी मंदिर में बैठक
का आयोजन कर पानीपत बंद का आह्वान किया गया था. सर्व हिन्दू समाज के आह्वान पर
बुधवार को सभी व्यापारियों व शिक्षण संस्थानों ने अपने संस्थान बंद रखे.
गली-मोहल्ले के दुकानदारों द्वारा भी अभिषेक को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए
अपनी दुकानें बंद रखी गईं. पानीपत व समालखा बार एसोसिएशन ने वर्क सस्पेंड कर
अभिषेक को श्रद्धांजलि अर्पित की.
अभिषेक का पार्थिव शरीर एक अगस्त को रात्रि 9 बजे पानीपत नागरिक अस्पताल में आ गया था. जैसे ही लोगों को अभिषेक के पार्थिव शरीर के अस्पताल पहुंचने की सूचना मिली, नागरिक अस्पताल में लोग जमा होना शुरू हो गए थे. बुधवार दोपहर 2:00 बजे अभिषेक के शव को अंतिम संस्कार के लिए शहर के सेक्टर 13-17 के शिवपुरी ले जाया गया. अभिषेक के अंतिम संस्कार में भारी संख्या में स्थानीय जन उपस्थित रहे. हिन्दू समाज ने एकजुट होकर कहा कि अभिषेक का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा, अभिषेक का बलिदान अवश्य ही कोई न कोई रंग लेकर आएगा.
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