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Monday, September 4, 2023

वैश्विक अभ्युदय और स्वीकृति विस्तार का समय

- अवधेश कुमार 

उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के विरुद्ध भले जहर उगला है, अगर विश्व परिदृश्य पर दृष्टि दौड़ाएं तो स्वीकार करने में समस्या नहीं है कि यह हिन्दुओं के वैश्विक अभ्युदय और स्वीकृति विस्तार का समय है. ऐसी घटनाएं घट रही हैं, जिनकी हिन्दू समाज कल्पना नहीं करता था. सिंगापुर में हिन्दू थर्मन शणमुगरत्नम की राष्ट्रपति चुनाव में विजय, इस कड़ी की अभी अंतिम घटना है. आने वाले समय में ऐसी अनेक घटनाएं होंगी. अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी में राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारी की दौड़ में डोनाल्ड ट्रंप को टक्कर दे रहे विवेक रामास्वामी भी हिन्दू हैं. इस समय करीब 10 देशों के शीर्ष पर भारतीय मूल के नेता हैं, जिनमें पांच स्वयं को हिन्दू कहते हैं. ब्रिटेन में ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के साथ विश्व का इस पहलू की ओर ध्यान गया. इन सबकी विशेषता है कि वे गर्व से स्वयं को हिन्दू कहते हैं और हिन्दू धर्म को शासन, राजनीति से लेकर व्यक्तिगत सार्वजनिक व्यवहार का मापदंड बताने में संकोच नहीं करते. इस समय ऋषि सुनक का हिन्दू होने वाला वक्तव्य विश्व भर में सुना जा रहा है. वे कह रहे हैं कि बापू, आई एम नॉट हियर ऐज ए प्राइम मिनिस्टर बट ए हिन्दू. यानी बापू, मैं यहां एक प्रधानमंत्री के रूप में नहीं एक हिन्दू के रूप में उपस्थित हूं. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने यह बात मुरारी बापू की कैंब्रिज विश्वविद्यालय में आयोजित राम कथा में कही. आधुनिक विश्व में पहली बार किसी पश्चिमी देश के प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक सभा में स्वयं के हिन्दू होने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि मैं उसी प्रकार शासन करना चाहता हूं, जैसे हमारे धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है. मैं आज ब्रिटेन का प्रधानमंत्री हूं, यह मेरे लिए गर्व का विषय है किंतु कई बार कठिन फैसले लेने होते हैं और यहीं उन्होंने श्रीराम का उल्लेख किया. कहा कि श्रीराम से उन्हें साहसपूर्वक कठिन चुनौतियों का सामना करने, स्थिर रहने, विनम्रतापूर्वक शासन करने की प्रेरणा मिलती है.

विवेक रामास्वामी कहते हैं कि मैं हिन्दू धर्म को मानता हूं. यह मुझे परिवार से विरासत में मिला है. उनसे पूछा गया कि आप स्वयं को हिन्दू कहने और हिन्दू धर्म पर इतना फोकस क्यों करते हैं? उन्होंने उत्तर दिया कि हिन्दू होने के नाते मैं अन्य नेताओं के मुकाबले दूसरों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता हूं. मेरा उद्देश्य अमेरिकी समाज में परिवार, आस्था और देशभक्ति के मूल्यों को सहज करना है. अमेरिकी समाज इन मूल्यों को खोता जा रहा है. जरा सोचिए, अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की दौड़ में शामिल व्यक्ति तथा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि वे अपने देश की समस्याओं का समाधान हिन्दू धर्म में देखते हैं. वास्तव में ये असाधारण घटनाएं हैं. निस्संदेह, हिन्दुत्व विरोधियों के कलेजे पर सांप लोट रहा होगा. वे सोच रहे होंगे कि हम तो केवल आरएसएस को हिन्दू, हिन्दुत्व के आधार पर लांछित करते थे, राजनीति में नरेंद्र मोदी को निशाना बनाते थे. अब दुनिया में भी ऐसे नेता खड़े हो रहे हैं, जिनका विरोध करना ज्यादा कठिन होगा. ऐसा नहीं है कि स्वयं को लिबरल सेक्युलर कहने वालों की जमात ब्रिटेन, अमेरिका या सिंगापुर में नहीं है. यह बीमारी ब्रिटेन की सभ्यता से ही पहले भारत पहुंची. अमेरिका में वामपंथ सेक्युलर लिबरल कट्टर और शक्तिशाली हैं. ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड और कैंब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों से समाज में उच्च स्थान रखने वाले भारतीयों को पढ़ा लिखा कर मानसिकता बदल दी गई. हिन्दू अपने ही धर्म, सभ्यता, संस्कृति और अध्यात्म को लेकर हीनभावना के शिकार हो गए और स्वयं को हिन्दू या धार्मिक कहना पिछड़ापन, अज्ञानता और अवैज्ञानिकता का पर्याय हो गया तथा देवी-देवताओं, पुनर्जन्म आदि में आस्था रखना अंधविश्वास. उसमें ब्रिटिश या पश्चिमी शिक्षा प्रणाली में शिक्षित वहां का प्रधानमंत्री स्वयं को हिन्दू कहते यह बताता है कि हमारे धर्मग्रंथ, ऋषि मुनि, शासक और भगवान सभी उसे देश की सच्ची सेवा करने, मानव कल्याण के लिए काम करने की ताकत देते हैं तो मानना चाहिए कि दुनिया बदल रही है. ऋषि सुनक जब 2020 में वित्त मंत्री बने तो उन्होंने भगवद्गीता पर हाथ रखकर शपथ ली थी. जब उनसे प्रश्न किया गया तो उन्होंने कहा मैं ब्रिटेन का नागरिक हूं, लेकिन मेरा धर्म हिन्दू है. मैं गर्व से कहता हूं कि मैं एक हिन्दू हूं और हिन्दू होना ही मेरी पहचान है. उन्होंने गौ मांस त्यागने की अपील भी की और कहा कि मैं इसका सेवन नहीं करता. शीर्ष पर किसी व्यक्ति के ऐसा बोलने का मतलब यह विचार और व्यवहार वहीं तक सीमित नहीं. ऋषि सुनक विश्व भर में हिन्दुओं के अंदर सुदृढ़ हो रहे सामूहिक विचार और व्यवहार को ही अभिव्यक्त कर रहे थे.

ब्रिटेन के साथ अमेरिका और सिंगापुर की घटनाएं बता रही है कि हिन्दुओं और हिन्दुत्व को लेकर विश्व बदल रहा है.‌ इसी बदलाव को समझने की आवश्यकता है. ऋषि सुनक का कंजरवेटिव पार्टी तथा रामास्वामी का रिपब्लिकन पार्टी के शीर्ष नेताओं में शामिल होना तथा थर्मन शणमुगरत्नम का सिंगापुर के सत्ता शीर्ष में पहुंचना इसके प्रमाण हैं कि हिन्दुओं की स्वीकृत बढ़ रही है. वस्तुतः हिन्दुओं ने निजी व्यवसाय और कैरियर तक सीमित न रहकर सार्वजनिक जीवन में भी भूमिकाएं निभाईं हैं. यह सामान्य बदलाव नहीं है. कुछ समय से पश्चिमी देशों में हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा अभियान और हिंसा तक के समाचारों ने सबको विचलित किया था. हिन्दुओं के बीच काम करने वाले संगठनों के विरुद्ध भी अमेरिका और दूसरे देशों में छोटी मोटी कार्रवाई या जांच के समाचार भी आए. पर ब्रिटेन, अमेरिका व अन्य देशों में हिन्दुओं ने स्थिति को साहसपूर्वक संभाला है. उन देशों में हिन्दुत्व को लेकर विचार गोष्ठियां, भाषण प्रश्नोत्तर हो रहे हैं. लिस्टर दंगे के बाद ब्रिटेन में ही हिन्दुओं के अनेक कार्यक्रम हुए. अमेरिका में हिन्दू दिवस मनाया जा रहा है. इस वर्ष अमेरिका की संसद में दो हिन्दू सम्मेलन हो चुके हैं. इसमें डेमोक्रेटिक एवं रिपब्लिकन दोनों पार्टियों के सांसदों, नेताओं ने भाग लिया. अमेरिका के जॉर्जिया प्रांत की असेंबली ने हिन्दुओं के पक्ष में  प्रस्ताव पारित किया, जिसमें बताया कि हिन्दुत्व की विचारधारा कितनी व्यापक और सर्व समावेशी है.

क्या किसी ने कल्पना की थी कि कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीय कथावाचक की कथा होगी? वहां मुरारी बापू की राम कथा तथा प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का आना ही बदलते युग का प्रमाण था. बाबा बागेश्वर के कई कार्यक्रम ब्रिटेन में हुए, जिसमें वे उसी अंदाज में हिन्दुओं को संगठित रहने व हिन्दू राष्ट्र की बात कर रहे हैं जैसे भारत में करते हैं. वहां उमड़ती भीड़ आश्चर्यजनक थी. सोशल मीडिया पर सामान्य कथावाचकों से लेकर योगाचार्यों, साधु-संतों, पुरोहितों, ज्योतिषियों की अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों की यात्राओं और कार्यक्रमों की तस्वीरें सामने आ‌ रही हैं. वे मंदिरों में अपने ठहरने की तस्वीरें भेज रहे हैं.

पहले नरेंद्र मोदी राजनीतिक नेताओं में अकेले उम्मीद की किरण थे. ऋषि सुनक के आने से अलग अनुकूल प्रभावित स्थिति पैदा हुई. लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित कई हिन्दू संगठनों के अलावा इस्कॉन, गायत्री परिवार जैसे अनेक धार्मिक संस्थानों, साधु-संतों के आश्रमों ने पश्चिमी देशों में काम किया है. प्रधानमंत्री मोदी ने संपूर्ण विश्व में भारतवंशियों के बीच भारतीय सभ्यता- संस्कृति के प्रभावी प्रदर्शनों के साथ सभाएं कीं, उनका भी व्यापक असर हुआ. धर्म- संस्कृति -सभ्यता को लेकर संकोची हिन्दुओं का आत्मविश्वास बढ़ा है.‌ देवी-देवताओं की मूर्तियों, हवन -पूजन आदि को लेकर हिन्दू धर्म के बारे में विरोधियों द्वारा पैदा की जा रही गलतफहमियों तथा हिन्दू धर्म को इस्लाम के समानांतर कट्टर तथा अंधविश्वासी साबित करने वालों को रामास्वामी और सुनक जैसे नेता ध्वस्त कर रहे हैं. यूरोप, अमेरिका में यह विचार लोगों के बीच जा रहा है कि हिन्दू धर्म रिलिजन नहीं, सभी रिलीजनों को समाहित कर सबको सम्मान देने वाला जीवन दर्शन है. ऐसा जीवन दर्शन संचालक हो, तभी सच्ची समानता, सहकार, परस्परपूरकता पर आधारित विश्व व्यवस्था कायम हो सकेगी.

इस बदलाव को समझते हुए भावी विश्व की कल्पना करिए. विश्व के अनेक देशों में हिन्दू बड़ी संख्या में हैं जो राजनीति व प्रशासन से लेकर शिक्षा, विज्ञान सबमें शीर्ष पर हैं. उनका आत्मविश्वास सही रूपों में प्रकट होकर आगे बढ़ता रहा तो एक दिन विश्व के मार्गदर्शक हिन्दू ही होंगे. यह संपूर्ण विश्व के हित में होगा. इसमें हर भारतीय हिन्दू-सिक्ख-बौद्ध-जैन का दायित्व है कि छोटे बड़े असंतोष, व्यक्तिगत मतभेदों आदि को परे रखकर ऐसी भूमिका निभाएं, जिससे बदलाव की गति बाधित न हो.

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