वाराणसी, 30 जनवरी। महामना के जीवनकाल से ही काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में बसंत पंचमी के अवसर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विश्वविद्यालय से जुड़े स्वयंसेवकों का पथ संचलन निरन्तर निकलता आ रहा है। यह संचलन स्वयंसेवकों के नियमित वार्षिक कार्य का हिस्सा है। यह विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के मैदान में आयोजित पथ संचलन के शुभारम्भ समारोह में उपस्थित स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से जुड़े स्वयंसेवकों द्वारा आयोजित पथ संचलन की परम्परा पुरानी है। कृषि विज्ञान संस्थान से प्रारम्भ होकर स्थापना स्थल (ट्रामा सेन्टर) पहुंचकर वन्देमातरम उद्घोष के साथ समाप्त हुआ।
क्षेत्र प्रचारक जी ने कहा कि संघ के कार्यकर्ता प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर रहे है। संघ की कार्यवृद्धि 94 वर्ष की तपस्या का फल है। हिन्दू धर्म संस्कृति के उत्थान के लिए वही उद्देश्य ध्यान में रखकर महामना मालवीय जी ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना की। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सर्व विद्या की राजधानी का अधिष्ठान हिन्दू मानवर्द्धन ही था। मालवीय जी का बहुत ही आत्मीय सम्बन्ध संघ के संस्थापक व श्रीगुरू जी से था। इसी कारण संघ कार्य के वृद्धि हेतु संघ कार्यालय के लिए विश्वविद्यालय में भवन दिया जिसे आपातकाल के दौरान अंधेरी रात में तोड़ दिया गया जो दुर्भाग्यपूर्ण है। भारतवर्ष में दुर्गम क्षेत्र, वनवासी क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपना कार्य करता है। जहां शासन प्रशासन के लोग नहीं पहुंच पाते वहां भी स्वयंसेवकों द्वारा सेवा कार्य किया जाता है। विगत दिनों तेलंगाना राज्य के हैदराबाद महानगर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा निकाले गये विशाल पथ संचलन पर विरोध प्रतिक्रिया व्यक्त की गयी। जिससे स्पष्ट है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रहित में कार्य करता है तथा जिससे आतंकवादी भी घबड़ाते है। स्वामी विवेकानन्द जी के सपनों को साकार करने हेतु नई ऊर्जा के साथ युवा वर्ग को आगे आना होगा।
पथ संचलन शुभारम्भ समारोह की अध्यक्षता कर रहे श्री मनोज मेश्राम प्रोफेसर इलेक्ट्रानिक्स इंजिनियरिंग आईआईटी बीएचयू ने कहा कि महामना ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना लोक सहयोग से दान लेकर किया जिसमें सेन्ट्रल हिन्दू स्कूल की संस्थापिका एवं प्रसिद्ध समाज सेविका एनी बेसेन्ट ने भी महामना को उस समय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में पूर्ण सहयेग दिया। जिसका उद्देश्य हिन्दू संस्कृति एवं मूल्यों की रक्षा के साथ साथ भारत को शिक्षा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने के लिए था।
यह पथ संचलन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के मैदान से अपरान्ह 4 बजे प्रारम्भ हुआ तथा वाणिज्य संकाय, हिन्दी विभाग चौराहा, पूर्व छात्रसंघ भवन, मधुबन चौराहे से महिला महाविद्यालय चौराहा, सिंह द्वार, रविदास गेट से ट्रामा सेन्टर स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के स्थापना स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुआ। पथ संचलन का स्वागत महिला महाविद्यालय चौराहे पर पुष्प वर्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की छात्राओं द्वारा किया गया। इस संचलन में सबसे आगे खुली जीप पर महामना की प्रतिमा थी उसके पश्चात घोषवादक चल रहे थे, जिसके पीछे तीन पंक्तियों में पूर्ण गणवेश में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक चल रहे थे। इस पथ संचलन के देखने के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक सड़क के दोनों ओर उपस्थित थे।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षकों, कर्मचारियों के परिवारों के सदस्य स्वयंसेवक विद्यार्थी एवं नगर के प्रमुख गणमान्य नागरिकों के साथ साथ मणिपुर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 आद्या प्रसाद पाण्डेय व प्रज्ञा प्रवाह उत्तर भारत के संयोजक श्रीमान रामाशीष जी, प्रो0 जेपी लाल जी के साथ ही संघ के विभिन्न दायित्वों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।