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Monday, December 5, 2022

समर्थ भारत के लिए हिंदू समाज का सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक रूप में परस्पर आबद्ध होना आवश्यक - मनोजकांत जी

काशी। समर्थ भारत के लिए आवश्यक है यहां निवास करने वाला हिंदू सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक रूप में परस्पर आबद्ध हो। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी द्वारा आयोजित स्वयंसेवक संगम में संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचार प्रमुख मनोजकांत जी ने व्यक्त किया। वे काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित तरण ताल की शाखा पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

मनोज कांत जी ने संगठित हिन्दू समर्थ भारत विषय पर अपना विचार रखते हुए आगे कहा कि स्वामी विवेकानंद ने समर्थ भारत के विषय को गंभीरता से लेते हुए कहा था जब तक हिंदू समाज में व्याप्त संकीर्णताओं, विकृतियों एवं भेदभाव से ऊपर समता एवं ममता पूर्ण भावनाओं पर आधारित समाज की रचना नहीं होगी तब तक समर्थ भारत का निर्माण नहीं हो सकताl

कार्यक्रम का आयोजन काशी के सभी 30 नगरों के सभी बस्तियों में किया गया।

काशी दक्षिण भाग प्रचार प्रमुख रविकांत ने बताया कि अपने भारत को परम वैभव संपन्न राष्ट्र बनाने के उद्देश्य हेतु भाग के सभी 15 नगरों के कुल 124 बस्तियों में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। काशी दक्षिण भाग के स्वयंसेवकों ने बड़ी संख्या में शाखा में उपस्थित हो परम पवित्र भगवा ध्वज के समक्ष प्रार्थना की। इसके पूर्व शाखा में खेल, योग आसन आदि शारीरिक कार्यक्रम हुए। तदोपरान्त जन समूह को दो समूहों में बाँट कर सामाजिक समस्याओ पर चर्चा भी हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता Phisycal Education के प्रो. भुवन चंद कापड़ी जी ने किया। उक्त अवसर पर IIT BHU के प्रो. सुनील, मयंक, अरुण देशमुख सहित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

माधव नगर स्थित मुंशी प्रेमचंद पार्क में कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय नगर संघचालक डॉ अजय पांडे जी के द्वारा की गयी। ओंकार जी ने अपना विचार रखते हुए समाज के संगठित करने हेतु विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत समर्थ तभी हो सकता है जब हिंदू संगठित होंगे। समाज को व्यक्तिनिष्ठ न होकर तत्वनिष्ठ होना चाहिए। संयोजक रामअवतार जी रहे। कार्यक्रम में कृष्ण मोहन जी(नगर कार्यवाह), शशि भूषण जी, कृष्णानंद जी, अंकित जी, अभिषेक जी, साकेत जी व अन्य सभी कार्यकर्ता गण उपस्थित थे।

मानस नगर में वक्ता के रूप में कमलेश जी ने विचार रखा। नवीन जी एवं ओंकार जी उपस्थित रहें। इसके अतिरिक्त केशव नगर, कर्दमेश्वर नगर, कबीर नगर, केदारश्वर नगर आदि नगरों में भी कार्यक्रम आयोजित हुए।

ककरहिया प्राइमरी पाठशाला में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राजेन्द्र प्रताप (सह विभाग सामाजिक सद्भाव संयोजक काशी विभाग) ने संगठित हिंदू समर्थ भारत पर विचार रखते हुए कहा कि कोई भी व्यक्ति समाज को तभी स्वस्थ व समृद्ध बनाएगा जब वह खुद स्वस्थ होगा और स्वस्थ रहने के लिए व्यायाम, योगा करना बहुत ही आवश्यक होता है|

Saturday, December 3, 2022

पुण्यतिथि विशेष : एक सच्चे कर्मवीर – अजीत जी

23 वर्ष की उम्र में इलेक्ट्रिकल एंड मेकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडल वो भी 65 वर्ष पहले। इसमें कोई संदेह नहीं कि एक चमचमाता हुआ कैरियर  इस प्रतिभाशाली युवक का इंतजार कर रहा था, परंतु उसके सपने तो सारी दुनिया से अलग थे। शायद इतिहास लिखने वाले लोग साधारण राह नहीं चुनते, और यही गुड़ीबंडे, कोलार जिला, कर्नाटक के गजेटेड ऑफिसर ब्रम्हसूरय्या व उनकी पत्नी पुट्टतायाम्मा की दूसरी संतान अजीत कुमार जी ने किया। किसी बड़ी कंपनी में नौकरी ज्वाइन करने के बजाय 1957 में वो रातोंरात घर छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक निकल गये। संघ के यशस्वी प्रचारकों में से एक अजीत जी ने अपने अल्प जीवन काल में बेंगलुरु में सेवा के क्षेत्र में एक यूनीक मॅाडल हिन्दू सेवा प्रतिष्ठान की स्थापना की। जिसने कई नयी अवधारणाओं को जन्म दिया। सेवा करने वाले लोग ट्रेंनिग देकर भी तैयार किये जा सकते हैं, महिलाएं भी अपना पूरा जीवन सेवाव्रती के रूप में समाज को दे सकती हैं, ये दोनो ही विचार संघ के लिए एकदम नये थे। किंतु उन्होंने इस परिकल्पना को साकार करने का दृढ़ निश्चय कर लिया व संगठन की सहमति से 1980 में "हिंदू सेवा प्रतिष्ठान" की स्थापना कर सेवाव्रती बनने के इच्छुक युवक व युवतियों की, 23 लोगों की, प्रथम बैच की, 40 दिन की, ट्रेनिंग आरंभ हुयी। नेले, अरूण, चेतना, प्रसन्ना काउंसलिंग सेंटर, सेवामित्र, सुप्रजा जैसे कुछ प्रकल्पों को चलाने वाले सभी सेवाव्रती, संस्थान को यहीं से मिले। स्वर्गीय अजीत जी की संकल्पना अब विशाल वटवृक्ष बन चुकी है। स्थापना से लेकर आज तक 42 वर्षों में यहाँ से ट्रेनिंग लेकर 4000 से अधिक लोगों ने अपना जीवन सेवाकार्यों के लिए समर्पित किया, जिनमें 3500 महिलाएं हैं। इनमें से अधिकांश लोगों ने अपनी युवा अवस्था के 3-10 वर्ष और कुछ ने तो अपना पूरा जीवन सेवा को समर्पित कर दिया

बेंगलुरु में BE करते हुए कंबनपेटे की कल्याण शाखा से संघ जीवन का आरंभ करने वाले अजीत जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि उनकी संघ शिक्षा देर से आरंभ हुयी किंतु कालेज जीवन में प्रथम शिक्षा वर्ग बाद ही उनके जीवन की दिशा बदल गयी।कालेज जीवन में विद्यार्थी परिषद का कार्य करते हुए भी वे आभाव ग्रस्त बंधु बांधवों का जीवन संवारने के लिए चिंतित रहने लगे थे।

1957 में संघ के प्रचारक निकलने के बाद 1960-75  तक संघ के विभिन्न दायित्वों को पूरा करते हुए वे आपतकाल में मीसा बंदी के रूप में 2 बरस जेल में रहे। वहां भी उन्होंने बंदीजनों को योग का प्रशिक्षण दिया। संघ के वर्गों के पाठ्यक्रम में योग को शामिल करने का श्रेय भी अजीत जी को ही जाता है। इसके लिए उन्होंने प्रख्यात योगाचार्य श्री पट्टाभि से योगासन सीखे।

हिंदू सेवा प्रतिष्ठान में सेवाव्रतियों की ट्रेनिंग का पाठ्यक्रम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले अजीत जी के सहयोगी रहे एवं वर्तमान सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी कहते हैं कि अजीत जी निरंतर चिंतित रहते थे कि जिन्हे सेवा की आवश्यकता है ऐसे लाखों है और सेवा करने वालो की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। व जिसके मूल स्वभाव में ही सेवा है वो नारी भी सेवाकार्य से कोसों  दूर खड़ी है। शायद उनकी इसी पीड़ा ने जन्म दिया सेवाव्रती की परिकल्पना को। यानि सेवा के लिए उत्तम व्यक्तियों का निर्माण कर उन्हें वंचित समाज के उत्थान में लगाना। इसके लिए प्रतिष्ठान यहाँ ट्रेनिग लेने वाले सेवाव्रतियों को भारत की वैभवशाली परंपरा , महापुरुषों की जीवनियां, सेवा की आवश्यकता, योग एवं अनुशासन का महत्व आदि विभिन्न विषयों पर  40 दिन की ट्रेनिंग देता है। इसके बाद सेवाव्रती 3 साल फील्ड में अपनी रुचि के अनुसार सेवा कार्यों के लिए समय देते हैं। इस दौरान उनके रहने, खाने के साथ छोटी सी राशि मानधन के रूप में प्रतिष्ठान देता है। युवावस्था में अपने जीवन के तीन वर्ष सेवा कार्यों को देने के बाद अधिकांश सेवाव्रती अपना पूरा जीवन सेवा को ही समर्पित कर देते हैं। 1989 में यहाँ से ट्रेनिंग लेकर प्रतिष्ठान में बरसों तक महिला विभाग की संचालिका रही और बाद में शेष जीवन सेवा को देने वाली वनिता हेगड़े जी बताती हैं कि अजीत जी स्थापना के बाद सिर्फ नौ वर्ष जीवित रहे किंतु इन नौ वर्षों में उन्होंने अपनी सारी ऊर्जा इस प्रोजेक्ट को सफल करने में लगाई।

ट्रेनिंग के दौरान वे पूरा समय वहां रहते एवं सभी प्रतिभगियों से उनका आत्मीय संबंध बन जाता था। कौन सेवा बस्ती में कार्य कर पाएगा? किसकी योग्यता का उपयोग योग केंद्र में किया जा सकता है, वे बखूबी समझ जाते। न सिर्फ सेवाव्रतियों का सही नियोजन बल्कि वे वहां ठीक से कार्य कर सकें इसको सुनिश्चित करने में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रहती थी। वे फील्ड में जाकर हर सेवाव्रती के साथ एक दिन बिताने का प्रयास करते थे।उनके सहज स्नेह व ओजस्वी विचारों से प्रभावित होकर अनेक युवक व युवतियां आजीवन सेवा का संकल्प लेने के लिए प्रेरित होते थे। सेवा के लिए उत्तम व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए यह भाव हिंदू सेवा प्रतिष्ठान के प्रथम निदेशक अजीत जी ने अपने सहयोगियों में भी संचारित किया।

किंतु काल के क्रूर प्रहार ने उनको असमय ही हम सबसे छीन लिया, केवल 56 वर्ष की उम्र में 3 दिसंबर 1990 को बेंगलुरु संघ कार्यालय केशव कृपा से तुमकुर जाते समय सुबह 4 बजे एक कार दुर्घटना में उनका निधन हो गया।

उनको श्रद्धांजलि देते हुए नानाजी देशमुख ने कहा था कि समूचे उत्तर भारत के लिए यह विश्वास करना कठिन है कि 16 वर्ष की उम्र में कोई युवती सेवा से जुड़ने के लिए स्वयं एक फार्म भरकर ट्रेनिंग लेगी। किंतु अजीत जी ने एक असंभव से लगने वाले विचार को एक सफल प्रकल्प के रूप में साकार किया।





स्त्रोत - सेवागाथा 

Thursday, December 1, 2022

लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की माँग को लेकर 19 दिसम्बर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगी किसान गर्जना रैली

काशी. विश्व संवाद केन्द्र, काशी, लंका कार्यालय पर पत्रकार वार्ता के दौरान भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी जी ने कहा कि लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में 19 दिसंबर को भारतीय किसान संघ की किसान गर्जना रैली होगी, जिसमें देशभर से दो लाख किसानों के पहुंचने की संभावना है.

बेशक, देश की सरकारों द्वारा किसानों के लिए आज और कल की स्थिति को M.S.P. में 50 प्रतिशत तक लाभकारी मूल्य देकर आत्मनिर्भर बनाना है तो आज भी उत्तम खेती करने वाला किसान गरीबी में है? इसका मुख्य विषय है कि कृषि उत्पादों के मूल्य नीति लाभकारी नहीं है. यानि M.S.P. (मिनिमम सपोर्ट प्राईज) तर्क संगत नहीं है. एक कुशल श्रेणी प्रबंधक किसान का वेतन, सम्मिलित नहीं है और न ही M.S.P. घोषित फसलों को खरीदा जाता है, केवल धान, गेहूँ की फसलों के कुल उत्पादन का 10-11 प्रतिशत खरीदा जाता है. इस प्रकार की नीतियों से देश का किसान आत्मनिर्भर, समृद्धशाली कैसे बनेगा? भारतीय किसान संघ का प्रारम्भ से मुख्य मुद्दा किसान को लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिलाना रहा है, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु भारतीय किसान संघ सरकार के समक्ष निम्न मांगें रखता है

1.  लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य दिया जाए.

2.  कृषि आदानों को GST के दायरे से बाहर रखा जाए.

3.  किसान सम्मान निधि बढ़ाई जाए व प्रत्येक किसान को सुनिश्चिति की जाए.

4.  केन्द्र सरकार सभी प्रकार के GM, BT GM सरसों के अनुमति को तत्काल वापस ले.

5.  फसल अवशेष जलाने पर किसान पर हो रही कार्यवाही व आर्थिक दण्ड समाप्त करें.

भारतीय किसान संघ काशी प्रान्त सभी जनपद में 1 दिसम्बर से 10 दिसम्बर तक ग्राम जनजागरण का अभियान चलाया जाएगा. इसमें काशी प्रान्त से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भाग लेंगे. साथ ही 19 दिसम्बर को दिल्ली के आन्दोलन में भी शामिल होंगे. प्रान्त अध्यक्ष इन्द्रासन सिंह ने कहा कि किसान संघ कि प्रमुख मांग है लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य. हमारा संगठन किसान हित में माँग को पूर्ण करने की मांग करता है.

Tuesday, November 29, 2022

सृष्टि को एकात्म भाव तथा समग्र दृष्टि से देखने की हमारी परंपरा है – डॉ. मोहन भागवत जी

प्रयागराज. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि देश में महापुरुषों की लंबी परंपरा अखंड रूप से चली आ रही है. इस परंपरा को आगे बढ़ाने वालों में स्वामी शांतानंद सरस्वती जी महाराज थे, जिनका यह आराधना महोत्सव है. ऐसे महापुरुष के जीवन से सीख लेकर हम अपने जीवन को आगे बढ़ाएं.

सरसंघचालक जी मंगलवार को अलोपी बाग स्थित शंकराचार्य आश्रम में आराधना महोत्सव में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में आराधना महोत्सव का औपचारिक उद्घाटन किया.

अपराह्न 2:00 बजे से प्रारंभ हुए महोत्सव में बड़ी संख्या में जुटे नगर के बुद्धिजीवियों तथा श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सरसंघचालक जी ने कहा कि जीने की कला सिखाने वाले महापुरुषों की इस देश में कमी नहीं है. महापुरुषों की एक लंबी परंपरा हमारे देश में अखंड रूप से चली आ रही है. महापुरुषों के बताए रास्ते पर पांच कदम भी हम चल सके तो अच्छा होगा. पूरी सृष्टि को एकात्म भाव तथा समग्र दृष्टि से देखने की हमारी परंपरा है. हमारे पारिवारिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय जीवन को जागृत करने वाली यही मूल दृष्टि है.

बाबा साहेब डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर भी कहा करते थे कि धर्म और अध्यात्म के बिना सांसारिक व्यवस्थाएं नहीं चल सकती हैं. जीवन का सार तत्व ‘ब्रह्म सत्यम जगन्मिथ्या’ ही है. इस सत्य को जानने के बाद भी लोग सांसारिक धर्म निभा रहे हैं.

इससे पूर्व सरसंघचालक जी ने ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती जी तथा ब्रह्मानंद सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा व्यासपीठ का पूजन किया. शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने सरसंघचालक जी को माल्यार्पण कर अंगवस्त्रम प्रदान किया तथा श्री राम जन्मभूमि मंदिर की प्रतिमा तथा अभिनंदन ग्रंथ यश सिंधु पुस्तक भेंट कर उनका सम्मान किया.

मंच पर पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही.

इसके पूर्व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी ने महोत्सव के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी. उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों से शांतानंद जी की स्मृति में यह उत्सव मनाया जा रहा है. सप्ताह व्यापी आराधना महोत्सव में 3 दिसंबर को स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी का जन्मोत्सव तथा राधामाधव का वार्षिक महोत्सव मनाया जाएगा. 4 दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी विष्णु देवानंद जी का जन्मोत्सव तथा 7 दिसंबर को ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी शांतानंद सरस्वती जी की विशेष आराधना होगी.

टीकरमाफी मठ के हरि चैतन्य ब्रह्मचारी ने मंच पर अतिथियों का स्वागत किया तथा कहा कि अध्यात्म संस्कृति से दूर होते समाज को यह शंकराचार्य आश्रम एक नई दिशा दे रहा है. इस अवसर पर कवि शंभू नाथ त्रिपाठी अंशुल, सुरेश चंद्र श्रीवास्तव तथा पुलक जी को प्रशस्ति पत्र देकर सरसंघचालक जी ने सम्मानित किया. संचालन विश्व हिन्दू परिषद के अशोक तिवारी ने किया.

इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक श्रीमान अनिल जी, प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी, सह प्रांत प्रचारक मुनीश जी, के अतिरिक्त प्रो. राज बिहारी जी, श्री राम चंद्र जी, डॉ. मुरार जी त्रिपाठी, विभाग प्रचारक डॉ. पीयूष जी, सह विभाग प्रचारक नितिन जी, गंगा समग्र के संगठन मंत्री अम्बरीष जी, विहिप के अनिल कुमार पांडे, साहित्यकार शीलधर शास्त्री आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

Friday, November 11, 2022

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के ज्ञानवापी आदेश पर विहिप


नई दिल्ली। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 17.05.2022 को निर्देश दिया था कि ज्ञानवापी संरचना में पाए जाने वाले पवित्र शिवलिंग की रक्षा की जाए।

मुख्य वाराणसी वाद में इंतेज़ामिया समिति ने एक आवेदन दायर कर आरोप लगाया था कि हिंदुओं की ओर से दायर किया गया मुकदमा चलने योग्य नहीं था। तकनीकी भाषा में यह आवेदन सिविल प्रक्रिया संहिता के U/o VII नियम 11 के अंतर्गत था। सुप्रीम कोर्ट के संरक्षण आदेश को आवेदन के निर्णय के आठ सप्ताह बाद तक जारी रखना था। जिला न्यायाधीश ने 12.09.2022 को आवेदन खारिज कर दिया। आठ सप्ताह का समय आज यानी शुक्रवार, 11.11.2022 को समाप्त हो रहा था। इसलिए माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पवित्र शिवलिंग के संरक्षण आदेश को बढ़ाने का अनुरोध किया गया था।

विहिप यह देखकर खुश है कि सुरक्षा बढ़ाने की प्रार्थना का विरोध नहीं किया गया। दूसरा पक्ष भी सहमत था कि इस तरह की सुरक्षा की आवश्यकता है और सुरक्षा आदेश को 'अगले आदेश तक' बढ़ा दिया गया है।

Saturday, October 22, 2022

जानें, क्यों मनाई जाती है धन्वंतरि जयंती और काशी के धन्वंतरि कूप का महत्व

      हमारे धर्म ग्रंथों में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक बताया गया है. हमारे ग्रंथ और शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक देवता किसी न किसी शक्ति से पूर्ण होते हैं. किसी के पास अग्नि की शक्ति है, कोई प्राण ऊर्जा का कारक, कोई आकाश और कोई हवा का संरक्षक है. इसी प्रकार चिकित्सा क्षेत्र में धन्वंतरि जी स्थान रखते हैं. भगवान धन्वंतरि आरोग्य देने वाले हैं जिनके स्मरण मात्र से रोगों से मुक्ति मिलती है| कई औषधियों की प्राप्ति इन्हीं के द्वारा ही प्राप्त हुई है. उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने वाले देवता भी हैं. पृथ्वी पर उपस्थित समस्त वनस्पतियों और औषधियों के स्वामी भी धन्वंतरि को ही माना गया है. भगवान धनवन्तरि के आशीर्वाद से ही आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है. ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु का विभिन्न अवतारों में से एक अवतार भगवान धन्वंतरि का भी है| धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अवतरित हुए थे, इसीलिए इसी तिथि को भगवान धन्वंतरि का पूजन कर हम संसार को रोग मुक्त करने की मंगलकामना करते हैं|

धनवन्तरि का स्वरुप :

धनवन्तरि को भगवान विष्णु का ही एक अंश रुप माना जाता रहा है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से ऊपर के दोनों हाथों में चक्र और शंख धारण किए होते हैं. अन्य दो हाथों में से औषधि और अमृत कलश स्थित है.

धन्वंतरि जयंती का महत्त्व :

धन्वंतरि जयंती की विस्तृत जानकारी हमारे ग्रंथों - भागवत, महाभारत, पुराणों इत्यादि में उल्लेख से प्राप्त होता है. भगवान धन्वंतरि को समस्त स्थानों पर आरोग्य प्रदान करने वाला ही बताया गया है. धन्वंतरि संहिता द्वारा ही देव धन्वंतरि के कार्यों का पता चलता है. यह ग्रंथ आयुर्वेद का मूल ग्रंथ भी माना गया है. पौराणिक मान्यता अनुसार आयुर्वेद के आचार्य सुश्रुत मुनि ने धन्वंतरिजी से ही इस शास्त्र का उपदेश प्राप्त किया था.

कौन थे धन्वंतरि ?

     भारतीय इतिहास में धन्वंतरि आयुर्वेद प्रवर्तक थे। इनको देवताओं का वैद्य या आरोग्य का देवता भी कहा जाता है। देवासुर संग्राम में जब देवताओं को दानवों ने आहत कर दिया, तब असुरों के द्वारा पीड़ित होने से दुर्बल हुए देवताओं को अमृत पिलाने की इच्छा से हाथ में कलश लिए धन्वं‍तरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए। देव चिकित्सक धन्वं‍तरि का अवतरण कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी (धनतेरस) को हुआ था। प्रति वर्ष इसी तिथि को आरोग्य देवता के रूप में धन्वं‍तरि की जयंती मनाई जाती है। उनके नाम के स्मरण मात्र से समस्त रोग दूर हो जाते हैं, इसीलिए वह भागवत महापुराण में स्मृतिमात्रतिनाशनकहे गए हैं। समुद्र मंथन से 14 रत्न निकले थे। उसी में भगवान विष्णु के नामों का जाप करते हुए पीतांबरधारी एक अलौकिक पुरुष का आविर्भाव हुआ। 24 अवतारों में एक विष्णु के अंशावतार वही चतुर्भुज धन्वं‍तरि के नाम से प्रसिद्ध हुए और आयुर्वेद के प्रवर्तक कहलाए। आयुर्वेद के आठ अंग इस प्रकार हैं- काय चिकित्सा, बाल चिकित्सा, ग्रह चिकित्सा, ऊर्ध्वांग चिकित्सा, शल्य चिकित्सा, दंत चिकित्सा, जरा चिकित्सा और वृष चिकित्सा।

धन्वंतरि कूप का है बड़ा महत्व :

प्रचलित कथाओं के अनुसार महाभारत काल में राजा परीक्षित को नागराज तक्षक से महाराजा परीक्षित को भंगवान धन्वंतरि बचाने जा रहे थे। उसी समय भगवान धन्वंतरि और नागराज तक्षक की भेंट मध्यमेश्वर क्षेत्र स्थित महामृत्युंजय महादेव मंदिर के परिसर में स्थित कूप के पास हुई। भगवान धन्वंतरि और नागराज तक्षक ने अपने-अपने प्रभाव का परीक्षण किया। अपने विष से हरे पेड़ को सुखा देने वाले नागराज तक्षक उस समय परेशान हो गए जब उन्होंने देखा कि भगवान धन्वंतरि ने अपनी चमत्कारी औषधि से उसे पुनः हरा-भरा कर दिया। तब नागराज तक्षक ने छलपूर्वक भगवान धन्वंतरि की पीठ पर डस लिया, जिससे कि वह औषधि का लेप वहां न लगा सकें। उसी समय भगवान धन्वंतरि ने अपनी औषधियों की मंजूषा कूप में डाल दी थी, जिसे काशी में धन्वंतरि कूप कहा जाता है।

Wednesday, October 19, 2022

देश में सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए : दत्तात्रेय होसबाले

  • आरएसएस के सरकार्यवाह बोले, साल भर में बढ़ीं 6600 संघ की शाखाएं  


प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बुधवार को यहां कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोगों में भी स्वाभिमान जागरण के कारण ‘‘मैं भी हिन्दू हूँ ’’ का बोध विकसित हुआ है।  

संघ के सरकार्यवाह आज प्रयागराज के गौहनिया स्थित जयपुरिया स्कूल के वात्सल्य परिसर में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्वाभिमान जागरण के कारण ही पूर्वोत्तर राज्यों के जनजातीय समुदाय के लोग अब संघ से भी जुड़ना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि मेघालय और त्रिपुरा राज्य के जनजाति समुदाय के लोग संघ के सरसंघचालक जी को भी इस बोध के साथ आमंत्रित करने लगे हैं।

प्रयागराज में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चार दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक के अंतिम दिन दत्तात्रेय होसबाले ने  पत्रकारों को बताया कि संघ अपनी स्थापना के शताब्दी वर्ष में बहुत से आयामों में कार्य को गति प्रदान कर रहा है। कोरोना की विभीषिका के कठिन समय में भी संघ ने अपने कार्यों के आयामों में अभूतपूर्व प्रगति की है।

जनसंख्या असंतुलन पर चिंता जताई

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह ने कहा कि देश में जनसंख्या विस्फोट चिंताजनक है। इसलिए इस विषय पर समग्रता से व एकात्मता से विचार करके सब पर लागू होने वाली जनसंख्या नीति बननी चाहिए। उन्होंने कहा कि  मतांतरण होने से हिंदुओं की संख्या कम हो रही है। देश के कई हिस्सों में मतांतरण की साजिश चल रही है। कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में घुसपैठ भी  हो रही है। सरकार्यवाह ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन के कारण कई देशों में विभाजन की नौबत आई है। भारत का विभाजन भी जनसंख्या असंतुलन के कारण हो चुका है ।

2024 तक सभी मंडल शाखा युक्त होंगे

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बताया कि वर्ष 2024 के अंत तक हिंदुस्तान के सभी मंडलों में शाखा पहुंचाने की योजना बनाई गई है। उन्होंने बताया कि कुछ प्रांतों में यह कार्य चुनिंदा मंडलों में 99 प्रतिशत तक पूरा कर लिया है। चित्तौड़ ,ब्रज व केरल प्रांत में मंडल स्तर तक शाखाएं खुल गई है। सरकार्यवाह ने बताया कि पहले देश में 54382 संघ की शाखाएं थी अब वर्तमान में 61045 शाखाएँ लग रही है। साप्ताहिक मिलन में भी 4000 और मासिक संघ मंडली में विगत एक वर्ष में 1800 की बढ़ोतरी हुई है।

देश में तीन हजार निकले शताब्दी विस्तारक

सरकार्यवाह ने बताया कि वर्ष 2025 में संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इस निमित्त संघ कार्य के लिए समय देने के लिए देशभर में तीन हजार युवक शताब्दी विस्तारक के नाते निकले हैं। अभी एक हजार शताब्दी विस्तारक और निकलने है। 

कार्यकारी मंडल की बैठक में सामाजिक विषयों पर भी हुई चर्चा

दत्तात्रेय होसबाले ने बताया कि संगम नगरी में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में जनसंख्या असंतुलन, महिला सहभागिता, मतांतरण और आर्थिक स्वावलंबन जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई तथा संघ कार्यों को विस्तार प्रदान करने की विस्तृत कार्ययोजना के संबंध में विचार मंथन हुआ। 

जनसंख्या असंतुलन से संबंधित एक सवाल के जवाब में संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि विगत 40-50 वर्षों से जनसंख्या नियंत्रण पर जोर देने के कारण प्रत्येक परिवार की औसत जनसंख्या 3.4 से कम होकर 1.9 हो गई है। इसके चलते भारत में एक समय ऐसा आएगा जब युवाओं की जनसंख्या कम हो जाएगी और वृद्ध लोगों की आवादी अधिक होगी, यह चिंताजनक है।

देश को युवा देश बनाए रखने के लिए संख्या को संतुलित रखने पर उन्होंने ज़ोर दिया। वहीं मतांतरण और बाहरी घुसपैठ जैसे दुष्चक्र के कारण होने वाली जनसंख्या असंतुलन पर चिंता भी व्यक्त की। 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यमुनापार में गौहनिया स्थित वात्सल्य विद्यालय परिसर में आयोजित हुई। पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर बैठक का शुभारम्भ किया था। बुधवार यानि 19 अक्टूबर को बैठक का समापन  हुआ।

Tuesday, October 18, 2022

संघ की बैठक में परिवार प्रबोधन और पर्यावरण संबंधी कार्यों पर हुई विस्तृत चर्चा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ- अ.भा. कार्यकारी मण्डल बैठक का तीसरा दिन
प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक में मंगलवार को सेवा कार्य तथा विभिन्न गतिविधियों जैसे परिवार प्रबोधन एवं पर्यावरण संबंधी कार्यों पर विस्तृत चर्चा हुई।  

बैठक में आज तीसरे दिन कुछ विशेष कार्यक्रमों के वृत्त रखे गये। इनमें पूजनीय सरसंघचालक जी की सितंबर 2022 में हुई मेघालय यात्रा का विषय भी शामिल था। इस यात्रा में मेघालय के खासी, जयंतिया व गारो लोगों द्वारा पूज्य सरसंघचालक जी का भव्य स्वागत किया गया था। पूज्य सरसंघचालक जी ने यात्रा के दौरान वहां सेंग खासी समुदाय के पारंपरिक धार्मिक पूजा स्थल का दर्शन भी किया था। 

पूज्य सरसंघचालक जी ने अगस्त 2022 में दिल्ली में “सुयश” कार्यक्रम के तहत विभिन्न सामाजिक कार्य में जुड़े संस्थाओं के कार्यक्रम में भाग लिया था। बैठक में मेघालय यात्रा और सुयश कार्यक्रम को लेकर कार्यकारी मंडल ने विस्तार से चर्चा की।

इसके अतिरिक्त आज की बैठक में संघ से ज्वाइन आरएसएस (ऑनलाइन) माध्यम से जुड़ने के लिए बड़ी संख्या में आ रहे लोगों को संघ कार्य से जोड़ने पर भी विस्तार से चर्चा हुई. बैठक में संघ कार्यविस्तार पर भी चर्चा हुई। ज्ञात हो कि संघ ने 2024 तक सभी मंडलों और एक लाख स्थानों तक कार्य पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की यह बैठक जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यमुनापार में गौहनिया स्थित वात्सल्य विद्यालय परिसर में आयोजित हो रही है। 

पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर बैठक का शुभारम्भ किया था। बुधवार यानि 19 अक्टूबर को बैठक का समापन होगा। 

Sunday, October 16, 2022

प्रयागराज में प्रारम्भ हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक

प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक आज प्रयागराज में आरम्भ हुई। बैठक का शुभारम्भ परमपूजनीय सरसंघचालक डॉ मोहनजी भागवत और माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले जी ने भारत माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करके किया। यह बैठक 19 अक्तूबर सायंकाल तक चलेगी। बैठक में संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी, संघ द्दृष्टि से सभी 11 क्षेत्रों व 45 प्रांतों के संघचालक, कार्यवाह व प्रचारक और उनके सह उपस्थित हैं। बैठक में अपेक्षित 377 में से अधिकतम कार्यकर्ता उपस्थित हैं । बैठक का प्रारम्भ करते हुए माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने बैठक में आए हुए सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया। उसके पश्चात् गत दिनों दिवंगत हुए समाज जीवन में सक्रिय प्रमुख व्यक्तियों को श्रद्धांजलि दी गई, उसमें प्रमुख द्वारका पीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी, पंचपीठाधीश्वर आचार्य धर्मेंद्र जी, पूर्व न्यायाधीश आर. सी. लाहोटी जी, हास्य कलाकार श्री राजू श्रीवास्तव जी, प्रसिद्ध उद्योगपति सायरस मिस्री जी, पुरातत्वविद श्री बी. बी. लाल जी तथा समाजवादी नेता श्री मुलायम सिंह यादव जी हैं. बैठक में संघ शताब्दी की दृष्टि से कार्यविस्तार के लिए बनी योजना की समीक्षा, प्रवास की योजना, समसामयिक विषयों पर चर्चा होगी। इसके अतिरिक्त पूज्य सरसंघचालक जी के विजयादशमी उद्बोधन में आए विषयों - जनसंख्या असंतुलन, मातृभाषा में शिक्षा, सामाजिक समरसता, महिला सहभाग आदि विषयों पर चर्चा होगी। पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन में चल रहे प्रयासों के बारे में भी जानकारी ली जाएगी।




Saturday, October 15, 2022

अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल चार दिवसीय बैठक प्रयागराज में कल से प्रारंभ होगी

प्रयागराज. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की चार दिवसीय बैठक रविवार से प्रयागराज में प्रारम्भ हो रही है. बैठक में संघ रचना के सभी 45 प्रांतों के प्रांत संघचालक, कार्यवाह तथा प्रचारक एवं उनके सह भागीदारी करेंगे.

अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बैठक स्थल पर शनिवार को पत्रकारों को बताया कि बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत, माननीय सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी तथा सभी सह सरकार्यवाह एवं अन्य अखिल भारतीय अधिकारियों सहित कार्यकारिणी के सदस्य उपस्थित रहेंगे.

सुनील आंबेकर ने बताया कि अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की इस चार दिवसीय बैठक में बीते मार्च माह में आयोजित अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में बनी वार्षिक योजना की समीक्षा होगी तथा संघ कार्य के विस्तार का वृत्त भी लिया जाएगा. देश में वर्तमान समय में चल रहे समसामयिक विषयों पर भी चर्चा होगी. इसके अलावा बैठक में संघ के विजयादशमी उत्सव पर पूजनीय सरसंघचालक जी के उद्बोधन में महत्वपूर्ण विषयों के अनुवर्तन पर भी चर्चा होगी.

उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक में इसके अलावा नागपुर में 14 नवम्बर से आठ दिसम्बर तक होने वाले संघ शिक्षा वर्ग (तृतीय वर्ष) जो इस वर्ष मई के अलावा आयोजित हो रहा है, उसकी योजना पर भी चर्चा होगी. बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष में कार्य विस्तार की रूपरेखा को लेकर भी चर्चा की जाएगी. 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे हो रहे हैं, जिसको ध्यान में रखते हुए कार्य विस्तार की योजना बनी है. वर्तमान में संघ की देश भर में 55 हजार स्थानों में शाखाएं हैं, जिन्हें मार्च 2024 तक एक लाख स्थानों तक पहुंचाने की योजना है.

पत्रकारों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के उत्तर में सुनील आंबेकर ने कहा कि विजयादशमी उत्सव पर सरसंघचालक जी के उद्बोधन में उठाये गये मुद्दों पर बैठक में विशेष चर्चा होगी, जिनमें मातृभाषा में शिक्षा, जनसंख्या असंतुलन, महिला सहभाग, सामाजिक समरसता और समाज के सभी वर्गों के साथ संवाद प्रमुख हैं.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की यह बैठक जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर यमुनापार में गौहनिया स्थित वात्सल्य विद्यालय परिसर में आयोजित हो रही है, बैठक का समापन 19 अक्तूबर को होगा.

Thursday, October 6, 2022

संघ राष्ट्र को वैभव के शिखर पर ले जाने के लिए कृत संकल्पित - रमेश जी


प्रयागराज| त्रिवेणी नगर स्थित नाग वासुकी मंदिर के सामने संपन्न हुये प्रयाग उत्तर भाग के विजयादशमी उत्सव में स्वयंसेवकों को प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने संबोधित किया। उन्होने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कहा कि अनाचार पर सदाचार की विजय का प्रतीक विजयदशमी पर्व है। देश में सदाचार की ही जय जयकार हो इसी उद्देश्य को लेकर विजयदशमी के दिन संघ की स्थापना 1925 में की गई। सज्जन शक्ति के संरक्षण तथा देश विरोधी तत्वों से लोगों को सजग करने के लिए कलयुग में संघावतार हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि जन-जन में अनुशासन तथा राष्ट्रप्रेम का भाव भरकर देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाली पूरी पीढ़ी तैयार करने के अभियान में संघ संलग्न है। संघ के प्रयासों से आज भारत पूरी दुनिया में मजबूत स्थिति में दिखाई दे रहा है।  संघ वैभव के शिखर पर राष्ट्र को ले जाने के लिए कृत संकल्पित हैं। धारा 370 की समाप्ति, अयोध्या में भव्य राम मंदिर की शुरुआत काशी में विश्वनाथ मंदिर के सौंदर्यीकरण से देशवासियों की सैकड़ों वर्ष की आकांक्षा फलीभूत हुई है| वास्तव में परम वैभव की मंजिल के यह मील के पत्थर हैं। लक्ष्य तो अखंड भारत का निर्माण करना है जो महर्षि अरविंद का सपना था। अध्यक्षता डॉ श्याम प्रसाद मुखर्जी डिग्री कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. गोविंद दास ने की। मंच पर मा.सह विभाग संघचालक नागेंद्र जी भाग संघचालक लालता प्रसाद जी उपस्थित थे।

  उद्बोधन के पूर्व मंचस्थ अतिथियों के साथ प्रांत प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने परंपरागत ढंग से अक्षत पुष्प आदि सेशस्त्र पूजन किया। पूर्ण गणवेश धारी, कंधे पर दंड संभाले विशाल संख्या में पंक्ति बद्ध बाल तरुण एवं प्रौढ़ स्वयंसेवकों ने नाग वासुकी मंदिर के पूर्वी दरवाजे से घोष की धुन के साथ पथ संचलन शुरू किया।  स्थानीय लोगों ने गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों की वर्षा कर स्वयंसेवकों का स्वागत किया। कच्ची सड़क पहुंचने पर राष्ट्र सेविका समिति की बहनों ने भी पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।