- दलित समाज की महिलाएं हुई अविभूत, कहा अब भगवान से ये रिश्ता नहीं टूटेगा।
- मंदिर जाकर लगा कि मेरा धर्म कितना महान है।
- भारत के जाने-माने दलित चिंतक एवं केराकत विधानसभा के पूर्व विधायक दिनेश चौधरी ने दलितों के जीवन की परिवर्तनकारी घटना बताया।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वप्न हुआ साकार, छुआछूत मिटा, समरसता आयी।
- विश्वनाथ कॉरिडोर के दर्शन कर जनजातीय, अनुसूचित समाज हुआ धन्य।
- सबकी माता भारत माता, सबको मिलाए भारत माता का हुआ कीर्तन।
- ॐ नमः शिवाय का जाप करते चल रही थीं महिलाएं।
- माँ गंगा का जल पिलाकर इन्द्रेश कुमार ने दलित समाज की महिलाओं की बाबा विश्वनाथ से रिश्तेदारी पक्का कर दिया।
काशी।
वृहस्पतिवार को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर समरसता और हृदय को जोड़ने की क्रांति का
साक्षी बना| सामाजिक संगठनों
के प्रयास से भारत के इतिहास में समानता, बंधुत्व और प्रेम की क्रांति बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर से निकल
कर पूरी दुनिया में गयी| राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के अ.भा.कार्यकारिणी के सदस्य डा.इन्द्रेश कुमार ने समाज के वंचित
वर्ग की महिलाओं के साथ विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया। दलित बस्ती एवं मुसहर
बस्ती की ये महिलाएं 15 दिन से दर्शन की तैयारी कर रही थीं।
काशी के आस-पास के जिलों से भी आये इन
परिवारों के सदस्य उत्साहित थे। बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए 51
महिला-पुरुषों ने जब सुभाष भवन से हर हर महादेव और जय सियाराम का उदघोष करते हुए
कूच किया तो दृश्य देखने लायक था। अपने भगवान से मिलने की खुशी चेहरे पर थी। दर्शन
करने वाली महिलाओं ने कहा कि मन्दिर में जाना मना तो नहीं था, लेकिन इस समाज को
कोई मंदिर ले जाने वाला भी तो नहीं था। संकोच में कि पता नहीं कोई क्या कह दे, इस कारण मन्दिर
ही नहीं जा पाए। अपने विश्वनाथ से मिल नही
पाए| जब से कॉरिडोर की
चर्चा सुनी थी, मन में ये तो था
कि कभी बाबा के दर्शन अवश्य करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बात की जानकारी जब
इन्द्रेश जी को हुई तो उन्होंने एक बड़ी
पहल करते हुए कहा आपकी श्रद्धा का हम हृदय से स्वागत करते है और आपकी यह इच्छा हम
पूरा करेंगे। मुसहर समाज के लोगों के लिए यह अद्भुत क्षण था, जब दर्शन करके
दलित समाज के लोग बाहर निकले तो जौनपुर के किशन बनवासी रो पड़े। किशन ने कहा कि
मुसहर समाज को अब तक बाबा से क्यों दूर रखा गया। आज हम धन्य हो गए।
आजाद भारत की पहली घटना है, जब इतनी बड़ी
संख्या में पहली बार दलित समाज की पुरुष महिलाओं एवं बच्चों ने इन्द्रेश कुमार के
नेतृत्व में बाबा विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया। दलित समाज की महिलाओं ने
कॉरिडोर देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना आशीर्वाद दिया और कहा कि मोदी जी
ने इतना सुंदर मंदिर प्रांगण बनवा दिया, उनकी उम्र बहुत लंबी हो, वो खुश रहे। दलित समाज इस प्रांगण की भव्यता और दिव्यता
देने के लिए मोदी जी का ऋणी रहेगा।
इस अवसर पर इन्द्रेश कुमार ने कहा कि
सामाजिक समरसता और समानता की क्रांति की आरम्भ हो चुकी है। अब गांव-गांव से
"चलो विश्वनाथ दरबार" का नारा गूंजेगा और दलित, जनजातीय, वनवासी समाज
अयोध्या काशी और मथुरा की ओर दर्शन पूजन करने को निकलेगा और संस्कृति को दुनिया
में प्रसारित करेगा और सामाजिक विषमता की भ्रांतियों को दूर करेगा|
उन्होंने कहा कि इतिहास में समानता और
समरसता के साथ दलित समुदाय को सनातन धर्म रक्षक के रूप में इस घटना को याद किया
जाएगा। दलित समुदाय की महिलाएं और बेटियों को कुछ भारत विरोधी लोगों ने बाबा
विश्वनाथ और प्रभु श्रीराम से दूर कर दिया था, आज उस दूरी को मिटाने में सफलता मिली। बाबा सबके हैं, सभी धर्म जातियों
के लोगों का अधिकार बाबा पर है, वो विश्व के नाथ हैं। मुसहर समाज की भक्ति बाबा के मन्दिर
तक ले आयी।
केराकत विधानसभा के पूर्व विधायक दिनेश
चौधरी ने कहा कि दलितों के जीवन की परिवर्तनकारी घटना है, दलितों को भगवान
से मिलाने की प्रेरणा देता है। दलित समाज की महिलाओं का नेतृत्व लक्ष्मीना देवी ने
और मुसहर समाज का नेतृत्व किशन बनवासी ने किया।
दर्शन करने वालों में अर्चना भारतवंशी, पूनम, सुनीता, अर्चना, प्रियंका, पार्वती, ऊषा,
निर्मला, हीरामनी, लालती, सुमन, सविता, धनेसरा, नीतू, किशुना, श्यामदुलारी, विद्या देवी, प्रभावती, उर्मिला, गीता, सरोज, रमता, शीला, ज्ञान प्रकाश, सूरज चौधरी, राजेश आदि लोग
शामिल रहे।