काशी| वर्तमान में शिक्षक
केवल मार्ग बताने वाला बन गया है जबकि मनुष्य बनने की शिक्षा देने वाला ही
वास्तविक गुरु होता है| वर्तमान शिक्षा
व्यवस्था में लोग इंजिनियर, डॉक्टर, वकील, शिक्षक बनना चाहते
हैं पर मनुष्य बनना आवश्यक है| उक्त विचार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भैय्याजी जोशी ने
व्यक्त किया| वे सोमवार को नेशनल
मेडिकोज आर्गेनाइजेशन (एन.एम.ओ.) द्वारा आयोजित भारत भूषण पं.महामना मदन मोहन
मालवीय स्वास्थ्य सेवा यात्रा - 2022 के समापन समारोह
एवं शिक्षक दिवस के अवसर पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सम्बोधित कर रहे थे|
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा व्यवस्था में मनुष्य
बनने के विचारों का बीजारोपण करने की परिकल्पना को लेकर महामना ने काशी हिन्दू
विश्वविद्यालय की स्थापना की| भारत में शिक्षक
दिवस के पहले से ही गुरु पूर्णिमा का आयोजन होता रहा है, शिक्षक और गुरु दोनों शब्दों के मध्य के अर्थों
के अंतर को समाप्त करना आवश्यक है| कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए आगे कहा कि एन.एम.ओ. द्वारा
आचार्य वंदन की जो परम्परा प्रारम्भ हुई है वह प्रशंसनीय है| एन.एम.ओ. से जुड़ा प्रत्येक छात्र सेवा भाव लेकर
चलता है| समय-समय पर आपदाओं में चिकित्सा हेतु जाना यह एक
विषय है परन्तु महत्वपूर्ण यह है कि केवल चिकित्सा सेवा के लिए यात्रा की जाए| इस प्रकार के संस्कारो को छात्र जीवन में ही
देना आवश्यक है| चरक शपथ की चर्चा
करते हुए कहा कि छात्रों द्वारा चरक शपथ का स्मरण भी आवश्यक है| एन.एम.ओ.के मन्त्र का अर्थ समझाते हुए मुख्य
अतिथि ने कहा महाभारत के द्रोण पर्व में उल्लिखित इस श्लोक के द्वरा महाराजा
रन्तिदेव ने कामना की है कि न तो मुझे राज्य चाहिए, न तो स्वर्ग| मेरे पास आये हुए व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान हो| मेरे सामने बैठा हुआ मरीज ही मेरा ईश्वर है यही
भाव चिकित्सक से अच्छा काम करवाता है| विवेकानन्द जी ने मानव सेवा को ईश्वर सेवा माना है| मानव की सभी पीड़ा, दुःख-दर्द को मिटाने वाला वर्ग चिकित्सक है|
वर्तमान में अच्छी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध होना
एक चुनौती है| आज भी अच्छी चिकित्सा
सुविधा मात्र 20 प्रतिशत लोगों को
ही उपलब्ध है| बहुत बड़ी जनसँख्या
धर्मदा चिकित्सा व्यवस्था पर आश्रित है| यद्यपि वर्तमान में शासकीय चिकित्सा व्यवस्था उन्नत हुई है
पर जनसँख्या और भौगोलिक विस्तार को देखें तो आज भी सुविधा न्यून है| दलाई लामा के शब्दों में स्वास्थ्य की सुविधाएँ
बढ़ी हैं पर स्वास्थ्य का स्तर नीचे जा रहा है| इस विचार को बदलने में एन.एम.ओ. द्वारा संचालित धनवन्तरी
यात्रा, कश्यप यात्रा, भारत भूषण पं.महामना मदन मोहन मालवीय स्वास्थ्य सेवा यात्रा
इत्यादि सहायक सिद्ध हुए हैं|
कार्यक्रम के आरम्भा में मंचासीन अतिथि भैय्या
जी, एन.एम.ओ. के अखिल भारतीय महासचिव डॉ.विश्वम्भर
जी, प्रान्त अध्यक्ष डॉ.सुभाष जी द्वारा दीप
प्रज्ज्वलन एवं महामना मालवीय, सर्वपल्ली
राधाकृष्णन एवं भगवान् धनवन्तरी के चित्र पर माल्यार्पण किया गया| कार्यक्रम की अध्यक्षता एन.एम.ओ. के प्रदेश
अध्यक्ष डॉ.कमलाकर ने किया| धन्यवाद ज्ञापन
डॉ.सत्येन्द्र एवं सञ्चालन डॉ.दीपक ने किया|
इनका हुआ सम्मान - विशिष्ट अतिथि के रूप में
उपस्थित पद्मश्री डॉ.टी.के.लहरी को एवं धनवंतरी सम्मान से डॉ.मनोरंजन साहू को
सम्मानित किया गया| इसके अतिरिक्त
चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में 6 शिक्षको में
डॉ.एस.पी.मिश्रा, डॉ.संदीप, डॉ.बी.डी., डॉ.एस.के.राय, डॉ मुरलीधर पालीवाल और डॉ.नवीन को समानित किया गया|
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