नई
दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद का उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही मुख्य चुनाव
आयुक्त से मिलकर समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल की मान्यता रद्द करने की
मांग करेगा. विहिप के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने बताया कि उन्होंने इस
संबंध में समय लेने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र भेजा है.
प्रतिनिधिमंडल के माध्यम से विहिप रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल
एक्ट 1951 की धारा 29ए का
हवाला देते हुए चुनाव आयोग को बताएगी कि हर राजनैतिक दल को अपनी पार्टी के
मेमोरेंडम के प्रावधानों में विश्वास रखते हुए पंथ निरपेक्षता और लोकतांत्रिक
सिद्धांतों का निष्ठा के साथ पालन करना चाहिए.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के
श्री रामचरित मानस पर दिए बयानों, उसे प्रतिबंधित करने
की मांग और उनके सहयोगियों द्वारा मानस के पवित्र पन्नों को जलाने से भारत के
नागरिकों के बड़े वर्ग की धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर घृणित तरीके से भड़काया
गया. इसके तुरंत बाद मौर्य को पदोन्नत कर समाजवादी पार्टी का महामंत्री बनाया जाना
स्पष्ट करता है कि पूरी पार्टी उनके इस कृत्य के समर्थन में है.
इसी प्रकार राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के
शिक्षामंत्री डॉ. चंद्रशेखर ने भी रामचरित मानस पर घृणित टिप्पणी और प्रतिबंध
लगाने की मांग की. ये सब भी जानबूझकर वातावरण दूषित कर हिन्दू समाज में अविश्वास, भेदभाव व वैमनस्य के निर्माण की मानसिकता से किया गया. राष्ट्रीय जनता दल
ने भी उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की. यह इस बात
का द्योतक है कि उनकी पार्टी भी उनके इन हिन्दू द्रोही बयानों से सहमत है.
अतः विहिप का प्रतिनिधिमंडल मांग करेगा कि इन दोनों पार्टियों ने अपने उन संवैधानिक प्रावधानों और मूल तत्वों का उल्लंघन किया है, जिनके तहत इनका चुनाव आयोग के यहां पंजीयन हुआ. इसलिए इनका पंजीयन रद्द किया जाना चाहिए.
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