- प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 9.85 लाख कार्यक्रमों में 27.81
करोड़ लोगों की सहभागिता
- संघ सम्पूर्ण समाज का संगठन है, 99 प्रतिशत जिलों में संघ कार्य
- संघ शिक्षा वर्ग के पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण बदलाव
- नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारम्भ
नागपुर, 15 मार्च| राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बळिराम हेडगेवार ने कहा था कि, “संघ सम्पूर्ण समाज का संगठन है”. इसका अनुभव हम गत 99 वर्षों से कर रहे हैं. वर्ष 2017 से 2024 तक संघ कार्य के विस्तार का आकलन करने से इसकी व्यापकता ध्यान में आती है. देश के 99 प्रतिशत जिलों में संघ का कार्य चल रहा है. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य जी ने आज अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के शुभारंभ के पश्चात स्वामी दयानंद सरस्वती परिसर में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कही.
मंच पर अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील जी
आम्बेकर भी उपस्थित थे. इस अवसर पर अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख द्वय – नरेंद्र
कुमार जी और आलोक कुमार जी भी उपस्थित थे.
इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल
भारतीय प्रतिनिधि सभा का शुभारम्भ सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत और सरकार्यवाह
दत्तात्रेय होसबाले जी ने भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन करके किया. इस वर्ष
बैठक का आयोजन नागपुर (महाराष्ट्र) में रेशिम बाग, स्मृति मन्दिर परिसर में 15-17
मार्च तक किया गया है. बैठक में सभी 45 प्रांतों
से 1500 से अधिक कार्यकर्ता उपस्थित हैं.
डॉ. मनमोहन वैद्य ने संघ कार्य के विस्तार के
बारे में बताया कि कार्य की दृष्टि से संघ के 45 प्रान्त हैं, इसके बाद विभाग और फिर जिला, खंड ऐसी रचना है. ऐसे 922
जिलों में, 6597 खंडों (तहसील) में तथा 12-15
गावों का एक समूह जिसे हम मण्डल कहते हैं, ऐसे
27720 मंडलों में संघ की कुल 73,117 दैनिक
शाखाएं लगती हैं. गत वर्ष से 4466 शाखाएं बढ़ी हैं. इन शाखाओं
में 60 प्रतिशत विद्यार्थी और 40 प्रतिशत
नौकरी अथवा व्यवसाय करने वाले कार्यकर्ताओं का समावेश है. इसमें 40 वर्ष से अधिक आयु के प्रौढ़ों की संख्या 11 प्रतिशत
है. साप्ताहिक मिलन की संख्या 27,717 है, जिसमें गत वर्ष से 840 साप्ताहिक मिलनों की वृद्धि
हुई. संघ मंडली की संख्या 10,567 है. नगर और महानगरों के 10
हजार बस्तियों में 43 हजार प्रत्यक्ष शाखाएं
लगती हैं.
महिला
समन्वय
महिला समन्वय के कार्य में राष्ट्र सेविका समिति
व विभिन्न संगठनों में सक्रिय महिला कार्यकर्ताओं के माध्यम से 44 प्रान्तों में 460 महिला सम्मेलन हुए, जिसमें 5 लाख
61 हजार महिलाएं सहभागी हुईं. संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारी
की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण है. भारतीय चिन्तन, समाज
परिवर्तन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता बढ़े, यही इसका हेतु
है.
अहिल्याबाई होल्कर की जन्म की त्रिशताब्दी वर्ष
मई 2024 से अप्रैल 2025 तक मनाई जाने वाली है. अहिल्याबाई
होल्कर ने देशभर के धार्मिक स्थलों का पुनर्निमाण करवाया और अभावग्रस्त लोगों के
आर्थिक स्वावलम्बन के लिए बहुत कार्य किए हैं, जिसके संबंध
में समाज को जानकारी नहीं है. इस वर्ष उनके योगदान को सम्पूर्ण भारत में प्रसारित
करने की दृष्टि से योजना पर कार्य शुरू है. आगामी लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत
मतदान हो, इस हेतु संघ स्वयंसेवक घर-घर जाकर जन जागृति
करेंगे.
अयोध्या में रामलला प्राण-प्रतिष्ठा से संघ का
व्यापक जनसंपर्क हुआ. अक्षत वितरण अभियान द्वारा 5,78,778 गावों और 4,727 नगरों के कुल 19 करोड़, 38 लाख,
49 हजार, 71 परिवारों से स्वयंसेवक सहित 44
लाख, 98 हजार 334 रामभक्तों
ने संपर्क किया. इस अभियान द्वारा प्राप्त उत्साही प्रतिक्रिया और स्वागत ने लोगों
में हमारे विश्वास को फिर से आश्वस्त किया.
संघ शिक्षा वर्ग की रचना में नवीन पाठ्यक्रम
जोड़ने का निर्णय हुआ है. पहले संघ शिक्षा वर्ग की रचना में – 7 दिनों का प्राथमिक शिक्षा वर्ग,
20 दिनों का प्रथम वर्ष, 20 दिनों का द्वितीय
वर्ष और 25 दिनों का तृतीय वर्ष होता था. अब आगे नवीन रचना
में 3 दिनों का प्रारम्भिक वर्ग, 7 दिनों
का प्राथमिक शिक्षा वर्ग तथा 15 दिनों का संघ शिक्षा वर्ग
तथा कार्यकर्ता विकास वर्ग-एक 20 दिन और 25 दिनों का कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 होंगे. इन वर्गों
में विशेष रूप से व्यावहारिक प्रशिक्षण का समावेश भी रहेगा.
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प्रतिवर्ष जॉइन आरएसएस हेतु वर्ष 2017 से 2023 तक एक लाख से अधिक रिक्वेस्ट निरंतर आ रही है. जनवरी और फ़रवरी २०२४ में
इन आंकड़ों में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद दोगुनी बढ़ोतरी हुई है.
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