- शाकाहार हमें पेट की बीमारियों से बचाता है तो सांस्कृतिक परम्पराओं से हमें मिलती है मानसिक ताकत
वैश्विक आपदा कोरोना महामारी की इस लड़ाई में हमारे हौसलों का न डगमगाने का मुख्य कारण हमारा खान-पान और हमारे संस्कार हैं. अंतर्राष्ट्रीय सर्वे में यह बात सिद्ध हुई है. 2015-2020 के बीच 33 देशों के कुल 76 हजार लोगों पर हुए अध्ययन के अनुसार बाकी देशों की अपेक्षा हमारे देश में पेट की बीमारियों के दर बेहद कम है. इस अध्ययन में दुनिया के शीर्ष चिकित्साविदों ने और भी जागरूक होने का सुझाव देते हुए माना है कि आम भारतियों का पेट सेहतमंद है.
भारत में अन्य देशों की अपेक्षा कोरोना के प्रकोप {संक्रमण और मृत्यु}के भी कम होने का यही कारण है. इसके साथ ही सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संस्कारों से मिली मानसिक शांति भी शरीर को मजबूत करती है. अमेरिका द्वारा कराये गये इस अध्ययन में रोम फाउंडेशन नामक अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने दुनिया भर में पेट की बीमारी इरीटेबल बाउल सिंड्रोम और पेट की पुरानी बीमारी {फंक्शनल गैस्ट्रोइन्टेस्टाइनल डिसऑर्डर्स} की डॉ का पता लगाया. रोम फाउंडेशन के डॉ. अमी स्पर्बर की नेतृत्व में हुआ यह अध्ययन हाल ही में प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय जर्नल "गैस्ट्रोएंटरोंलोजी" में प्रकाशित हुआ है. एसपीजीआई लखनऊ के गैस्ट्रोएंटरोंलोजी विभाग के प्रोफेसर प्रो. उदय घोषाल के अनुसार पेट का कोरोना से सीधा सम्बन्ध है. कोरोना के अगर 100 मरीज हैं तो उनमें से 20-30 मरीजों में पेट की गड़बड़ी डायरिया, दर्द, जी मिचलाना, उलटी आदि कि शिकायतें होती हैं.
जीवनचर्या है हमारी ताकत :
डॉ. उदय घोषाल के अनुसार भारत में पेट की बीमारियों का प्रकोप कम होने का मुख्य कारण शाकाहार और सामाजिक सांस्कृतिक स्थितियां हैं. शाकाहार हमें पेट की बीमारियों से बचाता है तो सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिति में हमारी आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परम्पराएं शामिल है. इनसे हमें मानसिक ताकत मिलती है, जिसका सीधा सम्बन्ध हमारे शारीरिक स्वास्थ्य से है.
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