‘कोरोना जंग’ में
विजय प्राप्त कर रहे भारतवासियों की पीठ थपथपाते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी
ने आत्म निर्भर होने और इस संकट काल को ‘अवसर’ में
परिवर्तित करने का संकल्प किया हैI भयानक
महामारी
से जूझ रहे देशवासियों को भविष्य में अपने राष्ट्र के कल्याण के लिए
किस प्रकार की राष्ट्र-साधना करनी है, इसके
स्पष्ट संकेत भी दे दिए हैंI प्रधानमंत्री जी ने
विश्वास पूर्वक कहा है की भविष्य में भारत विश्व का
नेतृत्व करेगाI
राष्ट्र-साधना अर्थात अपने देश और समाज के
हित के लिए किसी भी प्रकार के निरंतर संघर्ष (तपस्या) की नित्य सिद्ध तैयारीI अपने
व्यक्तिगत सुखों को तिलंजलि देकर कई प्रकार के कष्टों को सहन करने
की मानसिकता समय की आवश्यकता हैI किसी
भी प्रकार के राष्ट्रीय आपातकाल में सरकार के दिशा निर्देशों का पालन करना
प्रत्येक नागरिक का राष्ट्रीय कर्तत्व होता हैI सरकार
द्वारा उठाए जा रहे सकारात्मक क़दमों की रचनात्मक आलोचना करते हुए ठोस सुझाव देना
नागरिकों का अधिकार होता हैI परन्तु
अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सरकार की बेबुनियाद निंदा ही करते रहना राष्ट्रीय
अपराध की श्रेणी में आता हैI
प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने स्वामी विवेकानंद
की तरह ही देशवासियों को इस समय केवल मात्र भारत माता की पूजा करने के लिए शक्ति
संपन्न होने का सन्देश दिया हैI स्वामी
विवेकानंद ने देश के युवाओं का आह्वान इसी तरह किया था- “सभी
देवी-देवताओं को भूल कर केवल भारत की पूजा करोI फुटबाल
खेलो और शक्ति अर्जित करके परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़ डालो”
I राष्ट्रीय विपत्ति के समय सभी देशवासियों को
इस तरह की राष्ट्र-साधना करने में जुट जाना चाहिएI
याद
करें 1965 के भारत-पाक युद्ध में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री
ने भी ‘जय
जवान–जय
किसान’ का
सन्देश देकर देशवासियों को ‘आत्म निर्भर’ होने
का संकल्प करवाया थाI जब
अमेरिका ने भारत को गेहूं देने से इनकार कर दिया तो शास्त्री जी ने समस्त भारतीयों
को सोमवार को व्रत रखने की प्रतिज्ञा करवाई थीI सारा
देश शास्त्री जी के आदेश का पालन करते हुए एकजुट हो गया थाI इसी
को राष्ट्र-साधना कहते हैंI
जब प्रधानमंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयी ने
पोखरण (राजस्थान) में परमाणु बमों का परीक्षण किया था तो उस समय में अनेक देशों ने
भारत पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए थेI वाजपेयी
जी ने उस समय देशवासियों को सन्देश देते हुए कहा था – “हमने
परमाणु बम अपने देश की सुरक्षा के लिए बनाए हैंI किसी
अन्य देश को घबराने या चिंता करने की जरुरत नहीं हैI हमारे
ऊपर थोपे गए प्रतिबंध हमें आत्मनिर्भर होने का अवसर प्रदान करेंगेI इस
समय अपने पावों पर खड़ा होना ही राष्ट्र की आराधना हैI”
इतिहास साक्षी है कि विदेशी अंग्रेजों की
सत्ता के समय जब सारा राष्ट्र एकजुट हो कर स्वतंत्रता संग्राम में जूझने लगा और
लाखों क्रांतिकारियों ने अपने बलिदान दिए तो क्रूर अंग्रेज साम्राज्यवादियों को
भागना पड़ाI सामूहिक
राष्ट्र-साधना से प्रकट इस तेज के आगे शत्रु देश को घुटने टेकने पड़ गएI सभी
भारतवासी अपनी व्यक्तिगत सुख सुविधाओं से ऊपर उठ कर राष्ट्र-साधना में जूट गएI विदेशी
सत्ताओं, प्राकृतिक
आपदाओं और जानलेवा भयानक महामारियों को पराजित करने का यही एक मन्त्र होता है जो
राष्ट्र-साधना से ही सिद्ध होता हैI
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात भी अनेक ऐसे
अवसर आये जब अनेकविध राष्ट्रीय संकटों ने भारत वासियों का आह्वान करते हुए उन्हें
राष्ट्रीय एकात्मता की आवश्यकता का आभास करवायाI विदेशी
आक्रमण, भयानक
अकाल, नृशंस
भूकंप, भीषण
बाड़ और सुनामी जैसे संकटों से भारतवासियों ने निजात पाईI
वर्तमान समय में इस तरह का राष्ट्रीय संकट ‘कोरोना
महामारी’ के
रूप में हमारे देश पर छाया हैI समस्त
देशवासी अपने घरों में रहकर ‘राष्ट्र-साधना’ कर
रहे हैंI सरकार
प्रत्येक तरह से देशवासियों के बचाव के कार्य कर रही हैI अब
तो प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक बजट की घोषणा करके सभी वर्गों के
लोगों की सुरक्षा की व्यवस्था कर दी हैI कुछ
क्षेत्रों/वर्गों में लोगों को कष्ट उठाने पड़े हैI विशेषतया
हमारे मजदूर भाईयों कोI बहुत
शीघ्र यह समस्या भी हल हो जाएगीI
प्रधानमंत्री जी ने संकेत दिए है कि यह जंग
लम्बी चलने वाली हैI इस
जंग को सभी भारतवासियों के सहयोग, तप, धैर्य, और
अनुशासन से ही जीता जायेगाI यह
भी समझना चाहिए की ‘लॉक-डाउन’ अधिक
समय तक नहीं रखा जा सकताI ऐसी
परिस्थिति में देशवासियों को स्वयं पर अपने-आप कई प्रकार के प्रतिबंध लगाने पड़ेंगेI इस
प्रकार के अनुशासन का अभ्यास हमने ‘लॉक-डाउन’ के
दिनों में किया हैI इसे
जीवन का हिस्सा बनाने की जरुरत हैI
- नरेंद्र सहगल
पूर्व प्रचारक, वरिष्ठ
पत्रकार एवं स्तंभ लेखक
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