नई दिल्ली. सर्वोच्च न्यायालय ने सुदीप्तो सेन निर्देशित
फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ की
रिलीज को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से मना कर दिया.
जस्टिस केएम जोसेफ और
जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ ने कहा कि इंटरलोक्यूटरी आवेदन के माध्यम से फिल्म
की रिलीज को चुनौती देना उचित उपाय नहीं है.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल
सिब्बल और अधिवक्ता निजाम पाशा ने फिल्म की रिलीज रोकने के लिए सर्वोच्च न्यायालय
में याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा कि फिल्म का ट्रेलर अब तक करीब 1.6 करोड़ बार देखा जा चुका है. पाशा ने
कहा,”फिल्म में अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया है जो
ऑडियो-विजुअल प्रोपेगंडा है.”
पीठ ने कहा, कई तरह के नफरत भरे भाषण होते हैं. इस
फिल्म को सर्टिफिकेशन मिल गया है और सेंसर बोर्ड ने इसे स्वीकृति दी है. यह ऐसा
नहीं है कि कोई व्यक्ति मंच पर चढ़कर अनियंत्रित भाषण देने लगे. यदि आप फिल्म की
रिलीज को चुनौती देना चाहते हैं, तो आपको सही तरीके से फिल्म
के सर्टिफिकेशन को देनी चाहिए.
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि
एक बार फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड द्वारा प्रमाणित कर दिए जाने के बाद
अदालतें तब तक हस्तक्षेप नहीं कर सकतीं, जब तक कि प्रमाणीकरण को मूल याचिका में चुनौती नहीं दी जाती.
न्यायालय ने कहा कि हम
इसे हेट स्पीच के साथ नहीं टैग कर सकते. यह आपके अन्य मामलों से बिल्कुल अलग है.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा
कि याचिकाकर्ता को पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
इसके जवाब में पाशा ने
कहा कि अब समय नहीं बचा है क्योंकि फिल्म शुक्रवार को रिलीज होने वाली है.
पीठ ने कहा कि “ये कोई खाली ग्राउंड नहीं है, ऐसे तो हर कोई सीधे सर्वोच्च न्यायालय आना शुरू कर देगा.”
स्रोत - विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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