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प्रयागराज/प्रतापगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कहा कि वर्तमान में चुनौतियों से घिरे हुए अपने देश को छत्रपति शिवाजी महाराज की कुशल रणनीति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है, इसलिए शिवाजी आज सर्वाधिक प्रासंगिक है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की 350वीं जयंती के उपलक्ष्य में काशी में आयोजित होने वाले जाणता
राजा की तैयारी बैठक को संबोधित करते हुए क्रमशः शनिवार को प्रयागराज के मेडिकल
कॉलेज स्थित प्रीतम दास मेहता प्रेक्षा गृह में एवं रविवार को प्रतापगढ़ के
तुलसी सदन में उन्होंने उक्त विचार
प्रस्तुत किया। विचार परिवार के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि
काशी में सेवा भारती की ओर से आयोजित होने वाला यह नाटक केवल मनोरंजन के लिए नहीं
बल्कि हिंदुत्व के विशालजागरण के लिए हो रहा है। 350 साल पहले शिवाजी महाराज जितने प्रासंगिक थे आज उससे भी
अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। शिवाजी की प्रशासनिक, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं
सांस्कृतिक नीतियों का विस्तार से वर्णन करते हुए अपने उद्बोधन में श्री ओक ने कहा
कि शिवाजी महाराज की सराहना उनका सबसे बड़ा दुश्मन औरंगजेब भी करता था। उसने कहा
था हुकूमत करना हो तो शिवा का चलन सीखो।
प्रयागराज में आयोजित कार्यक्रम |
उन्होंने कहा कि आज देश को मिर्जा राजा जयसिंह तथा बाजी प्रभु देशपांडे एवं जयचंद तथा पृथ्वीराज के बीच अंतर करना सीखना होगा। देश में जितनी श्रेष्ठ प्रशासनिक व्यवस्था शिवाजी ने दी थी उतना शायद ही कोई दे पाएगा। कर्मचारियों के लिए अनुकंपा नियुक्ति तथा पेंशन योजना एवं सभी गरीबों के घर ढाई शेर अनाज पहुंचाने की योजना शिवाजी ने लागू की थी। उन्होंने समर्पित देशभक्त एवं जुझारू योद्धाओं के बल पर हिंदवी स्वराज्य की स्थापना की थी। आज देश में सैकड़ों मिर्जा राजा जयसिंह पैदा हो गए हैं। शिवाजी के नीति का अनुपालन करते हुए इन्हें अलग-थलग करना सीखना होगा। आज देश को फिर से खंडित करने के कुचक्र चले जा रहे हैं, देश चुनौतियों से घिरा हुआ है। सांस्कृतिक एवं धार्मिक आक्रमण हो रहे हैं। सनातन धर्म को लांछित किया जा रहा हैं। इसलिए शिवाजी की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने राज्य में सभी के लिए समान न्याय और सभी के लिए समान सम्मान की व्यवस्था की थी| भ्रष्टाचार मुक्त शासन और जनता के लिए सुलभ राजा शासन का प्रमुख अंग था| राजा प्रजा के प्रति समर्पित हो, ऐसा उनके शासनकाल में परिलक्षित हुआ| उनके शासनकाल में नारी को विशेष सम्मान प्राप्त था| माता जीजाबाई के विशेष मार्गदर्शन और समर्थ गुरु रामदास की शिक्षा दीक्षा ने शिवाजी को सशक्त योद्धा के रूप में विकसित किया| इसके पूर्व समिति के संरक्षक प्रसिद्ध कथावाचक शांतनु जी महाराज ने जाणता राजा के महत्व एवं उसकी प्रासंगिकता पर अत्यंत ओजस्वी शब्दों में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शिवाजी के जीवन से वर्तमान पीढ़ी पूरी तरह अपरिचित है, इसलिए इस नाटक का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
मंचन के प्राप्त आय से मरीजों के तीमारदारो के
लिए होगी आवासीय व्यवस्था
श्री ओक ने बताया कि 21 से 26 नवंबर तक एम्फीथियेटर मैदान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय में
यह नाटक सायं काल 5:30 बजे से रात्रि 8:30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नाटक
देखने के लिए टिकट की व्यवस्था की गई है। इस टिकट से होने वाली आय से काशी के
कैंसर अस्पताल के सामने तीमारदारो के लिए आवासीय व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए भूमि
की व्यवस्था हो चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रयागराज निवासी 23 नवम्बर को महानाट्य
देख सकेंगे जबकि प्रतापगढ़ के निवासियों के लिए 24 नवम्बर की तिथि निर्धारित की गयी
हैं|
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