लखनऊ. कोरोना संकट के बाद इस बार की दीवाली सबसे अलग होगी.
स्वदेशी वस्तुओं के साथ अपना त्यौहार मनाया जाएगा. विभिन्न संगठनों के सहयोग से
चीनी झालर के स्थान पर तीन करोड़ दीपकों की रोशनी से दीपोत्सव मनाया जाएगा. इसके
लिए गाय के गोबर और गोमूत्र से पूरे प्रदेश में चार हजार महिला समूह मिलकर तीन
करोड़ दीये बनाएंगे.
यह प्रयास दीवाली को प्रदूषणमुक्त बनाएगा. विशेष बात यह है
कि ये दीये घर को रोशन करने के साथ-साथ पर्यावरण को भी सहारा देंगे. दीये पहले घर
को रोशन करेंगे और इसके बाद गमलों में जाकर खाद बन जाएंगे. राजधानी लखनऊ की कई
गोशालाओं में दीये और प्रतिमाओं का निर्माण भी गोबर से किया जा रहा है.
सहकार भारती द्वारा प्रशिक्षित समूह दीपावली के अवसर पर
पर्यावरण के अनुकूल गाय के गोबर व गौमूत्र मिश्रित उत्पाद जैसे दीपक, गणेश लक्ष्मी की
मूर्ति, वंदनवार, ऊं, स्वास्तिक तैयार
कर रहे हैं. गोपेश्वर गौशाला मलिहाबाद के प्रबंधक उमाकांत के अनुसार गौशाला में
लगभग 150 महिलाओं के जरिए
पर्यावरण के अनुकूल गोबर मिश्रित उत्पाद जैसे दीपक, हवन के लिए लकड़ी
आदि प्रमुख रूप से तैयार किये जा रहे हैं. वहीं राजाजीपुरम में चल रहे केंद्र पर
प्रमुख तुषार श्रीवास्तव ने बताया कि उनके यहां दीपक, गणेश-लक्ष्मी की
मूर्ति, बंदनवार, स्वास्तिक आदि
उत्पाद तैयार किये जा रहे हैं.
महामारी कोरोना वायरस के बाद चाइनीज उत्पादों के प्रयोग पर
रोक लगा दी गई है. लिहाजा त्योहारों पर भारतीय उत्पादों का ज्यादा से ज्यादा
प्रयोग किया जा रहा है. इस दीपोत्सव में भी मोमबत्ती व चाइनीज झालरों की जगह गौ
आधारित उत्पादों का प्रयोग किया जा रहा है. कार्यकर्ताओं द्वारा स्वदेशी वस्तुएं
खरीदने का आह्वान समाज से किया जा रहा है. सभी उत्पाद पर्यावरण की दृष्टि से बहुत
ही लाभकारी होंगे. कुछ स्थानों पर सेवा भारती के कार्यकर्ताओं द्वारा भी प्रशिक्षण
का कार्य चल रहा है.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र भारत
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