नई
दिल्ली. भारत और चीन के मध्य सीमा विवाद के चलते इस बार की दीपावली पर चाइनीज झालर
के स्थान पर स्वदेशी दीये जगमगाएंगे. उत्तरप्रदेश में आजमगढ़ के निजामाबाद कस्बे
में काली मिट्टी से विशेश प्रकार से दीये बनाए जा रहे हैं. काली मिट्टी से तैयार
दीये की मांग अमेरिका से भी आई है.
वैश्विक
महामारी के कारण चाइनीज झालरों से भारत ही नहीं अन्य देशों ने भी दूरियां बनाई
हैं. भारत में बन रहे स्वदेशी दीयों की मांग अमेरिका में रह रहे भारतीय लोगों ने
भी की है.
जिला
मुख्यालय से 16 किलोमीटर
दूर इस कस्बे में दिन रात दो सौ कलाकार मिट्टी के दीये बनाने में जुटे हैं. बिजली
से चलने वाले चॉक अब बिजली जाने पर ही कुछ घंटों के लिए बंद होते हैं. एक दिन में
लगभग छह हजार से अधिक दीये बनाए जा रहे हैं. पिछले बीस दिनों से इन दीयों की
सप्लाई हो रही है. अब तक 50 लाख से
अधिक दीयों की सप्लाई की जा चुकी है. इनमें से सत्तर फीसदी दीये महाराष्ट्र भेजे
गए हैं और तीस फीसदी दूसरे देशों में भेजे गए. दीये बना रहे कलाकारों ने बताया कि
दस लाख से अधिक दीये सिर्फ अमेरिका भेजे गए हैं.
कलाकार
संजय यादव बीस दिनों में 25 से अधिक
ट्रक दीये मुंबई, पूना भेज
चुके हैं. कलाकार बैजनाथ प्रजापति कहते हैं कि दीपावली के लिए हमारी वर्ष भर
तैयारी चलती रहती है. तब जाकर कहीं हम लोग इतनी बड़ी सप्लाई पूरी कर पाते हैं.
आजमगढ़
से बनकर दीये मुंबई के महालक्ष्मी जाता है. वहां विशेष पैकेजिंग के बाद यह माल
अमेरिका व दुबई जाता है. इस बार कोरोना के चलते बाहर की मांग ज्यादा है. बताया कि
हमारे यहां एक दर्जन से अधिक डिजाइनर दीये बनते हैं. उसमें खासतौर पर चांदनी दीया, डेजी दीया, स्टैंड
दीया, थाली दीया, लक्ष्मी
गणेश दीया, नारियल दीया, रिंग दीया, पांच
पंथी दीया आदि की मांग बाहर ज्यादा रहती है.
चुनार
में तैयार की गई गणेश-लक्ष्मी की पूजा इस वर्ष नेपाल में होगी. वहां व्यापारी
चुनार से सीधे गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति मांगवा रहे हैं. पूर्व में बिहार के मधुबनी
जिले से नेपाल के व्यापारी गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति मंगवाते थे, लेकिन काफी महंगा होने के कारण व्यापारियों ने चुनार की तरफ
रुख किया है. पॉटरी उद्योग से जुड़े व्यापारी अवधेश वर्मा की मानें तो इस वर्ष लगभग
15 से 20 लाख
मूर्तियों का आर्डर नेपाल से विभिन्न व्यापारियों को मिला है. दीपावली और धनतेरस पर
इन मूर्तियों की डिमांड दिल्ली-मुम्बई, झारखंड, उड़ीसा और कोलकाता के साथ ही अब नेपाल के प्रमुख शहरों में हो
गई है. कोराना के कारण मंदी के दौर में गुजर रहे पॉटरी उद्योग के व्यवसायियों के
लिए संजीवनी साबित हो रही है. गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति के साथ ही पॉटरी उद्योग में
तैयार किए जाने वाले चीनी मिट्टी के कप-प्लेट, जार व
फूलदान भी नेपाल भेजा जा रहा है.
जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त वीके चौधरी कहते हैं कि पॉटरी उद्योग के व्यापक प्रचार-प्रसार का ही नतीजा है कि अब चुनार में उत्पादित मूर्ति नेपाल तक पहुंच रही है. इससे इस उद्योग को पुनर्जीवित करने में काफी मदद मिलेगी.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
No comments:
Post a Comment