अरुणाचल में नेचिपु सुरंग की आधारशिला रखी, बीआरओ ने किया है पुलों का निर्माण
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 43 पुलों का उद्घाटन किया. पहली बार है कि जब एकसाथ इतने पुलों
का एक साथ लोकार्पण किया गया हो. रक्षामंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के बाद अब चीन
भी सीमा विवाद जारी रखने पर आमादा है. दोनों देश यह सब मिशन के तहत कर रहे हैं.
अरुणाचल प्रदेश में एक सुरंग का शिलान्यास भी किया.
भारत-चीन
सीमा पर विगत 5-6 महीनों से निरंतर तनाव की स्थिति बनी
हुई है, वार्ता के नाम पर कोर कमांडर स्तर की सातवीं बैठक संपन्न हुई.
चीन के चरित्र से भलीभांति परिचित हो चुके भारत ने सीमा क्षेत्र को सड़क से जोड़ने, पुल निर्माण और संचार तकनीक बढ़ाने के साथ आधारभूत ढांचे के
निर्माण में रिकॉर्ड उपलब्धि अर्जित की है. दुर्गम उच्च हिमालयी क्षेत्र में हाड
कंपा देने वाली बर्फानी ठंड और प्रतिकूल मौसम में कोरोना के समस्त प्रोटोकॉल को
निभाते हुए सेना और देश की सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण सड़कों और पुलों
का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्धारित समय में पूरा करना
ऐतिहासिक उपलब्धि से कम नहीं है.
सात
राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में सीमा से सटे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों पर
बने 43 महत्वपूर्ण सड़कों एवं पुलों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के
माध्यम से उद्घाटन कर इन्हें राष्ट्र को समर्पित किया. 30 मीटर से लेकर 484 मीटर तक
के विभिन्न आकार के 44 पुल
जम्मू-कश्मीर (10), लद्दाख (07), हिमाचल प्रदेश (02), पंजाब (04), उत्तराखंड (08), अरुणाचल
प्रदेश (08) और सिक्किम (04) में
स्थित हैं. इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति से लद्दाख के लेह को जोड़ने
वाली अटल टनल रोहतांग की तर्ज पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग की रणनीतिक रूप से
महत्वपूर्ण सड़क पर बनने वाली नेचिपु सुरंग की आधारशिला भी रखी. नेचिपू सुरंग 450 मीटर लंबी, दो लेनों
वाली सुरंग नेचिपु पास में सभी मौसम में आवागमन सुनिश्चित करेगी और दुर्घटना
संभावित क्षेत्रों में एक सुरक्षित मार्ग प्रदान करेगी. यह सुरंग अरुणाचल प्रदेश
की राजधानी ईटानगर से 448 किमी
उत्तर-पश्चिम में और चीन की सीमा से लगे तवांग तक की यात्रा के समय को कम कर देगी.
इस सुरंग की मदद से सेना के लिए सीमा तक जाना आसान होगा. हिमाचल के दारचा को
लद्दाख से जोड़ने के लिए भी सड़क बनाई जा रही है. यह सड़क कई ऊंची बर्फीली चोटियों
से होकर गुजरेगी. यह करीब 290 किमी.
लंबी होगी. इसके तैयार होने के बाद करगिल तक सेना की पहुंच आसान होगी.
रक्षामंत्री
ने बीआरओ की सराहना करते हुए कहा कि इन पुलों ने पश्चिमी, उत्तरी और उत्तर-पूर्व क्षेत्रों के दूर-दराज के क्षेत्रों
में कनेक्टिविटी में सुधार किया और स्थानीय लोगों की आकांक्षाओं को पूरा किया.
इनसे पूरे वर्ष सशस्त्र बलों के परिवहन और रसद संबंधी आवश्यकताएं भी पूरी होंगी.
पुलों के निर्माण से 217 गांवों
के लगभग 4 लाख लोगों को प्रत्यक्ष लाभ होगा. फिर चाहे खाद्य आपूर्ति, सशस्त्र बलों की आवश्यकता हो या अन्य विकास के कार्य, ये सभी कनेक्टिविटी के द्वारा ही संभव हैं.
रक्षामंत्री
ने पुलों के उद्घाटन पर कहा, ‘सभी
जानते हैं कि हमारी उत्तरी और पूर्वी सीमाओं पर क्या हो रहा है. 7 हजार किमी लंबी सीमाओं पर पाकिस्तान और चीन लगातार तनाव बनाए
हुए हैं. चीन-पाक की तरफ से तनाव के बावजूद भारत हर क्षेत्र में ऐतिहासिक बदलाव
लाया है.’ 2008-16 के बीच बीआरओ का बजट 3300 करोड़ से
4600 करोड़ रुपए के बीच रहता था. 2020-21 में यह
बढ़कर 11 हजार करोड़ रुपए हो गया है.
बीआरओ के
महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि वे पुल सामरिक महत्व के हैं और
सीमा क्षेत्रों में नागरिक और सैन्य यातायात की भारी आवाजाही को सुविधाजनक बनाने
के लिए डिज़ाइन किए गए हैं. प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप, ये पुल सुदूर सीमा क्षेत्रों के समग्र आर्थिक विकास में
योगदान करेंगे और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशस्त्र बलों की शीघ्र
तैनाती में भी सहायता करेंगे.
डोकलाम
प्रकरण के बाद से ही सड़क निर्माण में तेजी लाने के अलावा, बीआरओ ने आधारभूत संरचना विकास के क्रम में पिछले साल 28 प्रमुख पुलों को पूरा करके पुलों के निर्माण पर विशेष जोर
दिया है, जबकि इस वर्ष 102 प्रमुख
पुलों का निर्माण पूरा किया जा रहा है. इनमें से 54 पुल पहले
ही पूरे हो चुके हैं.
भारत ने
सामरिक दृष्टि से बेहद अहम दौलत बेग ओल्डी तक करीब 235 किलोमीटर
सड़क निर्माण का कार्य लगभग पूरा कर लिया है. दौलत बेग ओल्डी देपसांग पठार के
अक्साई चीन के इलाके के पास है. यहां भारत पहले ही एयर बेस बना चुका है. इस एयरबेस
पर मालवाहक सी130 और सी17 जहाज को
लैंड करवा चुका है. बीते करीब ढाई साल में बीआरओ ने इस योजना के तहत 2304 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया.
21वीं सदी के समर्थ और स्वावलम्बी भारत की शक्ति बखूबी दिखाई पड़
रही है. 2016 से हिमालयी राज्यों की सीमाओं में सभी प्रकार के कनेक्टिविटी
के सुखद परिणाम दिखने लगे थे. विगत वर्ष ही बीआरओ ने लगभग 60,000 किमी सड़कों का निर्माण और विकास किया है, जिसमें एक महत्वपूर्ण 19.72 किलोमीटर
सड़क डोकलाम के पास भी बनी जो 2017 में
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुए लगभग डेढ़ महीने के स्टैंड-ऑफ के बाद बनाई गयी
थी. इस सड़क की वजह से अब भारत की सेना 40 मिनट में
ही डोकलाम पहुंच सकती है. पहले यह सफर 7 घंटे का
होता था.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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