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रिपोर्ट्स के अनुसार डीआरडीओ प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने बताया कि “ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है. परीक्षण मुख्य रूप से
मिसाइल में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने के लिए किया गया है. ब्रह्मोस मिसाइल
प्रणाली में शामिल कई स्वदेशी प्रणालियों का विस्तारित रेंज के साथ परीक्षण किया
गया है.” “यह एक सफल मिशन था. अब सम्मिलित की गई अधिकांश स्वदेशी
प्रणालियों ने पूर्ण संतुष्टि के साथ काम करना शुरू कर दिया है और स्वदेशी सामग्री
अब ब्रह्मोस में बढ़ गई है.”
बीते 40 दिनों में एक के बाद एक 10 मिसाइलों
का सफल परीक्षण किया गया. परीक्षण का मुख्य उद्देश्य मिसाइल निर्माण में
आत्मनिर्भरता हासिल करना है. भारत पिछले पांच-छह सालों में मिसाइल सिस्टम के
क्षेत्र में जितना आगे बढ़ा है, उससे
हमें पूर्ण आत्मनिर्भरता हासिल हो चुकी है. मिसाइल निर्माण क्षेत्र की निजी
कंपनियां भी उन्नत हो चुकी हैं. वो अब हमारे साथ साझेदारी करने में सक्षम हैं और
जरूरतों के मुताबिक मिसाइल बना सकती हैं.
5 अक्तूबर को टॉरपीडो (SMART) के
सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड रिलीज के सफल परीक्षण पर जी. सतीश रेड्डी ने कहा, “यह प्रणाली की पूरी तरह से सिद्ध होने और सशस्त्र बलों में
शामिल होने के बाद नौसेना की क्षमता को बढ़ाएगी.”
07 सितंबर को हाईपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन व्हीकल के
उड़ान परीक्षण पर उन्होंने कहा, “यह पहली
बार है, जब डीआरडीओ ने अच्छी मात्रा में इस तरह का प्रयोग किया है और
इसने सफलतापूर्वक काम किया है. इसने हमारे लिए इन तकनीकों पर लंबे समय तक काम करने
का एक मार्ग प्रशस्त किया.” “इन सभी
चीजों पर काम करने और एक संपूर्ण मिसाइल प्रणाली तैयार करने में हमें लगभग 4-5 साल लगेंगे.”
09 अक्तूबर को रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल के सफल परीक्षण पर
उन्होंने कहा, “यह एक विमान से प्रक्षेपित होने वाला
विकिरण-रोधी मिसाइल (Anti-Radiation Missile) है. यह
किसी भी उत्सर्जक तत्व का पता लगाने में सक्षम होगा. आप उन उत्सर्जक तत्वों को लॉक
कर सकेंगे और उन पर हमला कर सकेंगे.” उन्होंने
कहा, “हमें विभिन्न परिस्थितियों में पूर्ण प्रणाली प्रौद्योगिकियों
को साबित करने के लिए कुछ और परीक्षण करने की आवश्यकता है. एक बार हो जाने के बाद
यह वायु सेना में जाएगा और दुश्मनों के उत्सर्जक तत्वों पर हमला करने में वायु
सेना को मजबूत करेगा.”
12 अक्तूबर को निर्भय सब-सोनिक क्रूज मिसाइल के उड़ान परीक्षण पर
कहा, “निर्भय का पहले भी परीक्षण किया जा चुका है और उसने अपने सभी
परीक्षणों को सफलतापूर्वक पूरा किया है. हम केवल इसमें स्वदेशी सामग्री बढ़ाना
चाहते थे. उसके बाद इसमें कुछ खामियां आ गई, हम इसे
देख रहे हैं.”
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