भीमा
कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में जांच कर रही एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) ने एक
और दावा किया है. राष्ट्रीय जाच एजेंसी को एक गवाह ने बताया कि माओवादी नेतृत्व
में एक बैठक का आयोजन किया गया था, इसमें
आनंद तेलतुम्बडे ने क्रांतिकारी पुनरुत्थान के नाम पर दलित उग्रवाद को बढ़ाने के
लिए बयान दिया था.
एनआईए ने
हाल ही में विशेष अदालत में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है. गवाह का यह बयान पूरक
आरोप पत्र में शामिल किया गया है. आरोप पत्र में गवाहों की ओर से दिए गए छह बयान
हैं. गवाहों की पहचान छिपाई गई है.
मीडिया
में प्रकाशित रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोप
पत्र में एक अन्य गवाह ने दावा किया कि तेलतुम्बडे अकेडमिक यात्राओं की आड़ में
फिलीपींस, पेरू और तुर्की जैसे देशों में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में
भाग लेता था. यहां पर वह माओवादी साहित्य और वीडियो को डिजिटल रूप में लेकर भारत
वापस आता था. गवाहों ने एनआईए को उमर खालिद, नवलखा के
बारे में भी बताया. प्रशिक्षण और क्लासेस के दौरान प्रतिबंधित संगठन सीपीआई
(माओवादी) के सदस्यों को वीडियो और साहित्य दिखाए जाते थे.
आनंद
तेलतुम्बडे को 14 अप्रैल
को गिरफ्तार किया गया था. उनका नाम, उन आठ
में से एक है जिनके खिलाफ एनआईए ने 9 अक्तूबर
को एक पूरक आरोप पत्र दाखिल किया है. यह मामला 01 जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव में हुई
जातिगत हिंसा से संबंधित है.
आरोप
पत्र में दावा किया कि फरार आरोपी मिलिंद तेलतुम्बडे, सीपीआई (माओवादी) का एक वरिष्ठ सदस्य है. वह अपने भाई आनंद के
साथ मिलकर शहरी क्षेत्रों में नक्सल आंदोलन के विस्तार की योजना पर काम करता था.
आरोप पत्र में कहा गया है, ‘मिलिंद, जंगली और शहरी इलाकों में सीपीआई (माओवादी) के आंदोलन को आगे
बढ़ाने के लिए अपने भाई आनंद से मार्गदर्शन लेता था. मिलिंद कहता था कि उनके बड़े
भाई-बहन ने उन्हें आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित किया था.’
आरोप
पत्र में कहा गया है कि ‘शहरी
नक्सलियों’ में आरोपी अरुण फरेरा, सांस्कृतिक समूह कबीर कला मंच के सदस्य रमेश, सागर गोरखे और ज्योति जगताप, सुरेंद्र
गडलिंग, वर्नोन गोंसाल्वेस, गौतम
नवलखा, पी वरवारा राव, शोमा सेन, सुधा भारद्वाज, विल्सन, सुधीर धवले और महेश राउत गिरफ्तार हैं.
‘अर्बन पार्टी मेंबर था उमर खालिद’
एक तीसरे
गवाह ने कहा कि उन्होंने, जेएनयू
के पूर्व छात्र उमर खालिद (इस मामले में नाम नहीं) अर्बन पार्टी मेंबर होने और
दिल्ली में अन्य सदस्यों के साथ अपने अजेंडे को बढ़ावा देने के लिए काम करने के
बारे में सुना था. गवाह ने कहा कि खालिद उन लोगों में से था, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2017 को एल्गार परिषद में भाषण दिया था.
एक अन्य
गवाह ने बताया है कि गौतम नवलखा ने माओवादियों पर किताबें लिखी हैं, उन्होंने स्वीडिश लेखक (बयान में नाम नहीं) के साथ जंगलों का
दौरा किया है और माओवादी नेताओं से मुलाकात की है. नवलखा ने जी.एन. साईंबाबा रक्षा
समिति की रिलीज में हिस्सा लिया था. नवलखा हमेशा वामपंथी राजनीति पर बोलते हैं.
नवलखा नागरिक अधिकार ग्रुपों में शामिल थे.
हाल ही
में गिरफ्तार किए गए जेसुइट पुजारी स्टेन स्वामी का हवाला देते हुए, एक गवाह ने एनआईए को बताया कि चूंकि पार्टी के सदस्यों को देश
के कई हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था और पार्टी के पास चेहरा नहीं बचा था, इसलिए 83 वर्षीय
को जिम्मेदारी दी गई थी. जैसा कि वह सरकार के खिलाफ था. आरोप पत्र में कहा गया है
कि स्टेन स्वामी की अपनी पहचान है. झारखंड में उनका अपना एनजीओ है.
श्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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