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Monday, March 15, 2021

कोरोना काल में पूरी दुनिया ने समाज के प्रति स्वयंसेवकों का समर्पण देखा

  • 50 वर्षों से संचालित इस शाखा में कई प्रख्यात समाजसेवकों के साथ जुड़ चुके हैं अल्पसंख्यक समाज के भी लोग
  • एक माह से हो रही थी वार्षिकोत्सव की तैयारी

काशी/ जब वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण ने विश्व भर को भयभीत कर दिया था और पूरी दुनिया को अपने घरों में बन्द रहने के लिए विवश कर दिया था तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयसेवकों ने विपत्ति के समय पुनः अपने साहस का परिचय देते हुए समाज के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था. उक्त विचार रविवार को आयोजित काशी दक्षिण भाग के मानस नगर, शिवाला( रत्नाकर) प्रभात शाखा के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अपने बौद्धिक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने व्यक्त किया.

उन्होंने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संघ की शाखा अद्भुत कार्यशाला है जहाँ व्यक्तित्व निर्माण होता है. कोरोना काल के दौरान समर्पित स्वयंसेवकों के भाव और समर्पण को दुनिया ने देखा था कि किस प्रकार स्वयंसेवकों ने असहाय और गरीब लोगों की सेवा कर अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन किया. उन्होंने स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवको ने "कश्मीर से कन्याकुमारी भारत माता एक हमारी" इस नारे को आत्मसात किया है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण कश्मीर को मिले विशेष राज्य का दर्ज़ा समाप्त होना है. वार्षिकोत्सव की अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वेद विभाग, सेवानिवृत प्रो. हृदय रंजन शर्मा ने कहा की सच्चा सुख तभी मिलता है जब पूरे विश्व को परिवार माना जाता है. संघ इसी मूल भावना के साथ कार्य करता है. इसके पूर्व शाखा के स्वयंसेवको ने खेल, दण्ड प्रयोग, पदविन्यास, सूर्य नमस्कार,  आसन, व्यायाम योग, सामूहिक गणगीत, घोष वादन का सुन्दर प्रदर्शन किया. इस दौरान अल्पसंख्यक लोगों के साथ क्षेत्र के गणमान्य प्रबुद्धजन एवं स्वयंसेवक परिवारों से माताएं-बहनें भी उपस्थित रही.

50 वर्षों से संचालित इस शाखा में कई प्रख्यात समाजसेवकों के साथ जुड़ चुके हैं अल्पसंख्यक समाज के भी लोग

50 वर्ष पहले शिवाला शाखा को सायं शाखा के रूप में  प्रारंभ किया गया जिसे 18 वर्षों से प्रभात शाखा के रूप में जाना जाता है. इस शाखा के स्वयंसेवकों को उत्साहित करने वाली बात है कि प्रभात शाखा से जहां श्री गोविंदाचार्य जी श्री शंकर तत्ववादी जी एवं प्रो0 दुर्ग सिंह चौहान जी जैसे लोग जुड़े हैं वहीं इस शाखा में अल्पसंख्यक समुदाय से सिकन्दर और फरहान भी जुड़ चुके है. वर्तमान में यह शाखा  नियमित रूप से प्रभात में लगाई जाती है  जहां औसतन उपस्थिति संख्या 26 रहती है जिसमें 8-10 बाल 12 तरुण एवं 5-6 प्रौढ़ स्वयंसेवक नियमित शाखा आते हैं.

एक माह से हो रही थी वार्षिकोत्सव की तैयारी

वार्षिकोत्सव हेतु स्वयंसेवक पिछले एक माह से तैयारी कर रहे थे जिसमें प्रतिदिन सामूहिक गीत, खेल, समता, डण्ड एवं पद्विन्यास आदि का अभ्यास स्वयंसेवकों द्वारा किया जा रहा था. कार्यक्रम के दौरान 50 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित रहें. आबादी की दृष्टि से काफी घनी बस्ती वाले इस शाखा क्षेत्र को 5 गट में बाटा गया. वार्षिकोत्सव हेतु 4 बैठकें की  गई जिसमें पूर्ण गणवेश पर विशेष ध्यान दिया गया. कार्यक्रम में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के साथ दक्षिण भारतीय प्रबुद्धजन भी उपस्थित रहें. इस बीच स्वयंसेवक अपने परिवारों के माता-बहनों एवं अभिभावकों की उपस्थिति से उत्साहित भी थे.

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