राजकोट. देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमण पुनः
तेजी से बढ़ रहा है. तेजी से बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए सरकार व प्रशासन को
सख्त कदम उठाने पर विचार करना पड़ रहा है. यहां तक कि कुछ स्थानों पर पूर्ण व
आंशिक लॉकडाउन की घोषणा भी की गई है.
सौराष्ट्र क्षेत्र भी कोरोना संक्रमण से अछूता नहीं है.
संक्रमितों का आंकड़ा हजारों में पहुंच गया है. अनेक काल का ग्रास भी बन रहे हैं.
विपदा की अवस्था में संघ का स्वयंसेवक घर में शांत कैसे बैठ सकता है? समाज की सहायतार्थ
स्वयंसेवक पहले भी स्वप्रेरणा से आगे आए थे.
देश और दुनिया में सिरामिक इंडस्ट्री के लिए प्रसिद्ध
सौराष्ट्र के मोरबी जिला में भी कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. संकट काल में
स्वयंसेवकों ने लोगों की समस्याएं देखीं तो उनके समाधान का जिम्मा उठाया.
स्वयंसेवकों ने बैठक की और समस्याओं पर विचार किया तथा शहर में कोरोना रुग्णों को
अस्पताल पहुंचाने की सुविधा हेतु निमित्त तुरंत तीन एंबुलेंस की व्यवस्था की, जो कोरोना
पीड़ितों को 24×7 सेवाएं उपलब्ध करवा रही हैं.
स्वयंसेवक इतने मात्र से संतुष्ट नहीं हुए, कार्यकर्ताओं के
साथ विचार विमर्श के पश्चात अन्य सेवाएं भी शुरू कीं. होम क्वारेंटाइन मरीजों को
चिकित्सकीय सलाह उपलब्ध करवाना, पथ्य पालन की सूचना, होम क्वारेंटाइन
मरीजों को फल-सब्जियां, भोजन व आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है.
स्वयंसेवक प्रतिदिन 100 मरीजों को सेवा उपलब्ध करवा रहे हैं.
मोरबी शहर वही क्षेत्र है, जहां 1979 में मच्छु डेम
टूटने की वजह से आई बाढ़ में हजारों जिंदगियां बह गई थीं. तब सेवा के लिए
स्वयंसेवक आगे आए थे, स्वयंसेवकों ने सड़ चुके शवों को भी बिना डरे उठाया था. उस
दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने स्वयंसेवकों के सेवाकार्य की
मुक्तकंठ से प्रशंसा की थी. अपने पूर्वज स्वयंसेवकों द्रारा स्थापित उज्ज्वल
परंपरा का निर्वहन आज भी स्वयंसेवक कर रहे हैं. मोरबी में स्वयंसेवकों के
सेवाकार्य की प्रशंसा हो रही है.
स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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