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Thursday, April 15, 2021

देशभर में भूमि पूजन के साथ भूमि सुपोषण अभियान का शुभारंभ

 

वर्ष प्रतिपदा पर भूमि पूजन/भूमि वंदन के साथ संपूर्ण देश में भूमि सुपोषण अभियान का विधिवत शुभारंभ हो गया. कृषि एवं पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत 33 संस्थाओं ने मिलकर इस जन अभियान का संकल्प लिया है. अभियान का मुख्य उद्देश्य, भारतीय कृषि चिंतन, भूमि सुपोषण एवं संरक्षण की संकल्पनाओं को कृषि क्षेत्र में पुनःस्थापित करना है. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर देशभर में विभिन्न ग्रामों, नगरों, कस्बों में भूमि पूजन कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. जिसमें किसानों, ग्रामजनों, गणमान्य लोगों ने भूमि के संरक्षण का संकल्प लिया.

अभी उचित समय है कि हम भारतीय कृषि चिंतन एवं उसमें स्थित भूमि सुपोषण संकल्पना को पुनः स्थापित करें. भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय जन अभियान इसी दिशा में उठाया गया कदम है. भारतीय कृषि चिंतन में भूमि को धरती माता ऐसे संबोधित किया है. हमारे प्राचीन ग्रंथों में इसके उदाहरण सहजता से पाए जाते हैं.

    

जन अभियान में प्राधान्यतः भूमि सुपोषण, जन जागरण एवं भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने संबंधित कार्यक्रम रहेंगे. अभियान के प्रथम चरण की कालावधि तीन माह यानि आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा, २४ जुलाई २०२१ तक होगी.

आधुनिक कृषि में भूमि का स्थान मात्र एक आर्थिक स्रोत है. परिणामतः इस आधुनिक कालखंड में हमने भूमि का सतत शोषण किया है. बहुत कम मात्रा में हमने भूमि से निकाले हुए पोषण तत्वों का पुनः भरण किया है. वर्तमान में हमारे देश मे ९६.४० दशलक्ष हेक्टेयर भूमि अवनत है. यह हमारे कुल भौगोलिक क्षेत्र का ३०% है. भारत के अनेकों किसानों के अनुभव कहते हैं कि कृषि में लागत मूल्य निरंतर बढ़ रहा है, भूमि की उपजाऊ क्षमता घट रही है, ऑर्गेनिक कार्बन की मात्रा भी निरंतर घट रही है, जिसके कारण उत्पादन भी घट रहा है. भूमि की जल धारण क्षमता और जल स्तर अधिकांश स्थानों पर घट रहा है. कुपोषित भूमि के कारण मानव भी विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है. आधुनिक कृषि के गत वर्षों में भूमि सुपोषण संकल्पना की हमने अनदेखी की है.

अथर्वेद के भूमि सूक्त में कहा गया है, ‘माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः.इसका भावार्थ है कि भूमि हमारी माता है एवं हम उस के पुत्र. तात्पर्य, भूमि के पोषण की व्यवस्था करना हमारा कर्तव्य है. यह जन अभियान गत चार वर्षों से किए जा रहे व्यापक परामर्श प्रक्रिया का परिणाम है.

किसानों के साथ, कृषि वैज्ञानिकों के साथ परामर्शी बैठकें, कृषक अनुभव लेखन, कार्यशालाएं, कृषकों के हित में एवं कृषि क्षेत्र में कार्यान्वित संस्थाओं से परामर्श, २०१८ में भूमि सुपोषण राष्ट्रीय संगोष्ठी इत्यादि से जन अभियान संकल्पित हुआ है. भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्र स्तरीय जन अभियान का प्रारंभ भूमि पूजन विधि से होगा.

ग्रीष्मकाल में १४ मई अक्षय तृतीया से १४ जून गणेश चतुर्थी तक १ माह उपखण्ड केन्द्र (३५ से ४० गांवों का केंद्र) पर प्रबोधन एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न होंगे. हमारी भूमि का सुपोषण करना यह मात्र कृषकों का उत्तरदायित्व नहीं है. इस जन अभियान की मुख्य संकल्पना है कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण यह हम सभी भारतीयों का सामूहिक उत्तरदायित्व है.

नगर क्षेत्रों में विविध हाउसिंग कालोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना एवं कालोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाना आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा. इस से अतिरिक्त सेमीनार, कार्यशाला, कृषक प्रशिक्षण, प्रदर्शनी आदि गतिविधियों का भी आयोजन होगा.

अभियान में अनेक संगठन जैसे -गायत्री परिवार, पतंजलि, रामकृष्ण मिशन, इशा फाऊंडेशन, ग्राम विकास, गौ सेवा, पर्यावरण गतिविधि के साथ ही अक्षय कृषि परिवार का भी समर्थन है.

भारतीय किसान संघ, विश्व हिन्दू परिषद, विद्या भारती, वनवासी विकास परिषद, एकल अभियान, दीनदयाल शोध संस्थान, सेवा भारती, सहकार भारती, ग्राम भारती, भारत सेवाश्रम संघ, प्रज्ञा मिशन आदि अनेक संगठन सहभाग कर रहे हैं.

जय मातृभूमि

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

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