अमृता देवी का अनुसरण करते हुए 363 लोग हुए थे बलिदान, जिसमें 71 नारी शक्तियां
काशी| भूमि फाउंडेशन ट्रस्ट वाराणसी एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में अमृता देवी स्मृति प्रकृति वंदन (संगोष्ठी) कार्यक्रम का आयोजन किया गया| डा. साधना पांडे के संयोजकत्व में मंगलवार को अशोकपुरम कॉलोनी डाफी में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ| कार्यक्रम में अमृता देवी पर विषय रखते हुए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत के प्रांत संयोजक कृष्णमोहन जी ने कहा कि 1730 में अमृता देवी ने मात्र 42 वर्ष की आयु में हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपने सहित अपने तीन पुत्रियों जिनकी आयु 8 ,10 और 12 वर्ष थी, अपने सिर को कटवा दिया था और उनका अनुसरण करते हुए 363 लोग बलिदान हुए थे जिसमें 71 नारी शक्तियां थी| विश्व पर्यावरण के इतिहास में इतना बड़ा बलिदान आज तक नहीं हुआ है| यह संपूर्ण नारी जगत ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति के लिए गौरव की बात है कि हमारे पूर्वजों ने हमारे भलाई के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण प्रदूषण जिसके अंतर्गत मिट्टी, पानी, हवा, ध्वनि प्रदूषण
आता है, आज चारों अत्यधिक प्रदूषित हो चुके हैं| कहीं भी मिट्टी खोदिए, शुद्ध
मिट्टी नहीं मिलेगी| कहीं का जल लीजिए शुद्ध नहीं मिलेगा, हवा कहीं शुद्ध
नहीं मिलेगा और कहीं शांति नहीं मिलेगी अर्थात शोर-शराबा का माहौल है। ग्लोबल
वार्मिंग के कारण पृथ्वी आग का गोला बनता जा रहा है, पानी जहरीला होता जा रहा है। हवा में ग्रीन
हाउस गैसों की मात्रा अत्यधिक है, ऐसी स्थिति में संपूर्ण मानव जाति को ग्लोबल
वार्मिंग की मार झेलनी पड़ रही है| दूषित जल प्रयोग सबकी मजबूरी है| मिट्टी जहरीली
होने के कारण कोई भी खाद्य पदार्थ शुद्ध नहीं रह गया है। ध्वनि प्रदूषण के कारण
कहीं भी शांति और सुकून का वातावरण नहीं है| ऐसी स्थिति में अमृता देवी का स्मरण
और उनके कार्यों का अनुसरण हम सबको इस विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति दिलाएगा|
कोरोना के दूसरे लहर में सबसे अधिक ऑक्सीजन के लिए ही हाहाकार मचा हुआ था| ऑक्सीजन
हमें पेड़ों से ही मिलते हैं जो पृथ्वी पर न्यूनतम से भी न्यूनतम स्थिति में है|
पर्यावरण प्रदूषण रूपी विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति पृथ्वी पर हरियाली
बढ़ाने से ही मिलेगी| प्रहरी संस्थान के ओंकार सिंह ने लोगों से आग्रह किया कि
जितना भी हो सके हमें पृथ्वी पर हरियाली को बढ़ाने के लिए पेड़ों की सुरक्षा का
प्रबंध करने के बाद अधिक से अधिक रोपण और उसकी चिंता करना आवश्यक है, क्योंकि
हमारे बिना पेड़ तो जीवित रह लेंगे लेकिन पेड़ के बिना हम जीवित नहीं रह पाएंगे।और
अंत में कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने "पेड़ बचाओ, पेड़ लगाओ - मानव
जाति को बचाओ" का संकल्प लिया।