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Tuesday, September 28, 2021

विश्व में ऐतिहासिक है पर्यावरण के लिए अमृता देवी और उनका अनुसरण करने वालों का बलिदान - कृष्णमोहन

 अमृता देवी का अनुसरण करते हुए 363 लोग हुए थे बलिदान, जिसमें 71 नारी शक्तियां

काशी| भूमि फाउंडेशन ट्रस्ट वाराणसी एवं पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत के संयुक्त तत्वावधान में अमृता देवी स्मृति प्रकृति वंदन (संगोष्ठी) कार्यक्रम का आयोजन किया गया| डा. साधना पांडे के संयोजकत्व में मंगलवार को अशोकपुरम कॉलोनी डाफी में यह कार्यक्रम संपन्न हुआ| कार्यक्रम में अमृता देवी पर विषय रखते हुए पर्यावरण संरक्षण गतिविधि काशी प्रांत के प्रांत संयोजक कृष्णमोहन जी ने कहा कि 1730 में अमृता देवी ने मात्र 42 वर्ष की आयु में हरे पेड़ों को बचाने के लिए अपने सहित अपने तीन पुत्रियों जिनकी आयु 8 ,10 और 12 वर्ष थी, अपने सिर को कटवा दिया था और उनका अनुसरण करते हुए 363 लोग बलिदान हुए थे जिसमें 71 नारी शक्तियां थी| विश्व पर्यावरण के इतिहास में इतना बड़ा बलिदान आज तक नहीं हुआ है| यह संपूर्ण नारी जगत ही नहीं बल्कि पूरे मानव जाति के लिए गौरव की बात है कि हमारे पूर्वजों ने हमारे भलाई के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। 

उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण प्रदूषण जिसके अंतर्गत मिट्टी, पानी, हवा, ध्वनि प्रदूषण आता है, आज चारों अत्यधिक प्रदूषित हो चुके हैं| कहीं भी मिट्टी खोदिए, शुद्ध मिट्टी नहीं मिलेगी| कहीं का जल लीजिए शुद्ध नहीं मिलेगा, हवा कहीं शुद्ध नहीं मिलेगा और कहीं शांति नहीं मिलेगी अर्थात शोर-शराबा का माहौल है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी आग का गोला बनता जा रहा है, पानी जहरीला होता जा रहा है। हवा में ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा अत्यधिक है, ऐसी स्थिति में संपूर्ण मानव जाति को ग्लोबल वार्मिंग की मार झेलनी पड़ रही है| दूषित जल प्रयोग सबकी मजबूरी है| मिट्टी जहरीली होने के कारण कोई भी खाद्य पदार्थ शुद्ध नहीं रह गया है। ध्वनि प्रदूषण के कारण कहीं भी शांति और सुकून का वातावरण नहीं है| ऐसी स्थिति में अमृता देवी का स्मरण और उनके कार्यों का अनुसरण हम सबको इस विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति दिलाएगा| कोरोना के दूसरे लहर में सबसे अधिक ऑक्सीजन के लिए ही हाहाकार मचा हुआ था| ऑक्सीजन हमें पेड़ों से ही मिलते हैं जो पृथ्वी पर न्यूनतम से भी न्यूनतम स्थिति में है| पर्यावरण प्रदूषण रूपी विश्वव्यापी जटिल समस्या से मुक्ति पृथ्वी पर हरियाली बढ़ाने से ही मिलेगी| प्रहरी संस्थान के ओंकार सिंह ने लोगों से आग्रह किया कि जितना भी हो सके हमें पृथ्वी पर हरियाली को बढ़ाने के लिए पेड़ों की सुरक्षा का प्रबंध करने के बाद अधिक से अधिक रोपण और उसकी चिंता करना आवश्यक है, क्योंकि हमारे बिना पेड़ तो जीवित रह लेंगे लेकिन पेड़ के बिना हम जीवित नहीं रह पाएंगे।और अंत में कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने "पेड़ बचाओ, पेड़ लगाओ - मानव जाति को बचाओ" का संकल्प लिया।

Friday, September 24, 2021

मालाबार नरसंहार का सच सबके समक्ष आना चाहिए

 

नई दिल्ली. खिलाफत आंदोलन को स्वाधीनता की लड़ाई से जोड़ने वाले इतिहास का सत्य समाज के समक्ष आना ही चाहिए. यह आंदोलन पूरी तरह से धार्मिक था. केरल में मालाबार का नरसंहार इसकी एक बानगी है, जिसमें 10 हजार से अधिक हिन्दुओं का नरसंहार कर दिया गया था. इस नरसंहार को सामने लाने के लिए प्रदर्शनी, सेमीनार का आयोजन किया जाएगा. तथा जिन्हें स्वतंत्रता सेनानी बताया जाता है और उनके परिवार को सरकारी सुविधाएं दी जा रही हैं, उकी सच्चाई सबके सामने आ सकेजिन्होंने मतांतरण न करने पर एक वर्ग विशेष का नरसंहार किया.

यह प्रदर्शनी और प्रस्तुति 25 सितंबर को कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में होगी, जिसमें पीड़ित परिवार के लोगों की तस्वीरें और उनके बयान दिखाए जाएंगे. साथ ही एक कुंए की प्रतिकृति होगी, जिसमें जिक्र होगा कि इसी तरह के कुंए में लोगों को मारकर डाला गया था. शाम को वहीं पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होगा.

इसी तरह 26 सितंबर को कांस्टीट्यूशन क्लब में सेमीनार आयोजित होगा, जिसमें वरिष्ठ इतिहासकार और विशेषज्ञ खिलाफत आंदोलन के काले अध्याय पर प्रकाश डालेंगे. यह कार्यक्रम नरसंहार, खिलाफत आंदोलन के 100 वर्ष पूरे होने पर केरल की वामपंथी सरकार द्वारा समारोह के रूप में मनाने की तैयारी है.

विशेष बात कि हाल ही में शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) की एक समिति ने परिषद को सौंपी रिपोर्ट में देश के स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों की सूची से मालाबार से डाले गए 386 लोगों के नाम बाहर करने की सिफारिश की थी, इसमें 1921 के इस कथित आंदोलन के अगुआ वीके हाजी का भी नाम है.

प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे. नंदकुमार ने कहा कि इन लोगों के नाम स्वाधीनता आंदोलन के सेनानियों की सूची से बाहर किया जाना चाहिए. क्योंकि स्वाधीनता की लड़ाई में खिलाफत आंदोलन का कुछ लेना देना नहीं था. बल्कि इसके चलते देश में जगह-जगह धार्मिक उन्माद बढ़ा. उसमें से एक मालाबार का नरसंहार भी है, जिसमें मतांतरण न करने पर हजारों लोगों को मारा गया. उन परिवारों के लोग अभी भी हैं, लेकिन तोड़मरोड़ कर लिखे गए इतिहास में उन्हें उचित स्थान नहीं दिया गया.

1921 के मोपला विद्रोह को जनसंहार के तौर पर याद किया जाना चाहिए और एक स्मारक का निर्माण भी किया जाना चाहिए.मलप्पुरम में सौ साल पहले हुई 1921 की मालाबार हत्याओं की याद में सरकार को एक जनसंहार स्मारकबनवाना चाहिए और 25 सितंबर को मालाबार हिन्दू जनसंहार दिवसके रूप में मनाया जाना चाहिए.

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Wednesday, September 22, 2021

विदेशी फंडिंग से धर्मांतरण का कार्य कर रहे संगठनों पर गृह मंत्रालय का शिकंजा

नई दिल्ली. गृह मंत्रालय ने कुछ गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ साक्ष्य मिलने के पश्चात उनके विदेशी फंडिंग लाइसेंस को निलंबित कर दिया है. पिछले डेढ़ माह में छह संगठनों के लाइसेंस निलंबित किए गए हैं, इनमें ईसाई मिशनरी और इस्लामिक संगठन शामिल हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, इन संगठनों के विरुद्ध विदेशों से मिल रही आर्थिक फंडिंग की सहायता से धर्मांतरण कराने और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में धन के दुरुपयोग के साक्ष्य मिले हैं.

विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के उल्लंघन के आधार पर की गई कार्यवाही के बाद इन संगठनों को विदेशों से मिल रही अपार धनराशि पर रोक लगाई जा सकेगी. इन छह संगठनों के निलंबन के बाद इस वर्ष अब तक जिन संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण निलंबित किया गया है, उनकी कुल संख्या नौ हो गई है.

गृह मंत्रालय इन सभी गैर सरकारी संगठनों पर बीते कुछ दिनों से बारीक नजर बनाए हुए था. संगठनों में सुन्नी नेता शेख अबूबकर अहमद से जुड़े केरल के एक गैर सरकारी संगठन, ‘मरकज़ुल इघासथिल कैरियाथिल हिंदियाका एफसीआरए लाइसेंस निलंबित किया गया है.

इस संगठन के विरुद्ध 2019-20 में वार्षिक एफसीआरए रिटर्न के दौरान तथ्यों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के पुख्ता साक्ष्य हैं. इस गैर सरकारी संगठन को केवल 2019-20 वित्तीय वर्ष में ही 146 करोड़ रुपये की फंडिंग हुई थी.

इससे पहले 8 जून, 2021 को कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइट्स इनिशिएटिव (सी.एच.आर.आई) का एफसीआरए पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था. सी.एच.आर.आई संस्था के एक सदस्य मदन लोकुर भी हैं. इस गैर सरकारी संगठन के तार द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन से भी जुड़े हैं.

इसके अलावा 8 अप्रैल, 2021 को बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज का भी एफसीआरए पंजीकरण निलंबित कर दिया गया था.

आध्र प्रदेश के बाहरी क्षेत्रों में सक्रिय एक अन्य ईसाई मिशनरी एनजीओ होली स्पिरिट मिनिस्ट्रीज की विदेशी फंडिंग पर रोक लगाई गई है. होली स्पिरिट मिनिस्ट्रीज के विरुद्ध विदेशी सहायता के बलबूते धर्मांतरण को बढ़ावा देने के मामले में एजेंसियां नज़र बनाए हुए थीं.

इसी तरह देश में धर्मांतरण को बढ़ावा दे रही ओडिशा स्थित पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ एम्पॉवरमेंट ऑफ ट्राइबल एंड हेवनली ग्रेस मिनिस्ट्रीजऔर मदुरई की रुश फाउंडेशनको निलंबन का सामना करना पड़ा था.

दोनों ही गैर सरकारी संगठनों पर पिछड़े इलाकों में लोगों को ईसाई मत में परिवर्तन करने के आरोप लगते रहे हैं. इसके अलावा लखनऊ की अल हस एजुकेशन एंड वेल्फेयर ऑर्गेनाइजेशन का निलंबन और फिर हरियाणा के मेवात ट्रस्ट एजुकेशनल वेल्फेयर का भी पंजीकरण 180 दिन के लिए सस्पेंड हुआ था.

गृह मंत्रालय द्वारा की जा रही इन सभी निलंबन की कार्रवाईयों को देश में विदेशी फंडिंग के सहायता से बड़े पैमाने पर चलाए जा रहे धर्मांतरण के नेटवर्क को ध्वस्त करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

एफसीआरए पंजीकरण का निलंबन एक गैर सरकारी संगठन या संघ को विदेशी योगदान प्राप्त करने से वंचित कर देता है, जब तक कि मंत्रालय की पूर्व अनुमति न हो. एनजीओ के एफसीआरए बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए जाते हैं, जिससे संगठन को उनमें जमा धन का उपयोग करने से रोका जा सके.

गृह मंत्रालय इस विषय को लेकर गंभीरता दिखा रहा है, लेकिन अभी भी विदेशी फंडिंग की सहायता से चलने वाले धर्मांतरण के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त करने के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है.

संस्कार ही विचार एवं आचार परिवर्तन के मुख्य धुरी है – आचार्यश्री महाश्रमण जी

कुछ संस्कार जन्म से प्राप्त होते हैं, कुछ संस्कार सत्संग से प्राप्त होते हैंडॉ. मोहन भागवत जी

भीलवाड़ा, 20 सितंबर 2021. आचार्यश्री महाश्रमण जी ने भीलवाड़ा के तेरापंथ नगर, आदित्य विहार में चातुर्मास प्रवास के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में तीन तत्वों का महत्व है विचार, आचार और संस्कार. विचार व आचार नदी के किनारों के समान हैं. इस पर संस्कार पुल का काम करता है. संस्कार आस्था का विषय है, अच्छे आचार, अच्छे विचार से व्यक्ति के संस्कार बदले जा सकते हैं.

आचार्यश्री ने श्रीमद् भगवत् गीता में वर्णित अर्जुन श्री कृष्ण संवाद को स्मरण करते हुए कहा कि दुनिया में पाप बढ़ने के दो ही कारण हैं काम और क्रोध. जिसके कारण व्यक्ति पाप की ओर अग्रसर होता है. मनुष्य राग, द्वेष, काम, क्रोध को नियंत्रित कर मनुष्यत्व की ओर बढ़ कर अपने पतन से बचाव कर सकता है. जीवन में स्वाध्याय के कारण ही हमारा संस्कार उच्च होता है, यह निरंतर अभ्यास से ही संभव है. यदि अच्छे विचारों का प्रभाव संपूर्ण देश में फैलता है तो देश का गौरव पूरे विश्व में फैलता है. सच्चाई और अच्छाई जहां से मिले, जिस माध्यम से मिले, जिस तरीके से मिले हमें उसे ग्रहण करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि आस्था तथा आचार जीवन में महत्वपूर्ण तत्व है. आत्मा जितनी निर्मल रहती है, व्यक्ति का आचार भी उतना ही निर्मल रहता है. हमारी तो पांच इंद्रियां हैं, उनमें से दो इंद्रियां ज्ञान की पुष्टि के लिए हैं. देखना व सुनना, यह दो इंद्रियां हमारे मन के अंदर जिस प्रकार की चीजें डालेंगी हमारा आचार- विचार उसी प्रकार से बनेगा. जिस प्रकार हमारा संकल्प होता है, उसी प्रकार से हमारा आचरण बन जाता है.

कुछ संस्कार जन्म से प्राप्त होते हैं, कुछ संस्कार सत्संग से प्राप्त होते हैं

धर्म सभा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि गुरु का सान्निध्य व आशीर्वाद पाकर शिष्य गुरु से दो कदम आगे बना रह सकता है, इसका प्रयास गुरु द्वारा किया जाता है. आचार्य श्री का कार्यक्षेत्र आध्यात्मिक है जो सभी बातों का आधार है. हमारा कार्य क्षेत्र मुख्यतः भौतिक संसार है. संसार में एक दूसरे के साथ आत्मीयता महत्वपूर्ण है.

एक दूसरे की सहायता करते हुए आगे बढ़ना यह कार्य है धर्म का. सनातन धर्म में हम सब एक दूसरे के दुश्मन नहीं हैं, हमारा सब का नाता आपस में भाई का है. जो मेरे लिए अच्छा है, वह दूसरों के लिए भी अच्छा है. जो मुझे अच्छा नहीं लग रहा, वह दूसरों को भी अच्छा नहीं लगेगा. इससे मन में करुणा उत्पन्न होती.

सत्य अहिंसा अस्तेय का विचार हमारे यहां सर्वत्र है. मन को अगर हमने सही दिशा में लगाया तो वह पूर्ण शक्ति के साथ वाणी विचार और दर्शन में प्रकट होगा. कुछ संस्कार जन्म से प्राप्त होते हैं, कुछ संस्कार सत्संग से प्राप्त होते हैं.

गुरु अथवा किसी को अगर कुछ परिवर्तन करवाना है तो उसको उसी प्रकार बन करके इस समाज जीवन में रहना पड़ता है जैसा वह अन्य व्यक्तियों से करवाना चाहता है. गुरु को अपने शिष्यों से दो कदम आगे रहकर उन सब सद्गुणों में अपने को एक आदर्श रूप में प्रस्तुत करना होता है.

शिष्य को भी लगे की गुरु के सान्निध्य में मैं खड़ा हूं तो मेरे सिर पर उनका हाथ है. मैं पहले से कुछ ऊंचा उठ रहा हूं. अपने कारण दूसरों को कष्ट नहीं हो, यही आचार है. यह आचार बनता कैसे हैं, अपने जीवन में छोटे-छोटे आचरणों में ही आचार बनता है.

उत्तम आचार के लिए अपनी छोटी-छोटी बातों को आदतों में लाना इसे सरलता से अपने जीवन में उतारना, अगर यह प्रारंभ हुआ तो आचरण में आचार आ जाएगा. वह व्यक्ति सतपथ पर जाने अनजाने में भी बढ़ता रहता है. माता की अगर पुत्र से ममता है तो पुत्र हमेशा माता से जुड़ा रहता है.


आज दुनिया में पहली समस्या है संस्कारों की. इसके लिए मैं कितना मजबूत हूं, दुनिया में चलने वाले सभी प्रपंच मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, इसके लिए स्वयं को मजबूत होना पड़ेगा. बच्चों को जो सही है वह बताना पड़ेगा. अच्छा सुनना, अच्छा देखना, अच्छा पहनना, यही संस्कारों की सीढ़ी है. मेरा परिवार आचरण का केंद्र बने.

कार्यक्रम के अंत में भीलवाड़ा के तेरापंथ समाज द्वारा सरसंघचालक जी व उनके साथ पधारे सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं का सम्मान स्मृति चिन्ह देकर किया.

पाकिस्तान – मस्जिद से पानी लेने पर हिन्दू परिवार को बंधक बनाकर पीटा

पाकिस्तान में हिन्दुओं पर अत्याचारों का क्रम निरंतर जारी है. ताजा मामले में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक मस्जिद से पीने का पानी लेने के कारण एक गरीब हिन्दू किसान परिवार परेशानी में आ गया. धार्मिक स्थल की पवित्रता का उल्लंघनकरने का आरोप लगाकर परिवार को प्रताड़ित किया और बंधक बना लिया.

डॉनमें प्रकाशित समाचार के अनुसार पंजाब के रहीमयार खान शहर के रहने वाले आलम राम भील अपनी पत्नी व परिवार के अन्य सदस्यों के साथ एक खेत में कपास उठाने का काम कर रहे थे. भील ने कहा कि जब परिवार एक नल से पानी लेने के लिए पास की एक मस्जिद के बाहर गया तो कुछ स्थानीय जमींदारों ने उन्हें पीटा. जब परिवार कपास का काम कर घर लौट रहा था तो जमींदारों ने उन्हें उनके डेरा में बंधक बना लिया और मस्जिद की पवित्रता का उल्लंघनकरने के लिए उन्हें प्रताड़ित किया.

भील ने कहा कि पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया क्योंकि हमलावर, प्रधानमंत्री इमरान खान की सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के एक स्थानीय सांसद से जुड़े हैं. पुलिस की निष्क्रियता का विरोध करते हुए भील ने समुदाय के सदस्य पीटर जॉन भील के साथ थाने के बाहर धरना दिया. जिला शांति समिति के सदस्य पीटर ने कहा कि उन्होंने सत्तारूढ़ पीटीआई के विधायक जावेद वारियाच से संपर्क किया, जिन्होंने शुक्रवार को मामला दर्ज कराने में उनकी मदद की.

समाचार के अनुसार, पीटर ने जिला शांति समिति के अन्य सदस्यों से इस मुद्दे पर एक आपात बैठक बुलाने का अनुरोध किया. लेकिन उन्होंने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. पीटीआई के दक्षिण पंजाब अल्पसंख्यक विंग के महासचिव युधिष्ठिर चौहान ने कहा कि घटना उनके संज्ञान में आई है, लेकिन सत्तारूढ़ पार्टी के सांसद के प्रभाव के कारण उन्होंने हस्तक्षेप नहीं किया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला पुलिस अधिकारी असद सरफराज ने कहा कि वह मामले पर गौर कर रहे हैं. उपायुक्त डॉ. खुर्रम शहजाद ने कहा कि वह कोई भी कार्रवाई करने से पहले सोमवार को हिन्दू समुदाय के बुजुर्गों से मिलेंगे.

शांति समिति के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने दावा किया कि यह पूरी तरह से काम कर रही है. एक वरिष्ठ वकील और पूर्व जिला बार अध्यक्ष फारूक रिंद ने कहा कि समुदाय के ज्यादातर सदस्य खेत में काम करने वाले और बेहद गरीब लोग हैं. आरोपी जमींदार छोटे-मोटे मुद्दों पर अन्य ग्रामीणों के साथ लड़ाई करने के लिए कुख्यात हैं. वकील ने शिकायतकर्ता परिवार को मुफ्त कानूनी सहायता का वादा किया.

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत 

अलवर में मॉब लिंचिंग – रशीद और साजेत पठान ने योगेश को पीट पीटकर मार डाला

अलवर. मेवात क्षेत्र में मुसलमानों की दबंगई लगातार बढ़ती जा रही है. घर में घुसकर महिलाओं से दुर्व्यवहार हो या सड़क चलते राहगीर की पिटाई, कोई बड़ी बात नहीं. पिछले दिनों अलवर के एमआईए थाना क्षेत्र के एक गांव में मुकीम खान ने घर में घुसकर एक महिला के साथ दुराचार किया था और अब ताजा घटनाक्रम में रशीद, साजेत पठान और 4 अन्य लोगों ने राह चलते 17 वर्षीय योगेश को इतना पीटा कि वह कोमा में चला गया तथा तीन दिन बाद अस्पताल में उसकी मौत हो गई. घटना बड़ौदा मेव के मीना का बास की है.

ग्रामीणों ने बताया कि 15 सितम्बर को भटपुरा निवासी योगेश पुत्र ओमप्रकाश बाइक से गांव की तरफ जा रहा था. मीना का बास के पास एक गड्ढे को बचाते समय उसकी बाइक एक मुस्लिम महिला से टकरा गई. इसके बाद भीड़ ने रास्ता रोक लिया और उसकी जमकर पिटाई की. भीड़ ने इतनी बुरी तरह से पीटा कि उसके कान से खून आने लगा, गहरी चोटें आईं और वह कोमा में चला गया, तीन दिन बाद 18 सितम्बर को अस्पताल में उसकी मौत हो गई. पुलिस ने 19 सितम्बर को पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया.

योगेश के पिता ने रशीद पुत्र नामालूम, साजेत पठान, मुबीना पत्नी नामालूम तथा अन्य चार लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज करवाया है.

रविवार को आक्रोशित परिजनों व ग्रामीणों ने शव को अलवर-भरतपुर मार्ग पर रखकर प्रदर्शन किया और आरोपियों को गिरफ्तार करने व परिवार के भरण पोषण के लिए 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग की.

15 सितंबर को युवक की बेरहमी से पिटाई की थी

गांव वालों ने बताया कि घटना 15 सितम्बर की है. युवक का जयपुर के अस्पताल में इलाज चल रहा था. पुलिस को दी शिकायत में मृतक युवक के पिता ने बताया कि उसे रशीद, साजेत पठान, मुबीना, और अन्य 4 लोगों ने घेर लिया था और कहा कि तूने हमारी लड़की को टक्कर मारी है. इसके बाद लाठी और डंडों से बुरी तरह पिटाई की. इस दौरान युवक के कान में खून आने लग गया था और कई जगह चोटें आई थीं. पहले उसे अलवर के प्राइवेट अस्पताल में एडमिट कराया गया. वहां से जयपुर रेफर कर दिया गया था. जयपुर एसएमएस में 18 सितम्बर को उसकी मौत हो गई.

रविवार को मृतक युवक के परिवार वालों ने बड़ौदामेव में अलवर-भरतपुर रोड पर दोपहर लगभग 3 बजे से शाम 6 बजे तक शव रखकर विरोध प्रदर्शन किया. प्रशासन के समझाने के बाद आंदोलन खत्म किया और शव का अंतिम संस्कार किया गया. आक्रोशित गांव वालों ने प्रशासन को साफ तौर पर कहा कि आरोपियों को पुलिस तुरंत गिरफ्तार करे और जेल में डाले.

पुलिस ने पहले से दर्ज मारपीट के मामले में हत्या की धारा 302 और SC-ST एक्ट की धाराएं जोड़ दी हैं. पुलिस ने कहा कि जल्द से जल्द सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी.

स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत

Tuesday, September 7, 2021

देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको साथ चलना होगा – डॉ. मोहन भागवत


मुंबई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली परंपरा है. हमारी दृष्टि से हिन्दू यह शब्द मातृभूमि, पूर्वज, एवं भारतीय संस्कृति की विरासत का प्रतिशब्द है. हिन्दू यह कोई जाति, या भाषावाचक संज्ञा नहीं है. किन्तु यह प्रकृति के हर व्यक्ति के विकास, उत्थान का मार्गदर्शन करने वाली परंपरा का नाम है. यह जो मानते हैं, फिर चाहे वह किसी भी भाषा, पंथ, धर्म के हों, वह हिन्दू है और इसी संदर्भ में हम हर भारतीय नागरिक को हिन्दू मानते हैं. दूसरे के मत का यहां अनादर नहीं होगा, लेकिन हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं भारत के वर्चस्व की सोच रखनी होगी. देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको साथ चलना होगा.

ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा मुंबई में राष्ट्र प्रथम – राष्ट्र सर्वोपरि विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सरसंघचालक जी के साथ ही केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान तथा कश्मीर केंद्रीय विवि के कुलपति ले. जन. सैय्यद अता हसनैन ने विचार रखे.

डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि इस्लाम आक्रामकों के साथ भारत  में आया, यही इतिहास है और उसे वैसे ही बताना जरूरी है. मुस्लिम समाज के समझदार नेतृत्व को आततायी बातों का विरोध करना चाहिए. उन्हें कट्टरपंथियों के सामने डटकर बातें करनी पड़ेंगी. यह काम लंबे प्रयास और हौसले के साथ करना होगा. हम सब की परीक्षा लंबी और कड़ी होगी. हम जितना जल्दी प्रारंभ करेंगे, उतना हमारे समाज का कम नुकसान होगा. भारत महाशक्ति होगा तो वह किसी को डराने के लिए नहीं होगा. भारत महाशक्ति बनेगा, वह विश्वगुरु के रूप में होगा. सदियों से हम सजीव और निर्जीव सभी के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं. इसी कारण से भारत के महाशक्ति बनने से किसी को डरने की जरूरत नहीं.



केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि दुनिया में जहां भी विविधता को खत्म किया गया, वहीं पर बुराईयां आईं. दुनिया में जहां भी जितनी अधिक विविधता है, उतना ही संपन्न समाज है. भारतीय संस्कृति में किसी को गैर नहीं माना जाता, क्योंकि सब समान है.



ले.जन. सैय्यद अता हसनैन ने सबको चेताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने 1971 के बाद एक ग्रैंड स्ट्रेटेजी के तहत भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र रचा. भारत सरकार, सेना, पुलिस और कश्मीरी आवाम ने यह षड्यंत्र पिछले 30 सालों में उध्वस्त किया. लेकिन बदलते संदर्भ में पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुस्लिमों को लक्ष्य किया जा सकता है. मुस्लिम बुद्धिजीवियों को सतर्क रहकर इस षड्यंत्र को विफल करना चाहिए.

Thursday, September 2, 2021

प्रशिक्षण वर्ग में समाज रक्षक और कर्तव्यनिष्ठ बनने के लिए सहप्रांत प्रचारक ने स्वयंसेवकों को किया प्रेरित

प्रयागराज| बुधवार को  प्रयागराज के जिला गंगा पारका प्राथमिक शिक्षा वर्ग प्रारंभ हो गया| प्रथम दिवस पर 4 गण के साथ प्रशिक्षण का कार्य प्रारंभ हुआ| प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन सत्र में काशी प्रांत के सहप्रांत प्रचारक मुनीस जी ने भारत माता एवं डॉक्टर साहब और गुरु जी के चित्र के सामने माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित करके प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन किया| इस अवसर पर सह प्रांत प्रचारक जी ने आए हुए शिक्षार्थियों संबोधित करतें हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवक अपने कार्यों से समाज में एक अलग पहचान बनाते हैं| उन्होंने शिक्षार्थियों से कहा कि जो कुछ भी यहां बताया एवं सिखाया जाए उसे गंभीरता पूर्वक आत्मसात करें| प्रशिक्षण शिविर से वापस जाने के बाद कोई सबसे अच्छा गीत कहे, कोई स्वयंसेवक सुभाषित अच्छा बोले और कोई प्रार्थना का कहने में महारत हासिल करे| उन्होंने राजा सीवी बाज कबूतर के प्रसंग चर्चा करते हुए कहा कि स्वयंसेवक को वचन का पालन करना चाहिए एवं आए हुए शरणागत की रक्षा करनी चाहिएऋषि दधीचि के प्रसंग को बतलाते हुए उन्होंने कहा कि समाज की रक्षा के लिए ऋषिवर ने अपने शरीर को त्याग दिया और अपनी अस्थियों वज्र निर्माण हेतु दान दे दियाउन्होंने बालक वीर हकीकत राय का भी प्रसंग बतलाया कि उस छोटे बालक में अपने धर्म के सम्मान के लिए विरोधियों के सामने नहीं झुका बल्कि अपना बलिदान देना उचित समझा|

कोई पद चिन्हों पर चलता है, कोई पद चिन्ह बनाता है

सह प्रांत प्रचारक जी ने इन पंक्तियों की व्याख्या करते हुए दशरथ मांझी का उदाहरण प्रस्तुत किया कि कैसे उन्होंने अपनी पत्नी की अस्पताल ना पहुंच पाने पर मृत्यु के बाद अपने गांव के लिए 20 वर्षो के अथक परिश्रम के बाद पहाड़ को काटकर अपने गांव के लिए लंबा और दुर्गम रास्ते को 10 किलोमीटर में बदल दियाउद्घाटन सत्र के इस इस अवसर पर गंगा पार जिले के जिला संघचालक सूर्यनारायण सिंह, जिला प्रचारक आदरणीय श्रीमान नितिन जी, सोराव खंड संघचालक इंद्र बहादुर एवं मऊआइमा खंड संघचालक गुलाब केसरवानी, सह जिला कार्यवाह  अमित, जिला प्रचार प्रमुख विकास एवं सोराव खंड कार्यवाह सर्वेश, मऊआइमा खंड कार्यवाह दिनेश, श्रृंगवेरपुर खंड कार्यवाह अवधेश आदि उपस्थित रहे|