मुंबई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने
कहा कि हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली परंपरा है. हमारी दृष्टि से
हिन्दू यह शब्द मातृभूमि, पूर्वज,
एवं भारतीय संस्कृति की विरासत का प्रतिशब्द है. हिन्दू यह कोई जाति,
या भाषावाचक संज्ञा नहीं है. किन्तु यह प्रकृति के हर व्यक्ति के
विकास, उत्थान का मार्गदर्शन करने वाली परंपरा का नाम है. यह
जो मानते हैं, फिर चाहे वह किसी भी भाषा, पंथ, धर्म के हों, वह हिन्दू
है और इसी संदर्भ में हम हर भारतीय नागरिक को हिन्दू मानते हैं. दूसरे के मत का यहां
अनादर नहीं होगा, लेकिन हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं भारत
के वर्चस्व की सोच रखनी होगी. देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको साथ चलना होगा.
ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पॉलिसी फाउंडेशन द्वारा मुंबई में
राष्ट्र प्रथम – राष्ट्र सर्वोपरि विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सरसंघचालक जी के
साथ ही केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान तथा कश्मीर केंद्रीय विवि के कुलपति ले.
जन. सैय्यद अता हसनैन ने विचार रखे.
डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि इस्लाम आक्रामकों के साथ भारत में आया, यही इतिहास है
और उसे वैसे ही बताना जरूरी है. मुस्लिम समाज के समझदार नेतृत्व को आततायी बातों
का विरोध करना चाहिए. उन्हें कट्टरपंथियों के सामने डटकर बातें करनी पड़ेंगी. यह
काम लंबे प्रयास और हौसले के साथ करना होगा. हम सब की परीक्षा लंबी और कड़ी होगी.
हम जितना जल्दी प्रारंभ करेंगे, उतना हमारे समाज का कम
नुकसान होगा. भारत महाशक्ति होगा तो वह किसी को डराने के लिए नहीं होगा. भारत
महाशक्ति बनेगा, वह विश्वगुरु के रूप में होगा. सदियों से हम
सजीव और निर्जीव सभी के उत्थान के लिए प्रयासरत हैं. इसी कारण से भारत के महाशक्ति
बनने से किसी को डरने की जरूरत नहीं.
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि दुनिया में
जहां भी विविधता को खत्म किया गया, वहीं पर बुराईयां आईं. दुनिया में जहां भी जितनी अधिक विविधता है, उतना ही संपन्न समाज है. भारतीय संस्कृति में किसी को गैर नहीं माना जाता,
क्योंकि सब समान है.
ले.जन. सैय्यद अता हसनैन ने सबको चेताते हुए कहा कि पाकिस्तान ने 1971 के बाद एक ग्रैंड स्ट्रेटेजी के तहत भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र रचा. भारत सरकार, सेना, पुलिस और कश्मीरी आवाम ने यह षड्यंत्र पिछले 30 सालों में उध्वस्त किया. लेकिन बदलते संदर्भ में पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुस्लिमों को लक्ष्य किया जा सकता है. मुस्लिम बुद्धिजीवियों को सतर्क रहकर इस षड्यंत्र को विफल करना चाहिए.
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