प्रयागराज। जमानत याचिका संख्या 22400 ऑफ 2021 की सुनवाई के दौरान माननीय न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव जी ने यह माना की गायो का भारतीय संस्कृति में स्थान हैं और उनकी देवत्त के रुप मे पूजा की जाती हैं। कोर्ट ने यह माना की गाय हिन्दुओं की आस्था हैं और सदियों से हिन्दू उसकी पूजा करते चले आ रहे है।
याची जावेद के अधिवक्ता एवं राज्य सरकार के अधिवक्ता को सुनने के पश्चात एवं अनेक महत्वपूर्ण बिन्दुओ को ध्यान में रखकर कोर्ट ने गायो की सुरक्षा को लेकर अत्यन्त ऐतिहासिक फैसला किया जो अभी तक किसी भी न्यायालय द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण फैसला हैं।
कोर्ट ने कहा की समस्त परिस्थितियों को ध्यान मे रखने की आवश्यकता हैं की गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाए और गौ सुरक्षा को हिन्दुओ के मौलिक अधिकार मे रखा जाए क्योंकि जब देश की संस्कृति और आस्था पर चोट होती हैं तब देश कमजोर होता हैं। चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी ये लिखा हैं की किसी भी देश को अगर नष्ट करना हो, तो सबसे पहले उसकी संस्कृति को नष्ट कर दो।
वर्तमान वाद में गाय को चोरी कर के उसका वध किया गया था और उसका सिर अलग था। कोर्ट ने यह कहा की मौलिक अधिकार केवल गोमांस खाने वालो का विशेषाधिकार नही हैं बल्कि जो लोग गाय की पूजा करते है और आर्थिक रूप से उस पर आश्रित हैं उन्हें भी सार्थक जीवन जीने का अधिकार हैं। कोर्ट ने कहा की उन लोगों से गाय के संरक्षण और संवर्धन की आशा छोड़नी होगी जो दिखावे के लिए गाय की सुरक्षा की बात करते हैं।
कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले मे यह भी कहा की सरकार को भी संसद मे बिल लाकर गाय को मौलिक अधिकार मे लाकर उसे राष्ट्रीय पशु घोषित करना होगा और उन लोगों के खिलाफ सख्त कानून बनाना होगा जो गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करे है। अपने निर्णायक फैसले के द्वारा कोर्ट ने बेल याचिका को खारिज करते हुए गायों की सुरक्षा के लिए दिए महत्वपूर्ण सुझाव।
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