प्रयागराज। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश के
क्षेत्र प्रचारक अनिल जी ने रक्षाबंधन पर्व पर सभी नागरिकों से राष्ट्र रक्षा, समाज रक्षा एवं पर्यावरण रक्षा का संकल्प लेने
का आह्वान किया। वे बृहस्पतिवार को स्थानीय प्रयाग संगीत समिति में राष्ट्रीय स्वयंसेवक
संघ प्रयागराज दक्षिण भाग की ओर से आयोजित रक्षाबंधन उत्सव में मुख्य वक्ता के रूप
में सम्बोधित कर रहे थे।
क्षेत्र प्रचारक जी ने कहा कि समाज में मनाए जाने वाले पर्वो त्योहारों के पीछे कोई न कोई विशेष संदेश छिपा हुआ है। रक्षाबंधन का यह पर्व संपूर्ण समाज को एक सूत्र में पिरोने का पर्व है। प्राचीन काल में पुरोहित राजाओं के कलाइयों पर रक्षासूत्र बांध कर उन्हें राष्ट्र रक्षा का संकल्प कराते थे। अब यह पर्व सिमटकर केवल भाई-बहन की रक्षा का पर्व बनकर रह गया है। इस पर्व के मूल उद्देश्य के बारे में एक बार फिर से नए सिरे से सोचने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा कि परंपरा समाप्त होगी तो कुछ नहीं बचेगा। देशभर में हर शहर, हर गांव में रामलीला के मैदान है किंतु रामलीलायें कम होती जा रही है जबकि इंडोनेशिया जैसे देश में इस्लाम मतावलम्बी बड़े शान से रामलीला का मंचन करते हैं तथा राम, लक्ष्मण, सीता बनने में गर्व की अनुभूति करते हैं। काशी में अभी भी पुरानी परंपरा के अनुसार रामलीला होती है जहां बगैर माइक लगाए एक व्यक्ति के संवाद को 15000 लोग मशाल के प्रकाश में सुनते हैं। इन परंपराओं को आगे बढ़ाने की जरूरत है।
उत्सव के संदेश को समझें
उन्होंने इस
बात पर बल दिया कि हिंदू संस्कृति तथा हिंदुत्व को समझने के लिए उत्सव के पीछे छिपे संदेश को समझना होगा।
नागपंचमी पर नागों को दूध पिला कर समस्त प्राणियों के प्रति हिंदू समाज जहां एक ओर
अपनी उदारता का प्रदर्शन करता है वहीं दूसरी ओर दशहरा के दिन रावण जैसे आतताई का
पुतला दहन कर यह संदेश देता है कि अत्याचारियों के लिए हिंदू समाज पूरी तरह कठोर
है। हमारा हजारों वर्षों का लम्बे संघर्षों का इतिहास है। आक्रांताओ से संघर्ष
करते हुये भी हमने अपने उत्सवों को कभी नहीं छोड़ा। अपनी तलवार और तराजू लेकर आने
वालों को यहां से पीछे लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा है। समाज न जगा तो स्थिति
भयंकर होगी|
संपूर्ण हिंदू
समाज को सजग करते हुए अनिल जी ने आगे कहा कि हमारी संस्कृति पर आक्रमण आज भी हो
रहे हैं। हम अपनी महान संस्कृति एवं परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। कुछ गांवों में
तो लोगों ने बताया कि अनेक उत्सवों के प्रति लोग उदासीन रहने लगे हैं या उन्हें
मनाना बंद कर दिए हैं। यह स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। समाज जागृत नहीं हुआ तो
स्थिति भयंकर होगी। इन स्थितियों को संभालने के लिए हमें सामाजिक स्तर पर स्वयं
प्रयास करने होंगे। इसके लिए सरकार या संगठन की बाट न जोहें। त्योहारों पर सभी के
चूल्हे जले कि नहीं यह भी देखें| उन्होंने कहा कि त्योहारों के अवसर पर हम यह जरूर
देखें कि घरों में आने वाले सेवकों का त्यौहार अच्छा हो रहा है कि नहीं। उनके घरों
में भी पकवान बन रहे हैं कि नहीं। त्यौहार के दिन घरों के सेवकों को अपने घरों में
भोजन कराएं तथा उनके बर्तन भी स्वयं धुले। पूरे समाज की चिंता करना जब हम छोड़
देंगे तो इसका लाभ विधर्मी उठाना शुरू कर देंगे। ऐसे लोगों के गले में क्रास का
चिन्ह दिखाई देने लगेंगे। इसे रोकने की
जिम्मेदारी सरकार या विश्व हिंदू परिषद की नहीं बल्कि हम सभी को निभानी होगी।
गरीबों के घरों में भोजन नहीं है तो त्योहारों पर उन्हें भोजन पहुंचाएं ना कि उनके
राशन कार्ड बनवाने के लिए दौड़-धूप करें।
नई पीढ़ी को परंपराओं की थाती सौपें
उन्होंने इस
बात पर जोर दिया कि उत्सवों की प्राचीन परंपरा हमारी धरोहर है। इसे संजो कर रखना
हमारी जिम्मेदारी है। हम आने वाली पीढ़ी को भी इन परंपराओं की थाती सौंप कर अपनी
जिम्मेदारी निभाएं। रक्षाबंधन के अवसर पर हम राष्ट्र रक्षा, समाज रक्षा तथा पर्यावरण
की रक्षा का संकल्प लें। बेटे-बेटियों के जन्मदिन पर वृक्षारोपण अवश्य करें।
इसके पूर्व अनिल जी के साथ मा. प्रांत संघचालक डॉ. विश्वनाथ
लाल निगम, मा. भाग संघचालक रामगोपाल अग्निहोत्री ने ध्वज को रक्षा सूत्र बांधकर
पारंपरिक रूप से ध्वज प्रणाम किया। उपस्थित नागरिकों एवं कार्यकर्ताओं ने भी एक
दूसरे की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांधे। इस अवसर पर विभाग प्रचारक डॉ. पीयूष जी,
सह विभाग संघचालक नागेंद्र जी, घनश्याम जी, विभाग प्रचार प्रमुख वसु जी, प्रांत
प्रचार प्रमुख डॉ. मुरारजी त्रिपाठी समेत बड़ी संख्या में शिक्षक, अधिवक्ता एवं
मातृशक्ति उपस्थित थी। सह भाग संघचालक शरद जी ने आभार ज्ञापन तथा संचालन भाग
कार्यवाह आशीष जी ने किया।
मुस्लिम बहनो ने बांधी राखी
रक्षाबंधन
उत्सव में कई मुस्लिम बहनो ने भी हिंदू बहनों के साथ मिलकर अनिल जी की कलाई पर
रक्षा सूत्र बांधे। उद्बोधन समाप्त होते ही उत्सव में पूरे समय तक उपस्थित नजमा
बेगम, सायरा बेगम समेत मंच पर पहुंचकर कई बहनों ने पहले से ही अपने साथ लाए रक्षासूत्र
को अनिल जी की कलाई पर बांधी। इस पर्व पर उपासना पद्धतियों के बीच की मिटती दूरी
देख लोग भाव विह्वल हो गए।
वंचित वर्ग की रक्षा का संकल्प लें. - डॉ हरेश
दूसरी ओर प्रीतम दास सभागार मेडिकल कॉलेज परिसर में संपन्न हुये प्रयागराज उत्तर भाग के रक्षाबंधन उत्सव को लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ. हरेश प्रताप सिंह ने संबोधित किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में डॉ हरेश प्रताप सिंह ने कहा कि रक्षाबंधन उत्सव का अर्थ अपने परिवार समाज, संस्कृति तथा समाज के वंचित वर्ग के लोगों की रक्षा का संकल्प लेना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समाज की रक्षा का कर्तव्य वर्षों से निभाता चला आ रहा है। आगे और तीव्र गति से समाज के वंचितों तथा अभावग्रस्त बंधुओं के पास तक पहुंचने की आवश्यकता है जिससे उनके मन में अपने समाज, राष्ट्र एवं धर्म संस्कृति के प्रति मन में विश्वास और बढे। उत्सव में विभाग संघचालक डॉ.के. पी सिंह जी तथा मा. भाग संघचालक लालता प्रसाद जी प्रमुख रूप से उपस्थित थे| अध्यक्षता हृदयानंद जी ने की। सह प्रांत कार्यवाह प्रो. राज बिहारी, सह विभाग प्रचारक नितिन जी, भाग प्रचारक बृजेश जी, भाग कार्यवाह मुकेश जी, सह भाग कार्यवाह रामकुमार जी, राजेश जी समेत बड़ी संख्या में शिक्षक अधिवक्ता, डाक्टर उपस्थित थे।
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