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सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को विवाह के लिए धर्मांतरण के मसले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. याचिका में उच्च न्यायालय के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि सिर्फ शादी के लिए धर्म परिवर्तन कराना सही नहीं है. मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता.”
याचिका में कहा गया था कि अगर कोर्ट एक व्यक्ति को अपनी मर्जी के मुताबिक धर्म चुनने की आजादी नहीं देता है, तो ये उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा, जो संविधान के तहत उसे प्राप्त हैं.
उच्च न्यायालय के फैसले को एक एडवोकेट ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उच्च न्यायालय ने 23 सितंबर को अपने निर्णय में कहा था कि सिर्फ शादी के लिए धर्मांतरण करना सही नहीं है.
श्रोत- विश्व संवाद केंद्र, भारत
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