राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत में हजारों वर्षों से शिक्षा को लेकर उज्ज्वल परंपरा रही है. भारत विश्व गुरु रहा है. भारत की संपदा उसका ज्ञान है. लेकिन वर्तमान में भारत को मूर्धन्य उदाहरण के रूप में नहीं देखा जाता, हमें उस स्थिति में भारत को लाना है. भारत को विश्व गुरु बनाने का कार्य वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को करना है. यह शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता से होगा. सरकार्यवाह बुधवार सुबह विद्या भारती मध्यक्षेत्र के शैक्षिक शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान अक्षरा के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अक्षरा स्मारिका का भी विमोचन किया.
उन्होंने
कहा कि कोरोना संक्रमण काल में कृषि क्षेत्र को छोड़कर सभी क्षेत्र बाधित हुए हैं.
महामारी से सारी मानवता लड़ रही है. हम सब इसका सामना कर रहे हैं. अभी तीसरी लहर
की आशंका का भय भी है, हम उसका
भी सामना करेंगे. महामारी से लाखों लोग मानसिक, आर्थिक व
अन्य प्रकार के संकट का अनुभव कर रहे हैं, ऐसी
परिस्थिति में देश, समाज को
एक होकर लड़ना चाहिए. लेकिन समाज में जब भी संकट व आपत्ति आती है, लोग दोष ढूंढने लगते हैं, प्रबुद्ध
समाज ऐसा नहीं करता है. यह बीते कई वर्षों से चल रही शिक्षा व्यवस्था का ही दोष
है. जबकि विद्या भारती के पूर्व छात्रों ने वैश्विक महामारी में जिस प्रकार से
कार्य किया है, वह मन को प्रसन्न करने वाला है. यह
कार्य बताता है कि विद्या भारती के विद्यालय अपने विद्यार्थियों को क्या संस्कार
देते हैं. पूर्व छात्रों ने हर क्षेत्र में अपने विद्यालय से प्राप्त संस्कारों का
प्रदर्शन कर सेवा का कार्य कर इतिहास रचा है और उन्होंने अपने मानव होने का
प्रकटीकरण किया है.
एक छोटा
देश, फिनलैंड की शिक्षा पद्धति को दुनिया में मॉडल बनाया गया है.
अच्छा है हम उसे स्वीकार करें, लेकिन
जिस देश में हजारों वर्षों में शिक्षा की परंपरा है, वह देश
आज मॉडल बनने से पीछे है, यह अच्छा
नहीं है.
भारतीय
शिक्षा दुनिया में उदाहरण बने
उन्होंने
कहा कि विद्या भारती संस्थान संस्कारवान शिक्षा दे रहा है. मध्य भारत क्षेत्र में अक्षरा शोध व प्रशिक्षण का केंद्र बनेगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति
जननीति है. इसमें जनता के सुझाव शामिल हैं. भारतीय शिक्षा दुनिया में उदाहरण बने, हिंदुस्तान को वहां ले जाकर खड़ा करना है, जहां हम पहले खड़े थे. हम विश्व गुरु थे, दुनिया की शिक्षा का केंद्र थे, अब हमें
इसका उदाहरण प्रस्तुत करना है. जिससे दुनिया हमारा अनुकरण कर सके.
सरकार्यवाह
ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि 9/11 को
अमेरिका में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा अमेरिका एकजुट खड़ा था. अमेरिका ने पहले
उस आपदा से निपटा, फिर हमले
के कारणों और ऐसी घटनाओं को रोकने को लेकर समीक्षा की.
उन्होंने
कहा कि लोगों में कई प्रकार के दोष आ गए हैं. अपनी जान को जोखिम में डालकर काम
करने वाले कम लोग दिखते हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी समाज के अंदर के ही कई
लोगों ने महंगा सामान दिया. यह हमें किस प्रकार की शिक्षा और संस्कार से प्राप्त
हुआ. क्या समाज के संकट के दिनों में इस तरह से कोई लूटता है, कोई ऐसा कार्य करता है, नहीं.
लेकिन हुआ, इसका कारण सही शिक्षा व संस्कारों का
नहीं मिलना ही मान सकते हैं. शिक्षा व्यक्तित्व को गढ़ने का कार्य करती है. बीते
वर्षों में ऐसी शिक्षा दी गई, जिसमें
संस्कार कम दिखे. विद्या भारती शिक्षा के साथ संस्कार देती है, अच्छा मनुष्य बनाती है. जिस तरह भारत ने अपने लिए अपना बनाया
संविधान दिया है, उसी तरह
अपने लिए नई शिक्षा नीति भी बनाई है. सरकार शिक्षा को सुधारने के लिए नई शिक्षा
नीति को लागू करने का अपने स्तर पर प्रयास कर रही है, करेगी भी. केंद्र और राज्य सरकारें प्रयास में लगी हैं, लेकिन सामाज को भी प्रयास करना होगा.
प्रशिक्षण
केंद्र के सरकारी उपयोग की बनेगी योजना
अध्यक्षीय
उद्बोधन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि शिक्षा का कार्य केवल सरकार
के हाथों में हो, ऐसा
बिल्कुल नहीं है. सामाजिक क्षेत्र की संस्थाएं यह कार्य बखूबी निभा रही हैं.
जिसमें विद्या भारती एक बड़ी संस्था है. विद्या भारती ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के
निर्माण में बड़ा योगदान दिया है और क्रियान्वयन में भी यह बड़ी भूमिका निभा रही
है. विद्या भारती का यह शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान केवल विद्या भारती के लिए
ट्रेनिंग सेंटर नहीं, बल्कि
शासकीय स्तर पर भी इसका कैसे उपयोग हो, इसका
कैसे प्रशिक्षण में लाभ ले सकें, इस पर
योजना बनाई जाएगी. बालक बेहतर मनुष्य कैसे बने, इस पर
शैक्षिक संस्थाओं में विचार किया जाता है. छात्र में प्रत्येक सद्गुण का समावेश हो
इसका पूरा प्रयास किया जाता है. हमारे सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा के साथ संस्कार
की शिक्षा देने के इस कार्य का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं.
नई
शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भमिका रहेगी
कार्यक्रम
के विशिष्ट अतिथि विद्या भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष दू. सी. रामकृष्ण राव ने
कहा कि यह शोध, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण का केंद्र
बनेगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के
क्रियान्वयन में यह संस्थान बड़ी भूमिका निर्वहन करेगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में
छात्रों के कौशल विकास पर जोर दिया गया है. इस प्रशिक्षण शोध संस्थान में शिक्षक
प्रशिक्षण लेंगे और उस दिशा में कार्य करेंगे. जो आचार्य है, शिक्षक है, वह
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रथम पंक्ति का योद्धा है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कराने में बड़ी भूमिका का
निर्वहन करना है. ज्ञानार्जन एक ही दिशा से नहीं, बल्कि
कहीं से भी प्राप्त हो सकता है.
रामकृष्ण
राव ने कहा कि मनुष्य जीवन का उद्देश्य है, हमें जो
ज्ञान प्राप्त हुआ है, जो
अनुसंधान हमने किया है उसे अगली पीढ़ी को स्थानांतरित करें. सबसे बड़ा महत्वपूर्ण
कार्य छात्रों को नागरिक संस्कार देना है. भारतीय परंपरा में यह अनादि काल से किया
जा रहा है.
कार्यक्रम
का संचालन विद्या भारती मध्यभारत प्रांत प्रमुख डॉ. राम भावसार ने किया. आभार
प्रदर्शन मध्य क्षेत्र के जितेंद्र सिंह ने किया.
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