नई
दिल्ली. कड़कड़डूमा न्यायालय परिसर में अपने चैम्बर का उपयोग धर्म परिवर्तन और
निकाह के लिए करने के आरोप में दिल्ली बार काउंसिल ने एक एडवोकेट का लाइसेंस
सस्पेंड कर दिया है.
बार
काउंसिल के सचिव पीयूष गुप्ता ने बताया कि बार काउंसिल ने शिकायत के आधार पर
कार्रवाई की है, आरोप है कि वकील निकाह कराने के लिए
अपने चैम्बर का इस्तेमाल कर रहा था. काउंसिल ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, संबंधित जिला न्यायाधीश और संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त
से सभी आवश्यक जानकारी प्रदान करने और कमेटी को समर्थन देने का आग्रह किया है.
दिल्ली
बार काउंसिल द्वारा जारी नोटिस में कहा गया कि मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए और
कानूनी बिरादरी की गरिमा और सम्मान को बनाए रखने के लिए, मैं बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम 43 और धारा 6 (1) (डी) के
तहत प्रदत्त विशेष शक्तियों का प्रयोग करना उचित समझता हूं. अधिवक्ता अधिनियम, 1961, इस मामले को विशेष अनुशासन समिति को एक अंतर उपाय के रूप में
संदर्भित करते हुए, अनुशासन
समिति द्वारा किसी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए उनके लाइसेंस को निलंबित करना
आवश्यक और उचित समझता है.
काउंसिल
ने अधिवक्ता इकबाल मलिक को नोटिस की प्राप्ति के सात दिनों के भीतर विशेष अनुशासन
समिति के समक्ष अपना जवाब दाखिल करने और 16.07.2021 को शाम 4.00 बजे समिति के समक्ष व्यक्तिगत रूप से दिल्ली बार काउंसिल के
कार्यालय में प्रस्तुत होने का निर्देश दिया है. इसमें विफल रहने पर विशेष अनुशासन
समिति एक पक्षीय कार्यवाही करेगी और आगे उचित कार्रवाई करेगी. कमेटी इस मामले में
एक जांच करेगी और जितनी जल्दी हो सके निर्णय लेगी.
बार
काउंसिल ने कहा कि इस प्रकार की गतिविधियां स्वीकार्य नहीं है और ना ही एक एडवोकेट
की पेशेवर गतिविधियों का हिस्सा हैं और निकाह कराने में उसका आचरण और धर्मांतरण और निकाहनामा / विवाह प्रमाण पत्र जारी
करना पूरी तरह से शर्मनाक है और कानूनी पेशे की गरिमा के खिलाफ है.
शिकायत
और प्राप्त दस्तावेजों के तथ्यों को देखते हुए प्रथम दृष्टया चैम्बर/कोर्ट परिसर
में निकाह कराने की गतिविधियों को एक वकील या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अनुमति नहीं
दी जा सकती है.
आरोपों
की गंभीरता को देखते हुए और उनके चैम्बर से संबंधित शिकायत के साथ संलग्न
दस्तावेजों और निकाहनामा/ विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के लिए, बार काउंसिल ऑफ दिल्ली के अध्यक्ष रमेश गुप्ता ने दस्तावेजों
की सामग्री पर ध्यान दिया और तीन सदस्यीय एक विशेष अनुशासन कमेटी के गठन का आदेश
दिया.
स्रोत- विश्व संवाद केन्द्र, भारत
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