गोरखनाथ मंदिर पर हमले के मामले में एनआईए अदालत ने दोषी मुर्तजा अब्बास को फांसी की सजा सुनाई है. आरोपी मुर्तजा के खिलाफ UAPA के तहत मामला दर्ज किया गया था, जांच में मुर्तजा का संबंध ISIS से भी मिला था. आतंकी मुर्तजा अब्बास को सोमवार को सुनवाई के लिए कड़ी सुरक्षा में लखनऊ में NIA/ATS की अदालत में लाया गया. जहाँ NIA कोर्ट के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने उसे दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई. घटना के 10 माह के भीतर ही सभी साक्ष्य को देखते हुए आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई है.
मुर्तजा ने 4 अप्रैल, 2022 को
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर पर हमला किया था. 4 अप्रैल को गोरखनाथ चौकी के मुख्य कॉन्स्टेबल विनय कुमार मिश्रा ने मुर्तजा
के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाई थी. रिपोर्ट में बताया था कि वह मंदिर के गेट नंबर एक पर
सुरक्षा प्रभारी था. मुर्तजा ने पीएसी के सिपाही अनिल कुमार पासवान पर अचानक
धारदार हथियार से हमला कर उनसे हथियार छीनने की कोशिश की थी. अन्य सुरक्षाकर्मी जब
बचाव में आए तो मुर्तजा ने उन पर भी हमला कर दिया. इसके बाद हथियार लहराते हुए
अल्लाह हु अकबर के नारे लगाने लगा था.
पुलिस ने मशक्कत के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. मामले की
गहनता से जांच में हथियार, लैपटॉप और उर्दू में लिखी सामग्री बरामद
की गई थी. मुर्तजा के पास से उर्दू भाषा में लिखी एक किताब भी बरामद हुई थी. सिर्फ
इतना ही नहीं जांच में यह भी सामने आया कि गोरखनाथ मंदिर के पास सिपाहियों पर हमले
के मामले का हमलावर नेपाल भी गया था. सरकारी वकील एमके सिंह के अनुसार, विवेचना के दौरान हासिल साक्ष्यों के आधार पर धारा 16/18/20/ 40 के तहत केस दर्ज किया गया. विवेचना ATS को सौंपी गई
थी.
पूछताछ में किया था
चौंकाने वाला खुलासा
गिरफ़्तारी के बाद आरोपी मुर्तजा ने ATS के सामने स्वीकार
किया कि वह देश में चल रहे हिजाब विवाद, CAA आदि मामलों को
लेकर काफी गुस्से में था. उसे लग रहा था, मुसलमानों के साथ
गलत हो रहा है. बस इसी बात का बदला लेने के लिए उसने इस हमले को अंजाम दिया.
मुर्तजा ने ATS के सामने यह भी स्वीकार किया कि उसने गोरखनाथ
मंदिर पर जाकर मरने के इरादे से यह हमला किया था. जांच में पता चला कि मुर्तजा
नफरती भाषण देने वाले जाकिर नाइक सहित कई अन्य कट्टरपंथी और देश विरोधी तत्वों को
फॉलो करता था और उनकी तकरीरें सुनकर प्रभावित था. मुर्तजा ने IIT मुंबई से इंजीनियरिंग की है.
60 दिन की सुनवाई के बाद सजा
सजा सुनाए जाने के बाद एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने कहा, लगातार 60 दिन की रिकॉर्ड सुनवाई के बाद सजा का ऐलान हुआ है. इसमें धारा 121 IPC के तहत फांसी की सजा और 307 जो पुलिस पर हमला हुआ था, उसमें उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. सभी सबूतों को अदालत के सामने पेश किया गया, अदालत ने सबूतों को सही माना है. घटना के 10 महीने बाद आज यानि सोमवार को लखनऊ स्थित NIA की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया.
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