काशी। काशी उत्तर भाग के लाजपत नगर एवं काशी दक्षिण भाग के मालवीय नगर (बीएचयू) में आयोजित वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मधु भाई कुलकर्णी जी (सदस्य राष्ट्रीय कार्यकरणी मण्डल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने कहा कि मैं से हम की यात्रा ही स्वयंसेवकत्व है। हिन्दू समाज एक लंबे कालखंड तक मैं और मेरा का विचार करते हुए जीवन जीता रहा इसलिए हम गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक ने इसी कमी को दूर करने के लिए शाखा का निर्माण किया जहाँ देशभक्तों का संगम होता है। अतः हम सबको संघ की शाखा में आकर व्यक्ति निर्माण की प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि वर्ष प्रतिपदा पृथ्वी का जन्मदिन है। इसी दिन 1 अप्रैल, 1889 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी का जन्म हुआ था । प्रारम्भ के पन्द्रह वर्ष में एक लाख स्वयंसेवकों को डॉक्टर हेडगेवार ने संगठित किया था। डॉ. हेडगेवार ने कभी पेशेवर डॉक्टर के रूप में कार्य नहीं किया। वे देश की स्वतंत्रता और सेवा हित में चलाये जाने वाले कार्यक्रमों से जुड़कर अध्ययन करते रहे। आगे कहा कि डॉ. हेडगेवार के महाप्रयाण के तेहरवें दिन यानि 3 जुलाई, 1940 को नागपुर में डॉ. साहब की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सरसंघचालक के नाते श्री गुरूजी ने उन्हें याद करते हुए बताया था कि डॉ. साहब के कार्य की परिणिति पंद्रह सालों में एक लाख स्वयंसेवकों के संगठित होने में हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सन्दर्भ में दंत्तोपंत ठेंगडी कहते हैं, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण किसी भावना या उत्तेजना में आकर नहीं हुआ है। श्रेष्ठ पुरुष जन्मजात देशभक्त डॉक्टर जी जिन्होंने बचपन से ही देशभक्ति का परिचय दिया, सब प्रकार का अध्ययन किया और अपने समय चलने वाले सभी आन्दोलनों में, कार्यों में जिन्होंने हिस्सा लिया, कांग्रेस और हिन्दू सभा के आन्दोलनों में भाग लिया, क्रांतिकार्य का अनुभव लेने के लिए बंगाल में जो रहे, उन्होंने गहन चिंतन के पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना बनाई।" कार्यक्रम की अध्यक्षता नगर संघचालक डॉ.विवेक पाठक ने की|
डॉ. हेडगेवार
सभी को परिवार के सदस्य के रूप मानते थे- अजित प्रसाद महापात्र
तिलक नगर स्थित केशव शाखा पर वर्ष
प्रतिपदा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय गौसेवा संयोजक अजित प्रसाद
महापात्र ने कहा कि डॉ. हेडगेवार की भाषा और आचरण में सामान्यतः सरलता एवं
आत्मीयता थी। चूँकि संघ का कार्य राष्ट्र का कार्य हैं। इसलिए उन्होंने सभी को
परिवार के सदस्य के रूप माना। परस्पर घनिष्ठता और स्नेह-संबंधों के आधार पर
उन्होंने नियमित स्वयंसेवकों को तैयार किया। उनका विचार था कि किन्ही अपरिहार्य
कारणों से संघ का कार्य अवरुद्ध न होने पाए। उनका उद्देश्य केवल संख्या बढ़ाने पर
नहीं बल्कि वास्तव में हिन्दुओं को संगठित करना था। इसके लिए उन्होंने समझाया कि
संघ का कार्य जीवनपर्यंत करना होगा। समाज में स्वाभाविक सामर्थ्य जगाना ही इसका
अंतिम लक्ष्य होगा।
संघ को जानने के
लिए डॉ. हेडगेवार को जानना आवश्यक - रमेश जी
संघ को जानने के लिए डॉ. हेडगेवार को
जानना आवश्यक है। वे संघ के निर्माता है। हम लोग ऐसा कहते है कि उन्होंने अपने को
बीजरूप में मिट्टी में मिलाकर संघ के वृक्ष को बड़ा किया। इसलिए संघ के सारे कार्य
में डॉ. हेडगेवार के मानस का प्रतिबिम्ब दिखता है। बिना हेडगेवार को जाने संघ को
समझना कठिन है। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रान्त प्रचारक श्रीमान रमेश जी ने लहरतारा के कबीर
नगर में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किया। उन्होंने
आगे कहा कि संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार जी से प्रेरणा लेकर और दृढ संकल्प के साथ
कठिन मार्ग पर चलकर यह देश परम वैभव को देखेगा और पूरी दुनिया में भारत का जय
जयकार होगा।
मानस नगर में
आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव को सम्बोधित करते हुए सह प्रान्त कार्यवाह डॉ. राकेश
तिवारी ने कहा कि डॉ. हेडगेवार जी ने 1924 से 1925 तक समाज की परतन्त्रता का अध्ययन किया। इसमें मुख्य रूप से तीन समस्याएं
प्रकाश में आयी। पहला आत्मविस्मृत समाज, दूसरा आत्मकेन्द्रित
जनमानस तीसरा अनुशासन का अभाव। डॉ. हेडगेवार ने इन समस्याओं के निदान के लिए 1925
में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उन्होंने बताया कि संघ
की स्थापना काल से वर्ष 1940 तक संघ सम्पूर्ण भारत में
व्याप्त हो चुका था। वर्ष 1975 तक संघ ने विभिन्न समस्याओं
के निदान हेतु विभिन्न सामाजिक संगठनों की स्थापना की। वर्ष 2000 के बाद से संघ ने इस बात पर ध्यान केन्द्रित किया है कि संघ और समाज के
विचारों में एकरूपता आ जाये ।
जन्मजात देशभक्त
एवं क्रांतिकारी थे डॉ. हेडगेवार - राजेन्द्र सक्सेना
कामाख्या नगर
में आयोजित वर्ष प्रतिपदा उत्सव को सम्बोधित करते हुए पूर्वी उ0प्र0क्षेत्र के मुख्य मार्ग प्रमुख राजेन्द्र सक्सेना जी ने कहा कि डॉ. केशव
बलिराम हेडगेवार जन्मजात देशभक्त एवं क्रांतिकारी थे एक प्रसंग की चर्चा करते हुए
उन्होंने बताया कि इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के राज्यारोहण के 60 साल पूरे होने पर स्कूल में मिठाई दी गई। उसे बालक केशव ने कूड़ेदान में
फेंक दिया, क्योंकि विक्टोरिया का राज्य पराया है, परायी रानी के उत्सव की मिठाई नहीं खा सकता। एक अन्य प्रसंग की चर्चा करते
हुए उन्होंने बताया कि मैट्रिक पढ़ाई करने के लिए नागपुर के नीलशिटी हाई स्कूल में
केशव का प्रवेश हुआ। उसी समय अंग्रेज सरकार ने एक रिस्ले सर्कुलर जारी किया,
जिसमें विद्यार्थी वन्देमातरम गीत नहीं गा सकते थे, वन्देमातरम का उद्घोष नहीं कर सकते। इसके पीछे का एक ही उद्देश्य था,
विद्यार्थियों को स्वतंत्रता आंदोलन से दूर रखना लेकिन विद्यालय
निरीक्षण के समय केशव ने अपने नेतृत्व के साथ पूरे विद्यालय में वन्देमातरम का
उद्घोष करवा डाला। इस घटना से पूरे विद्यालय में खलबली मच गई मामला तूल पकड़ता गया
और अन्त में इस योजना में बालक केशव है, पता चला तो उन्हें
विद्यालय से बाहर कर दिया गया।
इसके अतिरिक्त
काशी दक्षिण भाग के रामनगर, हनुमान नगर, शूलटकेश्वर, संतरविदासनगर, मालवीयनगर, केदारेश्वर
नगर, माधवनगर, केशवनगर, कर्दमेश्वरनगर, विश्वकर्मानगर, विवेकानन्दनगर एवं शिवधाम में वर्षप्रतिपदा कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
काशी उत्तर भाग
के शिव नगर में सह विभाग कार्यवाह डॉ. आशीष जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित किया।
भारतेन्दु नगर, प्रेमचन्द्र नगर के अतिरिक्त भाग के 30 से अधिक
शाखाओं पर कार्यक्रम आयोजित किये गये। इसके अतिरिक्त काशी दक्षिण भाग के सभी 15
नगरों में कार्यक्रम आयोजित हुए ।
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