नई दिल्ली. पिछले कुछ समय से
आतंकी गतिविधियों व हिंसक में शामिल होने के आरोपों के बीच आयकर विभाग ने मंगलवार
को इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया
है. आयकर विभाग ने सेक्शन 12AA(3) के तहत रजिस्ट्रेशन रद्द किया है. आयकर
विभाग को लगता है कि कोई संस्था या ट्रस्ट वास्तविक नहीं है और ये अपने ट्रस्ट के
अनुरूप काम नहीं कर रहा है तो वो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द कर सकता है. PFI पर पिछले
साल सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को
फाइनेंस करने का आरोप लगा है.
आयकर विभाग
सामाजिक, सांस्कृतिक और परोपकार के लिए कार्य करने वाले संगठनों को 80जी का
प्रमाणपत्र देता है. इससे उन संगठनों को जो लोग दान देते हैं, उन्हें
पूरी या आंशिक रूप से आयकर में छूट मिलती है. पीएफआई ने भी अपने को एक सामाजिक और
सेवा संगठन बताकर आयकर विभाग में 80जी का रजिस्ट्रेशन कराया था.
आयकर
विभाग ने पीएफआई को सेवा संगठन न मानकर राजनीतिक संगठन माना है और कहा कि यह संगठन
विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारा और मित्रता को समाप्त करने वाले कार्यों में
संलिप्त है. यह भी कहा गया कि पीएफआई एक विशेष मजहबी समुदाय को लाभ पहुंचाने की
कोशिश कर रहा था. यह आयकर अधिनियम 1961 के खंड 13(1)(बी) का
उल्लंघन था. आयकर विभाग ने पीएफआई के विरुद्ध कार्रवाई की है.
आतंकी
संगठनों से संबंध
केरल में
2006 में स्थापित पीएफआई का नाम सीएए के विरोध से लेकर दिल्ली के
दंगों तक में उछला. यही नहीं, पीएफआई से जुड़े 100 से अधिक
युवा आतंकवादी बन चुके हैं. अनेक ऐसे आतंकवादी गुट हैं, जिनके
तार पीएफआई से जुड़े हैं. हालांकि ऐसे मामलों से पीएफआई अपने आपको किनारे कर लेती
है. वह बार-बार यही कहती है, ‘‘जो लोग आईएसआईएस में शामिल हुए हैं, उन्होंने
बहुत पहले ही पीएफआई को छोड़ दिया था या उन्हें निकाल दिया गया था.’’ यह पीएफआई की
रणनीति का एक हिस्सा है.
प्रतिबंध
के बाद सिमी ने पीएफआई का रूप धारण कर लिया. यानि पीएफआई में वही लोग सक्रिय हैं, जिन
लोगों ने सिमी को खड़ा किया था. पीएफआई का नक्सलियों से भी संबंध है. यही कारण है कि
कुछ वर्ष पहले झारखंड सरकार ने पीएफआई को प्रतिबंधित किया था, तो अनेक
नक्सली संगठनों ने प्रतिबंध हटाने की मांग की थी.
ED ने कहा-
फंड का इस्तेमाल समरसता बिगाड़ने में हुआ
ED ने मंगलवार को स्पेशल कोर्ट में कहा कि PFI ने केरल
में टेरर कैंप के लिए फंड इकट्ठा किए. जांच के दौरान पता चला कि इन फंड का
इस्तेमाल आतंक से जुड़ी गतिविधियों और सामाजिक समरसता बिगाड़ने के लिए किया गया. PFI और इससे
जुड़ी संस्थाओं के बैंक अकाउंट की जांच के दौरान ये तथ्य सामने आए हैं.
ED ने बताया कि हमने 2013 में ये केस अपने हाथ में लिया
था, जब NIA ने PFI के खिलाफ
चार्जशीट दाखिल की थी. इस चार्जशीट में कहा गया था कि PFI/SDPI
के
एक्टिविस्ट आपराधिक साजिश में शामिल हैं और उन्होंने अपने कैडर को हथियारों और
विस्फोटकों की ट्रेनिंग दी. ये ट्रेनिंग कन्नूर जिले में लगाए गए आतंकी कैंपों में
दी गई. इनका मकसद दो धर्मों के लोगों के बीच नफरत पैदा करना और आतंकी गतिविधियों
के लिए उन्हें तैयार करना था.
मीडिया
रिपोर्ट्स के अनुसार सोमवार को उन जगहों पर छापा मारा, जहां PFI ने आतंकी
कैंप लगाए थे. यहां से जिलेटिन की छड़ें और डेटोनेटर्स भी बरामद किए हैं. छापा
कोल्लम के जंगलों में मारा गया था. यहां से बैटरी, डेटोनेटर्स के अलावा भड़काऊ
साहित्य भी मिला है.
हाथरस कांड के दौरान हिंसा भड़काने की
साजिश रचने का आरोप
PFI का नाम यूपी के चर्चित हाथरस कांड में आया था. आरोप लगा था कि
जस्टिस फॉर हाथरस नाम से बनी एक वेबसाइट पर जाति के नाम पर भड़काकर हिंसा फैलाने के
लिए घटना से जुड़ी फर्जी खबरें दी गईं. इसी दौरान PFI से जुड़े
4 लोगों को यूपी पुलिस ने अरेस्ट किया था. पुलिस को शक था कि
जस्टिस फॉर हाथरस वेबसाइट के पीछे PFI हो सकता है.
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