स्वदेशी
जागरण मंच, जयपुर प्रांत द्वारा “वैश्विक महामारी : कोरोना, चुनौती
और समाधान पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम बुधवार को वर्चुअल माध्यम से संपन्न हुआ.
कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्जलवन और गायत्री मंत्र के साथ हुआ.
पुस्तक का विमोचन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय
बौद्धिक शिक्षण प्रमुख स्वांतरंजन के कर कमलों से संपन्न हुआ. उन्होंने कहा कि
श्रद्धेय दत्तोपंत ठेंगड़ी ने जो राह वर्षों पहले दिखाई, हमें उसी पर आगे बढ़ कर अग्रसर और उन्नत होना है. भारत में
कोरोना महामारी ने अनेक प्रताड़ना के आयाम दिये हैं, अर्थ और
शिक्षा को विशेष रुप से प्रभावित किया है. हमें इनमें सुधार करने की जरूरत है.
हमारे देश के चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, आयुर्वेदाचार्यों ने शोध करके कोरोना महामारी के बचाव व रोग के निदान हेतु विशेष कार्य किया है और अनेक दवाई, वैक्सीन बनाई हैं. जहां-जहां चुनौती आई, वहां पर भारत ने सामना करते हुए नये-नये तरीके अपना बचाव किया
है.
इन्हीं में से प्रमुख हैं – भारतीय
संस्कृति के योग, प्राणायाम
व दैनिक दिनचर्या. भारतीय संस्कृति की जीवन शैली को पुनर्जीवित करने का कार्य इस
महामारी ने किया है. लोगों ने योग, प्राणायाम, आयुर्वेद को नजदीक से समझा है और भारतीय संस्कृति के अनुरूप
इन आयामों को अपनाकर अपनी जीवनशैली को बदला है. लोगों ने उचित आहार व नियमित
दिनचर्या अपनाकर महामारी का मुकाबला किया है. अनियमित दिनचर्या व जीवन शैली के
कारण कोरोना महामारी का प्रकोप ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा शहरों में ज्यादा रहा
है. हम सभी स्वस्थ नियमित दिनचर्या अपनाकर, इस दिशा
में कार्य करें तो स्वस्थ जीवन जी सकते हैं.
स्वदेशी जागरण मंच का पेटेंट फ्री वैक्सीन महत्वपूर्ण अभियान
है, जिसका हम सभी को समर्थन करना चाहिए. इस पुस्तक को जन-जन तक
पहुंचा कर, जनजागरण कर हम मानव कल्याण का कार्य कर
सकते हैं. हम सभी भारतवासियों को वैश्विक चुनौतियों का अच्छी तरह सामना करना
चाहिए.
कार्यक्रम में स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह विचार
विभाग प्रमुख डॉ. राजकुमार चतुर्वेदी ने पुस्तक
के बारे में बताया कि कोरोना महामारी और वैश्विक संकट कितना गंभीर बना हुआ है, उसका उल्लेख इस पुस्तक में है. महामारी ने विकास की परिभाषा
बदल दी है.
भारत देश व यहां के निवासी प्रत्येक भारतीय की महामारी में
क्या भूमिका हो, इस बात की विवेचना इस पुस्तक में है.
इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए. विश्व का कल्याण उन्नत
टेक्नोलॉजी से नहीं होगा, बल्कि
न्यायोचित ढंग से इस महामारी संकट का समाधान करना होगा.
विमोचन कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वॉइस चांसलर चौधरी बंशीलाल
विश्वविद्यालय, भिवानी, हरियाणा और
स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय विचार विभाग प्रमुख प्रो. राजकुमार मित्तल ने
कहा कि कोरोना महामारी से बचाव का तरीका शत-प्रतिशत टीकाकरण है. विश्व को बचाना है
तो 787 करोड़ लोगों का टीकाकरण किस तरह करवाया जाए, इस पर गहनता से विचार किया जाना चाहिए. सभी को वैक्सीनेशन के
लिए 1500 करोड़ डोज टीकों की जरूरत होगी, अकेले
भारत को 200 करोड़ डोज टीके चाहिए. इस प्रकार पूरे विश्व का टीकाकरण करने
में दो वर्ष से अधिक का समय लग सकता है. वर्तमान गति एवं योजना के अनुसार भारत की 70 प्रतिशत आबादी को वर्ष के अंत तक टीकाकरण संभव है.
वैक्सीनेशन, गति
बढ़ाने, कीमतें कम करने व सर्वाधिक टीकाकरण करने का एक मात्र उपाय
टीकों का अधिकाधिक उत्पादन है. इस मार्ग में सर्वाधिक बाधा पेटेंट कानून है, जिसकी वजह से पेटेंट स्वामित्व वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियों के
अतिरिक्त अन्य कंपनियां उत्पादन नहीं कर सकती हैं. विश्व के धनाढ्य विकसित देशों
ने अपने यहां उत्पादित टीकों का 90 प्रतिशत
पूर्व में आरक्षित कर अपने देश की 90 प्रतिशत
जनता का टीकाकरण कर लिया है, जबकि
विश्व के अधिकांश गरीब एवं विकासशील देशों की 10 प्रतिशत
जनता को अभी तक भी टीका नहीं लगा है. इसलिए भारत और अफ्रीकी महाद्वीप के 100 से अधिक देशों ने डब्लूटीओ मे वैक्सीन और कोरोना की दवाइयों
को पेटेंट फ्री करने हेतु एक याचिका प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. जिसके समर्थन में
भारत में स्वदेशी जागरण मंच एवं अनेक देशों के एनजीओ जनता की आवाज को सुदृढ़ता के
साथ डिजिटल याचिका हस्ताक्षर अभियान, प्रदर्शन
समर्थन के रुप में प्रस्तुत कर रहे हैं.
स्वदेशी जागरण मंच मांग करता है कि मानव कल्याण के लिए इन
कंपनियों को अत्यधिक लाभ कमाने की नीति को त्याग कर, अधिक
वैक्सीन उत्पादन कर विश्व में इनके समान वितरण की सुनिश्चितता हो. विश्व कुटुम्बकम की भावना रखते हुए सभी देशों की आबादी को वैक्सीनेशन की
सुविधा मिले.
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