तियानमेन चौक नरसंहार व चीन की
दमनकारी, विस्तारवादी नीति पर केंद्रित द नैरेटिव के सात दिवसीय राष्ट्रीय
वेबिनार का आयोजन प्रारंभ हो चुका है. ‘चीन – एक वैश्विक खतरा’ (तियानमेन चौक
नरसंहार से लेकर कोविड-19 के परिपेक्ष्य में) के विषय पर आयोजित
वेबिनार श्रृंखला के पहले दिन भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल संजय
कुलकर्णी ने मुख्य विषय पर अपना वक्तव्य रखा.
संजय
कुलकर्णी जी ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए अपने व्याख्यान की शुरुआत
की और बताया कि कैसे भारत और चीन दोनों देशों का प्राचीन समानांतर इतिहास रहा है.
भारत और चीन कभी भी एक दूसरे के पड़ोसी देश नहीं रहे.
अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने
कहा कि ‘चीन में माओ-त्से-तुंग के
नेतृत्व में कम्युनिस्ट शासन की स्थापना होने के बाद जिस तरह से चीन ने तिब्बत पर
कब्जा किया, उसके बाद ही भारत की सीमा चीन
से लगी. भारत की सीमा हमेशा तिब्बत से लगी थी, चीन से
नहीं.’
उन्होंने
चीन द्वारा अपनाई जा रही अतिक्रमणकारी एवं साम्राज्यवादी नीतियों पर भी अपनी
टिप्पणी की. उन्होंने बताया कि कैसे चीन दक्षिण चीन सागर, पूर्वी
चीन सागर, शिनजियांग (पूर्वी तुर्किस्तान), इनर
मंगोल, हांगकांग, मकाऊ सहित तमाम क्षेत्रों में भी अपना
अधिकार जमाने और वहाँ के नागरिकों का शोषण करने का कार्य कर रहा है.
तीसरे
विश्व युद्ध की संभावना को लेकर आए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि
चीन कभी भी तीसरा विश्वयुद्ध नहीं चाहेगा. चीन हमेशा उकसाने का कार्य करता है, लेकिन
उसे उसका परिणाम पता है. यदि तीसरा विश्व युद्ध होता है तो चीन समाप्त हो जाएगा.
एक अन्य
प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि चीन वास्तव में एक धूर्त प्रजाति की
सरकार है. चीन पूरे विश्व में कम्युनिज्म की स्थापना करना चाहता है और वह लोकतंत्र
के पूरी तरह खिलाफ है. उदारवाद की नीति का चीन विरोध करता है. इन सब मुद्दों के
अलावा संजय कुलकर्णी ने चीन के उन तमाम पहलुओं पर भी प्रकाश डाला जो वास्तव में एक
बड़े खतरे के रूप में उभर रहे हैं.
भारतीय सेना से सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी जी 39 वर्षों के अभूतपूर्व कैरियर में परम विशिष्ट सेवा मैडल, विशिष्ट सेवा मैडल, सेना मैडल एवं ऑपरेशन मेघदूत के लिए शौर्य चक्र से सम्मानित हो चुके हैं.
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