- भारत कालजयी और मृत्युंजय राष्ट्र है
- स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ने का लोगों ने लिया संकल्प
प्रतापगढ़ (काशी प्रान्त)| अमृत महोत्सव आयोजन समिति, प्रतापगढ़ द्वारा
भव्य तिरंगा यात्रा का आयोजन किया गया| इस अवसर पर मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, काशी प्रांत
प्रचारक रमेश जी ने कहा कि अमृत महोत्सव के आयोजन के क्रम में हम गांव-गांव घर-घर
जाकर लोगों को जगाने का उनके अंदर के स्वत्व को जागृत करने का कार्य कर रहे हैं| स्वतंत्रता का
अर्थ होता है स्वभाषा, स्वभूषा, स्व तंत्र| आज भारत में
स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण होने
पर हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं| इस अवसर पर हम सब को स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ने का संकल्प लेना है।
उन्होंने कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश स्वाधीन
हुआ था, स्वतंत्र नहीं| स्वाधीनता आंदोलन
में 1498 से लेकर 1947 तक के कालखंड
में अनेक भारत मां के वीर सपूतों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भारत के गौरव को
स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। जिनके गौरव गाथा को जानने समझने
और जन-जन के बीच में पहुंचाने के लिए यह अमृत महोत्सव सहायक सिद्ध होगा। पूर्व के
कालखंड में ऐसा सिद्ध करने का प्रयास किया गया जैसे आजादी किसी एक परिवार की देन
है।
उन्होंने कहा कि आजादी एक परिवार की नहीं समाज के प्रत्येक
वर्ग के संघर्ष के परिणामस्वरुप है| यह किसी एक व्यक्ति या एक परिवार के कारण नहीं मिली है| स्वाधीनता के
संघर्ष में छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, रानी लक्ष्मी बाई, तात्यां टोपे, बाल गंगाधर तिलक, चंद्र शेखर आजाद, भगत सिंह, वीर सावरकर, सुभाष चंद्र बोस, दुर्गा भाभी, बिरसा मुंडा जैसे अनेक ज्ञात-अज्ञात वीर महापुरुषों ने अपना
महत्वपूर्ण योगदान दिया है|
भारत कभी भी
पूर्ण रूप से गुलाम नहीं रहा है| भारत कालजयी और मृत्युंजय राष्ट्र है। आइए हम सब संकल्प लें कि भारत को गौरवशाली
राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए और स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर बढ़ने
के लिए और अंत में पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हम जन-जन को जागृत करने
के इस महाअभियान के नाते भागीदार बने| इसके पश्चात विभिन्न रथों के समक्ष भारत माता की आरती
संपन्न हुई और उत्साह के साथ तिरंगा यात्रा आरंभ हुई|
तिरंगा यात्रा में आगे के रथ पर भारत माता और वीरांगनाओं के
वेशभूषा में बालिकाएं थी| उसके पीछे पीछे
तिरंगा लिए हुए भारत मां के पुत्र थे| साथ ही भारत माता पूजन के रथ चल रहे थे| यात्रा के क्रम
में अनेक स्थानों पर पुष्पवर्षा के द्वारा यात्रा का स्वागत हुआ और सभी के अंदर
राष्ट्रभक्ति का अपार ज्वार उत्पन्न हुआ| इस अवसर पर घंटाघर पर दिव्य पुष्प
वर्षा और भारत मां की आरती के द्वारा पूरा वातावरण भक्ति-राष्ट्रभक्ति से पूर्ण हो
गया| चारों ओर भारत
माता की जय के नारे लगे| इस क्रम में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रमेश ने मार्ग पर पड़ने वाले विभिन्न
चौराहों पर स्थित भारत माता के वीर सपूतों की मूर्तियों पर माल्यार्पण करने के
साथ-साथ तिरंगा अर्पित किया|
इस क्रम में वीर चंद्र शेखर आजाद, स्वामी विवेकानंद, सरदार भगत सिंह, डॉ राम मनोहर
लोहिया, पंडित मुनीश्वर
दत्त उपाध्याय, सरदार वल्लभभाई
पटेल, डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और छत्रपति शिवाजी
महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण का कार्यक्रम यात्रा के साथ-साथ संपन्न हुआ| यात्रा राजकीय
इंटर कॉलेज से आरंभ होकर चौक घंटाघर, निर्मल चौराहा, भगवा चुंगी चौराहा, ट्रेजरी चौराहा, सरदार पटेल चौराहा, अंबेडकर चौराहा से होकर शिवाजी चौराहा होते हुए राजकीय इंटर
कॉलेज में पहुंची, जहां वंदेमातरम
के गायन के साथ तिरंगा यात्रा का समापन हुआ|
इस अवसर पर रमेश चंद्र त्रिपाठी, चिंतामणि दुबे, प्रतोष कुमार, हरीश कुमार, डॉ. सौरभ पांडेय, वीके द्विवेदी, डॉक्टर रंगनाथ
शुक्ल, रमेश पटेल, अमित देव, संजय तिवारी, डॉ धर्मेंद्र
सिंह, शिशिर खरे, अजीत
सिंह, दिनेश गुप्ता, कृष्ण कांत मिश्र, शिव शंकर सिंह, बिंदेश्वरी
तिवारी, लक्ष्मी मिश्रा, अनीता पांडेय, आदि उपस्थित रहे| संयोजन रमेश पटेल
और प्रभा शंकर पांडेय एवं संचालन डॉक्टर पीयूष कांत शर्मा ने किया|