काशी दक्षिण भाग के 10 एवं उत्तर भाग के 11 स्थानों पर अमृत महोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन
काशी| शुक्रवार पूरे देश के साथ काशी में भी अमृत महोत्सव उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया| महानगर के कुल 21 स्थानों पर इस मासिक कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया| इसी क्रम में काशी दक्षिण भाग के कुल 10 स्थानों पर हुआ| शंकुधारा पर कामाख्या नगर द्वारा कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपस्थित नागरिकों को संबोधित करते हुए मुख्य वक्त्ता राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अशोक बेरी जी ने कहा कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हजारों लोगों ने
अपना बलिदान दिया था परन्तु राजनीतिक चतुर कुछ लोगो ने उन्हे विस्मृत करके स्वयं को आगे पेश कर दिया, परिणाम स्वरूप आज की पीढ़ी ऐसे बलिदानी स्वतंत्रता सेनानियों को बिल्कुल नहीं जानती है या मामूली रूप से जानती है। उन्होंने अपने सारगर्भित उद्बोधन में बिरसा मुंडा,चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह,मुंशी प्रेमचंद,लाला लाजपत राय,झांसी की रानी लक्ष्मीबाई आदि अनेक वीरो को स्मरण किया।
अध्यक्ष डॉ अनिल तिवारी ने वीर सावरकर, महर्षि अरविंद, पंडित मदन मोहन मालवीय आदि को स्मरण करते हुए आह्वान किया कि हमे बहादुर और अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले स्वतंत्रता सेनानियों तथा सीमा पर तैनात सैनिकों के बलिदान को स्मरण रखना है। कार्यक्रम का संचालन अनूप जी और विनीत जी ने किया। अंत में नगर संघचालक विजय जायसवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के
उद्घाटन पर तिरंगा फहराया गया और अंत में बंदेमातरम गान हुआ। इस अवसर पर प्रमुख
रूप से प्रदीप कुमार चौरसिया, राजनरायन जी, डॉ बनवारी लाल, मनोज जी, राकेश जी,ज्योति जी,कैलाश जी, अंशू अरोड़ा,आदि उपस्थित थे। अस्सी भदैनी स्थित रानी
लक्ष्मीबाई जन्म स्थान पर आयोजित कार्यक्रम में प्रख्यात सितार वादक देवव्रत मिश्र
ने भारत माता के चरणों में स्वरान्जलि दी| इसके बाद विधालय की छात्राओं द्वारा देश भक्ति गीत की
प्रस्तुति हुई| कार्यक्रम के वक्ता
के रूप में त्रिलोक जी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विभिन्न संघर्षो का वर्णन
किया| कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. कविता मालवीय ने
किया| धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रसिद्ध
उद्योगपति केशव जालान ने किया| अंत में एक शोभा
यात्रा निकाली गयी जो विभिन्न मार्गों से होती हुई दुर्गाकुण्ड पर समाप्त हुई|
सुन्दरपुर
चौराहे के पास माधवनगर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने भारतीय स्वतंत्रता
आंदोलन में शहीद वीरों का उल्लेख किया| 1857 का स्वतंत्रता समर पूर्ण सफल था और पूरे भारत में इसका
व्यापक असर था| 1498 में वास्कोडिगामा
भारत व्यापार करने नहीं युद्ध के उद्देश्य को लेकर आया था| अध्यक्षता कर्नल दिनेश
ने की, संचालन नवीन सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम
संयोजक अभिषेक मणि त्रिपाठी ने किया| कार्यक्रम के प्रारम्भ में भारत माता पूजन
किया गया तत्पश्चात प्रेमचंद्र पार्क, बृज एन्क्लेव कॉलोनी से राष्ट्रगान के बाद
तिरंगा यात्रा निकाली गयी| अंत में वन्दे मातरम गायन हुआ| इस दौरान सर्वश्री
कृष्णानंद चौबे, अंकित इत्यादि
कार्यकर्ता उपस्थित रहें|
इसके अतिरिक्त काशी दक्षिण भाग के रामनगर, महर्षिनगर, गंगानगर, केशवनगर, विश्वकर्मानगर, विवेकानन्दनगर, शिवधामनगर में भी आयोजित कार्यक्रम में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया|
काशी उत्तर भाग
इसी क्रम में काशी उत्तर भाग में कुल 11 स्थानों पर अमृत महोत्सव कार्यक्रम आयोजित हुए| उद्घाटन कार्यक्रमों में भारत माता का तिरंगा
लिए हुए चित्र के सम्मुख कार्यक्रम के अध्यक्ष, प्रमुख वक्ताओं तथा मातृशक्ति के द्वारा दीप प्रज्जवलन कर
पुष्पांजली अर्पित किया गया| इन सभी कार्यक्रमों में हजारों की संख्या में
मातायें, बहनें, समाज के संभ्रान्त नागरिक, वरीष्ठ समाजसेवी, लोकतंत्र सेनानी, स्वतन्त्रता संग्राम में बलिदान देने वाले बलिदानियों के
परिवारजन,
अधिवक्ता, शिक्षक तथा अनेक
समूहों के लोग सहपरिवार शामिल हुए।
वक्ताओं ने
अपने विचार रखते हुए कहा कि यह देश सनातन काल से ज्ञान, विज्ञान, कला संस्कृति, शौर्य, पराक्रम, आदर, सम्मान, स्त्री रक्षा का
संकल्प लेने वाला, विश्व कल्याण एवं
शान्ति कि कामना करने वाला तथा समूचे संसार को अपना परिवार मानने वाला ऐसा देश
भारत वर्ष है, भारत पर अन्ग्रेजी
शासन काल के दौरान भारत को परतन्त्र किये जाने का प्रयास किया जाता रहा, परन्तु भारत माता के वीर सपूतों ने कभी भी
पराधिनता को स्वीकार नही किया। स्वाधीनता का संघर्ष जीवित रखा, भारत के प्रत्येक कोने में स्वाधीनता का संघर्ष, आदिवासी समुदाय, कृषक समाज, जनजातीय समुह, साधु सन्यासी, जन सामान्य, सैनिकों तथा हमारी विरांगनाओं ने भी सत्त लड़ाईया लड़ी, स्वाधीनता कि प्राप्ति लाखों जीवन का बलिदान
देकर प्राप्त हुआ है, न कि याचना से हमें
स्वतन्त्रता मिली।
इतिहास लेखन
में उन सभी स्थानीय और भूला दिये गये तथा अनिर्दिष्ठ उन सभी बलिदानी आत्माओं को
स्मरण करने का अवसर अमृत महोत्सव है। यह हमारा सौभाग्य है कि, वर्ष 2022 में स्वाधीनता के 75वें वर्ष पूरे हो रहे हैं। और हमें अमृत महोत्सव मनाने का
शुभ अवसर प्राप्त हुआ, यह क्षण आत्म गौरव
को भूला दिये गये, भारत माता के सपूतों
को स्मरण करने का तथा उन इतिहासकारों को आईना दिखाने का है, जिन्होने चाटुकारिता पूर्ण इतिहास लेखन का कार्य
किया है, आज समूचा देश और समाज अमृत महोत्सव के माध्यम
में उसी प्रखर राष्ट्र भक्ति का जागरण उत्सव मना रहा है, तथा जन जन को सहभागी बना रहा है।
कम्पनी बाग (मैदागिन), लाट भैरव मन्दिर (कज्जाकपुरा), घटाटे राम मन्दिर (गोदौलिया), भरत मिलाप मैदान (नाटीईमली), पितरकुण्डा, क्वींस इण्टर कालेज (लहुरावीर), भारत माता मन्दिर (सिगरा), हनुमान धर्मशाला (शिवपुर), ज्ञानदीप एकेडमी (नटनियादाई), सुधाकर महिला महाविद्यालय (पाण्डेयपुर), तथा परशुरामपुर (अकथा) में भव्य भारत माता पूजन एवं उद्धघाटन कार्यक्रम आयोजित किये गये| इस अवसर पर सर्व श्री कृष्णचन्द, राहुल सिंह जी, दिवाकर जी, डॉ0 रजंना श्रीवास्तव, श्याम जी, रजत प्रताप, विरेन्द्र गुप्त, डॉ0 आशिष, जयन्ती लाल शाह, आदि गणमान्य लोग अलग-अलग कार्यक्रमों में उपस्थित रहे।
No comments:
Post a Comment