काशी| अखिल भारतीय संत समिति एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद के
मार्गदर्शन में गंगा महासभा द्वारा आयोजित दिनांक 11 नवंबर, 2021 को संस्कृति संसद 2021 (12, 13 एवं 14 नवम्बर) के
आयोजन संबंधी विषयों पर पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें गंगा महासभा एवं
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती जी, राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश कुमार जी, आयोजन समिति की
अध्यक्ष राज्यसभा सांसद श्रीमती रूपा गांगुली एवं श्रीकाशी विद्वत परिषद के
महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया।
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी
जीतेंद्रानंद सरस्वती जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृति संसद
का उद्देश्य संस्कृति के नकारात्मक सोच जो लोगों में व्याप्त है, उसे दूर करना है
तथा भारतीय संस्कृति से सभी को अवगत कराना है। संस्कृति संसद की विशेषता बताते हुए
उन्होंने कहा कि संस्कृति संसद ने कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिन्हें 10 वर्ष में पूरा
किया जाएगा। इस योजनाओं के बारे में संस्कृति संसद के कार्यक्रम में बताया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक डॉ. इंद्रेश
कुमार जी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि सनातन संस्कृति ही हिंदुत्व है, उन्होंने सर्वे
भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया श्लोक का उच्चारण करते हुए कहा कि सभी
प्रसन्न रहें, सभी स्वस्थ रहें, सबका भला हो, इस पर हमें कार्य
करना चाहिए तथा हमें हर क्षेत्र- कला विकास, रोजगार एवं हर रूप में सभी को साथ लेकर चलना चाहिए। काशी के
बारे में उन्होंने बताया कि सर्वविद्वानों ने माना है कि काशी संस्कृति की राजधानी
है और यहां संस्कृति संसद के कार्यक्रम का आयोजन होना संस्कृति को नई दिशा प्रदान
करेगा।
आयोजन समिति की अध्यक्ष राज्यसभा सांसद श्रीमती रूपा
गांगुली ने पत्रकारों को कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताई कि तीन
दिवसीय संस्कृति संसद में कुल 14 सत्र का आयोजन किया जाएगा साथ ही 6 समानांतर सत्रों
का भी आयोजन किया जाएगा। सभी सत्रों के विषय एवं वक्ता अलग-अलग हैं। उन्होंने बताई
कि इस तीन दिवसीय संस्कृति संसद का आयोजन रुद्राक्ष अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं
सम्मेलन केंद्र, वाराणसी में
आयोजित है। कार्यक्रमों का आयोजन प्रतिदिन प्रातः 10:00 बजे से शुरू होगा।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण
द्विवेदी ने पत्रकारों को कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि
संस्कृति संसद में देश भर से प्रतिभागी एवं बौद्धिक नेतृत्वकर्ता आ रहे हैं। इस
संस्कृति संसद के आयोजन से संस्कृति की दिशा तय करने में मदद मिलेगी।
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