प्रयागराज। परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ी भारत माता को स्वतंत्र कराने तथा बिखरे हिंदू समाज को संगठित करने के लिए ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ हेडगेवार जी ने की थी। 97 वर्षों की कठोर साधना से संघ हिंदू समाज का दिल जीतने तथा पूरी दुनिया में अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल रहा है। उक्त बातें शुक्रवार को प्रयागराज के मानस नगर में वर्ष प्रतिपदा उत्सव पर स्वयंसेवकों संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कही|
अपने उद्बोधन
में उन्होंने आगे कहा कि डॉ हेडगेवार जी जन्मजात देश भक्त थे। उनके अंदर बचपन से
ही देशभक्ति की ज्वाला धधक रही थी। देश को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों से उन्हें
सख्त नफरत थी। विक्टोरिया के जन्मदिन पर उन्होंने मिठाई कूड़ेदान में फेंक दी थी
तथा नील सिटी स्कूल में अंग्रेज अधिकारी के आने पर छात्रों के समूह के साथ डटकर
बंदेमातरम का घोष किया था। कोलकाता से डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद सरकारी नौकरी
को ठोकर मार उन्होंने देश की आजादी की कांटों भरी राह चुनी| प्रांत प्रचारक
रमेश जी ने आगे कहा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में उन्हें दो बार जेल यातना
सहनी पड़ी। कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति तथा उसके मंचों पर पर वंदे मातरम का
विरोध होने से व्यथित डॉ हेडगेवार ने अपनी राह बदल ली और 18 स्वयंसेवकों के
साथ 27 सितंबर 1925 को नागपुर में संघ की स्थापना की। एक डॉक्टर
होने के कारण उन्होंने देश की नब्ज टटोली। उन्हें विश्वास हो गया कि कांग्रेस के
हाथों देश का भविष्य सुरक्षित नहीं है। देश को संगठित और अनुशासित समाज की जरूरत
है इसीलिए उन्होंने हिंदू समाज के अंदर व्याप्त बुराइयों को दूर करने तथा उन्हें
संगठित करने का बीड़ा उठाया।
देश को स्वतंत्र कराना ही बनाया लक्ष्य
देश को
स्वतंत्रता दिलाना उन्होंने अपना पहला लक्ष्य बनाया। उस समय संघ में आने वाले
स्वयंसेवक देश को स्वतंत्र कराने की ही प्रतिज्ञा किया करते थे। प्रांत प्रचारक ने
कहा कि लंबे संघर्ष के बाद स्वाधीनता तो मिल गई लेकिन स्वतंत्रता मिलनी अभी शेष है।
इस स्वतंत्रता के लिए संघ लगातार संघर्ष कर रहा है। संघ देश पर मरने वालों के बजाय
देश के लिए जीने वालों को संगठित कर करने में दिन-रात लगा हुआ है। देश के लिए जीने
वालों की जरूरत है|
उन्होंने आह्वान
किया कि सभी लोग देश के लिए जीना सीखें। संघ का विश्वास है कि जब लोग देश के लिए
जीना शुरु कर देंगे तब देश कभी गुलाम नहीं होगा। आपस में कटुता नहीं होगी तथा
अत्याचार, अनाचार और भ्रष्टाचार पूरी तरह नेस्तनाबूद हो जाएगा। संघ अपनी शाखा के
माध्यम से सामाजिक समरसता, आत्मीयता व राष्ट्रभक्ति की भावना तथा सामाजिक सद्भाव
का संदेश दे रहा है। शाखाओं में खेल-खेल में राष्ट्रभक्ति का संस्कार कूट-कूट कर
भर दिया जाता है। प्रभु श्री राम ने शबरी का बेर खाकर तथा निषादराज को गले लगाकर
एवं भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के घर का मेवा त्याग कर विदुर के साथ केले का छिलका
खाकर जिस समरसता और सद्भाव का परिचय दिया था, संघ उसी की स्थापना में लगा हुआ है।
संघ कोई नया कार्य नहीं कर रहा है| वह तो पुरानी नींव पर नया निर्माण कर रहा है।
प्रभु श्रीराम ने वानर-भालुओं को संगठित कर तथा श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाने
में सबकी सहायता लेकर जिस लोक शक्ति का जागरण किया था, संघ उसी अभियान को आगे बढ़ा
रहा है। देश पर जब भी संकट आए संघ ने आगे बढ़कर उसका मुकाबला किया| 1948 में पाकिस्तान
के हमले, 1962 में चीन की हमले
का सामाजिक स्तर पर मुंह तोड़ जवाब संघ ने दिया| संघ अपनी जय के लिए नहीं, भारत माता
की जय के लिए काम कर रहा है। पूरी दुनिया में भारत का मस्तक ऊंचा हो, यही संघ का
लक्ष्य है। कार्यक्रम के शुरुआत में उत्सव में आए गणवेशधारी स्वयंसेवकों के साथ
समवेत रूप से आद्य सरसंघचालक प्रणाम करने के बाद उन्होंने स्वयंसेवकों को नववर्ष
की बधाई दी।
इस दौरान मंच पर
मा.भाग संघचालक दशरथ जी, मा.नगर संघचालक गिरधारी जी की उपस्थिति रही। उत्सव में
भाग कार्यवाह डॉ.अजय, सह भाग कार्यवाह विंध्याचल, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ.मुरारजी
त्रिपाठी, विभाग प्रचारक डॉ.पियूष, भाग प्रचारक प्रभात, प्रांत बाल प्रमुख श्याम
सुंदर, नगर कार्यवाह संतोष, जय बाबू, राकेश, अनिल, आदि कार्यकर्ताओं की उपस्थिति रही।
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