WELCOME

VSK KASHI
63 MADHAV MARKET
LANKA VARANASI
(U.P.)

Total Pageviews

Tuesday, April 5, 2022

हमें परिस्थिति को पार करके विजय पाने का संकल्प लेना है – डॉ. मोहन भागवत जी

जम्मू. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने रविवार को नवरेह महोत्सव-2022 के अंतर्गत शौर्य दिवस पर कश्मीरी हिन्दू समाज को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने संबोधन में विस्थापितों की कश्मीर में वापसी के संकल्प को दोहराया. जम्मू कश्मीर, देश और विदेश में बसे हजारों विस्थापित कश्मीरी हिन्दुओं ने संजीवनी शारदा केंद्र के फेसबुक पेज पर सुना. नवरेह-महोत्सव 2022 के अंतर्गत 1 अप्रैल को शिर्यभट्ट स्मृति दिवस, 2 अप्रैल को नवरेह संकल्प दिवस मनाया गया था. नवरेह-महोत्सव 2022 का आयोजन संजीवनी शारदा केंद्र द्वारा किया गया था.

सरसंघचालक जी ने शिर्यभट्ट, राजा ललितादित्य और गुरुतेग बहादुर जी के इतिहास पर भी चर्चा की. उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिर्यभट्ट जी ने धैर्य के साथ अपनी शक्ति से परिस्थतियों का सामना करते हुए कश्मीर में समाज को दिशा दे कर एकजुट रखा था. राजा ललितादित्य की जीवनी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह महाराणा प्रताप और वीर शिवाजी की परंपरा के पूर्वज थे. हमें इसे सोचना और समझना चाहिए. उन्होंने बताया कि किस प्रकार अरबों के आक्रमण के संकट का सामना संगठन कुशलता के साथ राजा ललितादित्य ने करते हुए शत्रुओं को सीमाओं के पार भगाया था. राजा ललितादित्य ने उस समय भारत के राजाओं का एक संघ तैयार कर राष्ट्र हितों को जगाया था. राजा ललितादित्य का भारत के इतिहास में पराक्रम का यह योगदान अति महत्वपूर्ण है.

गुरु तेग बहादुर जी का उल्लेख करते हुए कहा कि वह देश हित और हिन्दू हित के लिए परम त्याग के आदर्श हैं. उनकी केवल दया, करुणा ही नहीं थी, गुरु महाराज की असीम कृपा हिंद की चादर थी. उसके पीछे एक विचार भी था कि कट्टरपन नहीं, सबके प्रति अपनापन. यही धर्म है.

सरसंघचालक जी ने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने अपना सिर दे दिया, लेकिन सार नहीं दिया. गुरु तेगबहादुर जी ने स्वयं का बलिदान देकर भारत के प्राणों की रक्षा की. गुरु तेगबहादुर जी ने जो त्याग, धैर्य, साहस और पराक्रम दिखाया था इसके साथ हमारी बुद्धि, शक्ति का संयोग हो और हम निरंतर प्रयासों में लगे रहें, इसकी आवश्यकता है.

आज का नवरेह महोत्सव एक नए पर्व और वर्ष के प्रारंभ के संकल्प का भी दिवस है. अब संकल्प पूर्ति का समय निकट है. 370 के हटने के बाद घाटी वापसी का मार्ग प्रशस्त हो गया है.

सरसंघचालक जी ने उदाहरण दिया कि इजरायल के लोग भी बिखर गए थे. उन्होंने भी अपने त्यौहार में संकल्प और इस संकल्प को 1800 वर्ष तक जागृत रखा और फिर संकल्प के आधार पर एक स्वतंत्र इजरायल को स्थापित किया और पिछले 30 वर्षों में इजरायल सब बाधाओं को पार करके दुनिया में एक अग्रणी राष्ट्र बना है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिन्दू विस्थापित होकर दुनिया भर में बिखरे तो हैं, परंतु उनके पास एक भूमि है, वह है उनका और हमारा कश्मीर, जो भारत का अंग है. पूरा भारत वर्ष कश्मीरी विस्थापित हिन्दुओं के साथ है. एक चित्रपट आया द कश्मीर फाइल्स’. भारतवर्ष का जनमानस यह कह रहा है कि यह चित्रपट सही है. विस्थापन की विभीषिका का सत्य सामने लाने वाले इस चित्र की चर्चा चल रही है.

अबकी बार विस्थापितों को कश्मीर में ऐसा बसना है कि दोबारा उजड़ना न पड़े. अब ऐसा जाएंगे कि कश्मीर में जाकर बसने के बाद वहां पर फिर से उनके नसीब में विभीषिका न आए. परिस्थितियां सब प्रकार की जीवन में आती हैं. परिस्थितियों में हमारी कसौटी होती है. उन्होंने कहा कि हम अपने धैर्य और साहस के माध्यम से ही उस परिस्थिति को पार सकते हैं. कश्मीरी हिन्दू अपने ही देश में, अपने घर में विस्थापित होने का दंश झेल रहे हैं और यह परिस्थिति तीन-चार दशकों से लगातार चल रही है. हमने इस परिस्थिति को पार करके विजय पाने का संकल्प लेना है.

No comments: